Saturday, December 28

पंजाब के किसान कृषि कानूनों खिलाफ आंदोलन के बीच केंद्र सरकार के एक फैसले से खुश हैं। केंद्र सरकार ने फसलों की खरीद का भुगतान सीधे किसानों के खाते में ऑनलाइन पेमेंट करने के निर्देश दिए हैं। इससे राज्‍य के किसान खुश हैं। दरअसल पंजाब के किसान लंबे समय से फसल खरीद की सीधी अदायगी की मांग कर रहे थे। इस निर्देश से आढ़तियों में बेचैनी है और वे चाहते हैं कि किसान संगठन इसका विराेध करें। केंद्र सरकार ने पंजाब को हरियाणा के मॉडल को अपनाने की सलाह दी थी, जहाँ एमएसपी की रकम जमा कराने के लिए जमीनों की जगह उत्पादकों की जानकारी का इस्तेमाल किया गया है। अब से मंडी तक लाई गई फसलों की कीमत आधार कार्ड के जरिए अदा की जाएगी।

इस आदेश से आढ़तिया परेशान

  • केंद्र ने फसल बिक्री का भुगतान सीधे किसानों के बैंक खातों में करने को कहा है।
  • अब तक किसानों को एमएसपी (MSP) का भुगतान आढ़तियों के जरिए किया जाता रहा है।
  • हरियाणा में बीजेपी सरकार है, इसलिए यह फैसला लागू कर दिया है।
  • इस साल की खरीद प्रक्रिया के दौरान 100 फीसदी ऑनलाइन भुगतान होगा।
  • रबी मार्केटिंग सीजन 2020-21 में 23 प्रतिशत किसानों ने सीधे खाते में पैसे लिए थे।
  • -धान के सीजन में 67 प्रतिशत किसानों ने सीधे खाते में पैसे लिए.

‘पुरनूर’ कोरल, चंडीगढ़ – 18 अप्रैल :

पंजाब के किसानों के अनाज की कीमतें सीधे उनके खातों में आनी शुरू हो गई हैं। इसके लिए हाल ही में फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ने पंजाब सरकार से जमीनों का रिकॉर्ड माँगा था, ताकि किसानों के खातों में सीधे एमएसपी की रकम जमा की जा सके।

आढ़ती संगठन लगातार किसानों से बात करके उनके पक्ष में बयान देने को कह रहे हैं, लेकिन अभी तक बलबीर सिंह राजेवाल के अलावा किसी ने भी आढ़तियों के पक्ष में आवाज नहीं उठाई है। दरअसल ऐसा करना उनके लिए आसान नहीं है, क्योंकि लंबे समय से किसान ये मांग कर रहे हैं कि उन्हें उनकी फसल का भुगतान सीधा किया जाए न कि आढ़तियों के माध्यम से।

अमरिंदर सिंह सरकार ने केंद्र को जानकारी दी थी कि पंजाब के आधे किसान केवल फसलों के उत्पादक हैं, जमीनों के मालिक नहीं। इस पर केंद्र सरकार ने पंजाब को हरियाणा के मॉडल को अपनाने की सलाह दी थी, जहाँ एमएसपी की रकम जमा कराने के लिए जमीनों की जगह उत्पादकों की जानकारी का इस्तेमाल किया गया है। अब से मंडी तक लाई गई फसलों की कीमत आधार कार्ड के जरिए अदा की जाएगी।

खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले विभाग के निदेशक रवि भगत ने कहा कि परीक्षणों के बाद बड़ी संख्या में किसानों ने अपने बैंक खातों में एमएसपी भुगतान प्राप्त करने लगे हैं।

दरअसल केंद्र सरकार एफसीआई के खर्चों को कम करने के लिए लगातार कदम उठा रही है। उसमें आढ़तियों को दी जाने वाली 2.5 फीसदी आढ़त और सरकार को दिया जाने वाला तीन फीसदी देहाती विकास फंड पर अंकुश लगाना भी शामिल है। आढ़तियों को यह भी लग रहा है कि केंद्र सरकार उन्हें धीरे-धीरे फसल खरीद सिस्टम से बाहर करना चाहती है। साथ ही आढ़तियों ने एक अप्रैल से हड़ताल पर जाने का ऐलान भी किया है।

