Friday, December 27

पंचकूला 13 फरवरी:

हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन ने आरोप लगाया है कि हरियाणा सरकार सरकारी कर्मचारियों के प्रति बड़ी असंवेदनशील है और उनके जीवन को बर्बाद करने पर तुली हुई। सरकार ने प्रदेश में 816 ड्राईंग अध्यापकों की सेवाएं समाप्त करके उनको सड़क पर ला कर मरने के लिए छोड़ दिया गया है।

                 ‌                 चन्द्र मोहन ने कहा कि इससे बड़ी विडम्बना और क्या हो सकती है कि इन अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया 2006 में शुरू की गई थी और इनके चयन का परिणाम  25 मार्च 2010 को घोषित किया गया था। यह अध्यापक पिछले लगभग 11 वर्षों से प्रदेश की सेवा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इन अध्यापकों में से अधिकतर अपनी आयु सीमा को पार कर चुके हैं और वे अब कही पर भी नहीं जा सकते हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर से अनुरोध किया है कि इन अध्यापकों की वेदना, पीड़ा और परेशानियों को समझते हुए इन टटट समायोजित किया जाए।

                      ‌             उन्होंने आरोप लगाया  कि जिस प्रकार से ड्राईंंग अध्यापकों के साथ अन्याय और नाइन्साफी की गई है ।उसी प्रकार से प्रदेश के उन 523 पी जी टी  संस्कृत के अध्यापकों की चयन प्रक्रिया को रद्द करके उन युवाओं की आशाओं पर भी गहरा तुषारापात किया गया है‌।  यह अध्यापक वर्षों से बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं। उन्होंने याद दिलाया कि संस्कृत के 626  पी जी टी अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया वर्ष  2015 में खट्टर सरकार द्वारा शुरू की गई थी और जनवरी 2019 में 523  अध्यापकों का चयन किया गया और सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि उनके चयन को एक वर्ष तक बिना कारण बताए  रोक कर उनके जीवन को बर्बाद करने में कोई कमी नहीं छोड़ी गई और अब अचानक बिना कोई कारण बताए उस चयन प्रक्रिया को खत्म करके 524 पी जी टी अध्यापकों की भर्ती नई भर्ती  प्रक्रिया दोबारा  शुरू की गई है। सरकार के इस तुगलकी फरमान से पक्षपात और युवाओं के भविष्य को तबाह  करने की बू आती है।

            ‌‌  ‌                    उन्होंने सरकार से मांग की है कि   पहले चयनित 523 पी जी टी संस्कृत  अध्यापकों को शीघ्र ज्वाइन करवाया जाए और नई भर्ती की जो  प्रक्रिया शुरू की गई है उसको तुरंत वापिस लिया जाए। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से कोविड महामारी के दौरान लोगों का रोजगार छीनने का प्रयास किया गया और इसके परिणाम स्वरूप  अनेक पढ़ें लिखे युवाओं अपने पेट की भूख को शांत करने के लिए मेहनत और मजदूरी करके अपना पेट पालने पर विवश होना पड़ा है। हरियाणा सरकार ने इन भर्तियों को बिना किसी कारण के रद्द करके उनके जीवन से खिलवाड़ किया है ‌,आने वाले समय में सरकार को इसका खामियाजा भुगतने पर विवश होना पड़ेगा।  उन्होंने कहा कि इस सरकार के कार्यकाल के दौरान हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग द्वारा लिए गए अधिकतर पेपर लीक हुए हैं , जिनका खामियाजा इन युवाओं को भुगतना पड़ रहा है।

‌    ‌                             चन्द्र मोहन ने कहा कि हरियाणा बनने के बाद यह पहला अवसर है कि  जब किसी  सरकार द्वारा  बनाए गए हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के  चेयरमैन को नौकरियों में हुई धांधलियों के कारण त्याग पत्र देना पड़ा  हो और इसके कई  कर्मचारियों को जेल की हवा खाने पर विवश होना पड़ा हो ।

उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा नौकरियों में अपने चहेतों को नौकरी देने के उद्देश्य से की जा रही की जा रही धांधलियों  से यह उजागर हुआ है कि नौकरियां देने में भेदभाव किया जा रहा है और युवाओं को भर्ती में पारदर्शिता के नाम पर बेवकुफ बनाया जा रहा है।            ‌