यूपी में 2011 के बाद से बने धार्मिक निर्माण हटाये जाने को लेकर हाई कोर्ट के आदेश के बाद गृह विभाग की ओर ये निर्देश जारी किए गए थे. गृह विभाग की ओर से कहा गया है कि अतिक्रमण होने पर संबंधित जिला अधिकारी ही दोषी माना जाएगा.
बाराबंकी/लखनऊ:
हाईकोर्ट की इजाजत मिलने के बाद उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार अतिक्रमण को लेकर सख्त हो गई है। सरकार ने सड़क किनारे ऐसे धार्मिक स्थलों को हटाने के आदेश दे दिए हैं जो अतिक्रमण की जद में आते हैं। राज्य सरकार ने इस संबंध में सभी जिलाधिकारियों को निर्दश भेज दिए हैं और 14 मार्च तक रिपोर्ट मांगी गई है। इसी क्रम में यूपी के बाराबंकी जिले के फतेहपुर कस्बे में रविवार को एक मजार को हटा दिया गया जो सड़क के बीचों बीच बनी हुई थी।
हाईकोर्ट और राज्य सरकार के आदेश के बाद अब जिला प्रशासन ने भी अतिक्रमण को लेकर तेजी दिखानी शुरू कर दी है. रविवार को बाराबंकी में अतिक्रमण हटाने का काम शुरू हुआ और सबसे पहले सड़क के बीच में बनी एक मजार और उसी के साथ पकरिया के पेड़ को हटाया गया।
सनद रहे कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने हाल ही (12 मार्च) में सड़क के किनारे स्थित धार्मिक स्थलों को हटाने के लिए आदेश दिया था। प्रशासन ने कहा था कि ऐसी जगह चिह्नित कर जिला प्रशासन इससे शासन को अवगत कराए। जिला प्रशासन ने ऐसे स्थलों की सूची बनाकर शासन को भेजने की शुरुआत भी कर दी है, लेकिन इसी बीच इसे लेकर राजनीति शुरू हो गई है।
यूपी के बाराबंकी में किसान नेता आशु चौधरी और एसडीएम के बीच मजार को ना हटाने की बातचीत का एक ऑडियो वायरल हुआ है। यह ऑडियो क्लिप भाजपा नेता तजिंदर बग्गा ने ट्विटर पर साझा किया। ऑडियो में किसान नेता एसडीएम से मजार को ना हटाने की पैरवी कर रहे हैं और एसडीएम की ओर से यह कहा जा रहा है कि वह अपने काम से काम रखें।
दरअसल, किसान नेता ने एसडीएम दिव्यांशु पटेल से मिलकर इस मामले पर बातचीत करने की बात कही, लेकिन एसडीएम ने मना कर दिया। उन्होंने किसान नेता से फोन करने का कारण पूछा। आशु चौधरी ने मजार हटाने को लेकर जैसे ही नोटिस देने की बात कही इस पर एसडीएम भड़क गए। एसडीएम ने किसान नेता को फटकार लगाते हुए कहा कि नेतागिरी न करो, किसानों से जुड़ी कोई समस्या हो तो बताओ।
इस संबंध में एसडीएम दिव्यांशु पटेल ने बताया कि सभी को नोटिस दिया गया था। इस मामले में हाईकोर्ट में भी याचिका दायर हुई थी जो डिस्पोज ऑफ हो गई है। एसडीएम ने कहा कि न्यायालय ने विपक्षी को यह साबित करने के लिए 15 दिन का समय दिया है कि मजार या इबादतगाह जिस जमीन पर है, वह सुन्नी वक्फ बोर्ड की है।
दूसरी जगह शिफ्ट होगी मजार
प्रशासन ने पहले वहां के निवासियों से बात की और सबकी मंजूरी के बाद ही जेसीबी से मजार को हटाने का काम शुरू हुआ. किसी भी तरह की अप्रीय घटना से बचने के लिए प्रशासन की तरफ से भारी पुलिस बल तैनात किया गया था. मजार को अब दूसरी जगह पर शिफ्ट किया जाएगा.
जानकारी के अनुसार अब मजार को शहर के ईदगाह मैदान में शिफ्ट किया जाएगा. हालांकि अभी मजार के ढाचे को ही रखा गया है बाद मे उसे दफनाने का काम किया जाएगा. बताया जा रहा है कि पिछले कई दशकों से यह मजार सड़क के बीचों बीच बनी हुई थी जिससे रोजाना घंटो जाम की समस्या होती थी.
भारी पुलिस बल के साथ हटी मजार
सड़क से जिस समय मजार को हटाने का काम शुरू हुआ उस दौरान एसडीएम के साथ सीओ और भार पुलिस बल मौजूद था. ज्यादातर लोग अतिक्रमण हटाने के पक्ष में थे, लेकिन कई ऐसे लोग भी थे जो मजार के हटने खुश नहीं थे. कई मुस्लिम मौलाना का कहना है कि मजार को दूसरी जगह शिफ्ट करने का इस्लाम मे कोई व्यवस्था नही है.
गौरतलब है कि यूपी में 2011 के बाद से बने धार्मिक निर्माण हटाये जाने को लेकर हाई कोर्ट के आदेश के बाद गृह विभाग की ओर ये निर्देश जारी किए गए थे. गृह विभाग की ओर से कहा गया है कि अतिक्रमण होने पर संबंधित जिला अधिकारी ही दोषी माना जाएगा.