डायरेक्ट पेमेंट सिस्टम को लेकर भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) दकौंडा के महासचिव और किसान नेता जगमोहन सिंह ने नई व्यवस्था को किसानों के जीवन में एक बड़ा दिन करार दिया है। उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार है, जब दूसरों पर निर्भर हुए बिना ही किसानों के हाथों में पैसा आ रहा है।

सरकार की नई व्यवस्था से लोगों के चेहरों पर खुशी के भाव हैं। राजपुरा के निकट नीलपुर गाँव के रहने वाले दलीप कुमार (39 वर्ष) डायरेक्ट पेमेंट की व्यवस्था को बेस्ट बताते हुए कहते हैं, “यह सबसे अच्छी प्रणाली है। हमारे खाते में हमारी फसल का भुगतान हो रहा है, इससे बेहतर क्या हो सकता है?”

आगामी रबी विपणन सीजन 2021-22 में गेहूं की सरकारी खरीद 10 अप्रैल 2021 से शुरू होने जा रही है, लेकिन फसल के दाम का किसानों के खाते में सीधा भुगतान करने में जमीन के रिकॉर्ड को लेकर पेंच फंसा हुआ है। हालांकि देश के अन्य राज्यों ने फसलों की सरकारी खरीद में जमीन के रिकॉर्ड को दाखिल करने की व्यवस्था लागू करके फसल के दाम का सीधा भुगतान किसानों के खाते में करना शुरू कर दिया है, लेकिन पंजाब में अब तक किसानों को आढ़तियों के मार्फत ही भुगतान होता है। केंद्र सरकार का कहना है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर फसलों की खरीद में किसानों की जमीन का रिकॉर्ड दाखिल करने और ऑनलाइन भुगतान होने से व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी और असली किसानों को इसका फायदा मिलेगा, लेकिन पंजाब सरकार (Punjab Government) आगामी रबी सीजन में जमीन के रिकॉर्ड दाखिल करने की अनिवार्यता लागू करने को तैयार नहीं है. प्रदेश सरकार का कहना है कि इसके लिए उसे और समय की आवश्यकता है। केंद्र सरकार ने पंजाब को हरियाणा के मॉडल को अपनाने की सलाह दी थी, जहाँ एमएसपी की रकम जमा कराने के लिए जमीनों की जगह उत्पादकों की जानकारी का इस्तेमाल किया गया है। अब से मंडी तक लाई गई फसलों की कीमत आधार कार्ड के जरिए अदा की जाएगी। इसके बाद केंद्र सरकार ने पंजाब सरकार को चेतावनी दी थी कि वह एमएसपी का पैसा सीधे किसानों के खाते में भेजे, यदि सरकार किसानों के खाते में सीधे पैसा नहीं भेजती है तो राज्य में खाद्यान्न की खरीद बंद कर दी जाएगी। बता दें कि पंजाब सरकार आढ़तियों के जरिए एमसपी का पैसा देना चाहती थी। 

एक दैनिक समाचार पत्र की रिपोर्ट के मुताबिक, दलीप ने कहा कि वह बीते 15 साल के कृषि कर रहे हैं। उन्होंने मंडी के लिए 10 एकड़ में खेती की है। वह 40 एकड़ में खेती करते हैं और आने वाले दिनों में शेष गेहूँ खरीद के लिए ले जाएँगे। दलीप कहते हैं कि ऐसा पहली बार उनके साथ हो रहा है कि 1,975 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से एमएसपी उन्हें मिलेगी।

पुरानी व्यवस्था के बारे में दलीप बताते हैं, “पहले आढ़तिए हमें चेक दिया करते थे। फसल को मंडी में ले जाने के बाद सब कुछ एजेंट के हाथ में होता था। फसलों के लेनदेन में काफी समय लगता था, क्योंकि आढ़तिया हमेशा कुछ न कुछ बहाना बनाता ही रहता था। ताकि भुगतान को रोका जा सके।”

इससे पहले डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिए एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) का भुगतान करने पर केंद्र और पंजाब सरकार में ठन गई थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने पंजाब सरकार को चेतावनी दी थी कि वह एमएसपी का पैसा सीधे किसानों के खाते में भेजे, यदि सरकार किसानों के खाते में सीधे पैसा नहीं भेजती है तो राज्य में खाद्यान्न की खरीद बंद कर दी जाएगी। बता दें कि पंजाब सरकार आढ़तियों के जरिए एमसपी का पैसा देना चाहती थी।