चंडीगढ़, 11 मार्च, 2021:
वियतनाम में व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के प्रयासो में, भारत में वियतनाम के राजदूत महामहिम फाम सान छाउ ने बल देते हुये कहा कि उनका देश उत्तरी भारत के निवेशकों को फ्री ट्रेड ऐग्रीमेंट (एफटीए) और आर्थिक सांझेदारी सहित कई फायदे प्रदान करनवाने में वचनबद्ध है। छाउ गुरुवार को पंचकुला स्थित होटल हाॅलीडे में एसोचैम द्वारा आयोजित ‘इंडिया – वियतनाम बिजनैस फोरम’ के दौरान बिजनैस लीडर्स को संबोधित कर रहे थे।
छाउ अपने दूतावास के शिष्टमंडल के साथ वितयनाम के चंडीगढ़ स्थित होनरेरी काॅनसोलेट जनरल दविन्द्र सिंह थापर की मेजबानी में इस क्षेत्र में स्थानीय उद्यमियों को अपने देश में निवेश के विकल्प तलाशने के साथ साथ वियतनाम को एक आदर्श पर्यटन स्थल प्रोजेक्ट करने की दिशा में चंडीगढ़ ट्राईसिटी के तीन दिवसीय दौरे पर हैं।
उन्होंनें बताया कि वियतनाम भारत व्यापार पिछले कुछ वर्षो में लगभग दस बिलियन अमेरिकी डालर्स तक बढ़ गये है जो कि दोनों देशों के बीच परस्पर आपसी विश्वास का प्रतीक है। उन्होंनें कहा कि वियतनाम में आर्कषक निवेश नीतियां, कई एफटीए समझौते, सीधी उड़ानों की शुरुआत, तेजी से आर्थिक विकास की दर, राजनीतिक स्थिरता, सस्ती लेबर और देश अनुकूल व्यापारिक वातावरण सहित ऐसी कई परिस्थितयां हैं जो भारतीय निवेश को न्यौता देती हैं। उन्होंनें इस बात पर बल दिया कि भारतीय भागीदारों को दोनों देशों के बीच व्यापारिक समझ को सुविधाजनक बनाने के लिये वियतनाम के साथ एक आपसी सहयोग स्थापित करने चाहिये।
इस अवसर पर वियतनामी दूतावास के ट्रेड काउंसलर बुई द्रुंग थुओंग ने बताया कि वर्ष 2000 में मात्र 200 मिलियन अमेरिकी डालर्स से नई दिल्ली और हनोई के बीच द्विपक्षीय व्यापार में लगातार वृद्धि दर्ज होती गई है जो कि दिसंबर 2020 तक 10.04 बिलियन अमेरिकी डालर्स तक पहुंच गई है। इसमें भारत का वियतनाम के लिये निर्यात व्यापार लगभग 4.49 बिलियन अमेरिकी डालर्स का है जबकि वियतनाम से भारत का आयात व्यापार का योग करीब 5.55 बिलियन अमेरिकी डालर्स का है।
भारत के लिये वियतनाम विश्व का 17वां सबसे ट्रेडिंग पार्टनर है जबकि आसियान देशों की दृष्टि से सिंगापुर, इंडोनेशिया और मलेशिया के बाद चैथा सबसे व्यापारिक भागीदार है। वहीं दूसरी ओर वियतनाम भी भारत के लिये विश्व में दसवां सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर के रुप में उभरा है।
उन्होंनें बताया कि वियतनाम की फोरन इनवेस्टमेंट ऐजेंसी के आंकडों के अनुसार भारत के लगभग 898.65 मिलियन अमेरिकी डालर्स के व्यापक निवेश के साथ 294 परियोजनायें वियतनाम के लिये निरधारित की गई हैं जिससे की वियतनाम, भारत के लिये 26वां सबसे बड़ा निवेशक देश है। भारत के लिये निवेश के प्रमुख क्षेत्र उर्जा, खनिज, कृषि प्रसंस्करण, चीनी, चाय, काॅफी, ऐग्रो कैमिकल्स, आईटी और आॅटो उपकरण शामिल हैं। वियतनाम ने भी भारत में 28.55 मिलियन अमेरिकी डालर्स का अनुमानित निवेश के साथ छह परियोजनाओं को अंजाम दिया हुआ है जो कि फार्मा, आईटी और निर्माण सामग्री के क्षेत्र में प्राथमिक हैं।
कार्यक्रम में मौजूद चंडीगढ़ में वियतनाम के काॅनसोलेट जनरल दविंदर सिंह थापर ने उत्तर भारतीय प्रतिभा की उपयोगिता पर बल देते हुये बताया कि भारत में वैज्ञानिकों और इंजीनियरों का एक बहुत बड़ा पूल है जो कि वियतनाम की लगभग 100 मिलियन की जनसंख्या की दृष्टि से उद्योग की ओर नये आयाम देने में क्षमता रखते हैं। उन्होंनें कहा कि भारत का वियतनाम के साथ एक दीर्घकालिक विकास है जिसने वियतनाम के क्षमता निर्माण और समाजिक आर्थिक विकास में सकारात्मक योगदान दिया है। भारत भी आसियान फ्रेमवर्क के दायरे में वियतनाम को हर संभव सहायता प्रदान करता रहा है।
इस अवसर पर एसोचैम हिमाचल स्टेट कौंसिल के चेयरमैन जितेंद्र सोढी ने दोनों देशों के बीच बिजनेस फोरम की महत्ता पर बल देते हुए कहा कि संयुक्त प्रयास व्यापार और वाणिज्य को गति देंगे। उन्होंने कहा कि यह आर्थिक गठबंधन वेअतनाम में निवेश की प्रगति को नई दिशा देगा।