शैक्षणिक सत्र 2021-22 में नर्सरी कक्षाओं में प्रवेश नहीं देने के लिए शिक्षा विभाग को उचित दिशानिर्देश जारी करने की जनहित याचिका दायर
याचिका में कहा गया है कि इस तरह का माहौल COVID-19 महामारी के मद्देनजर नर्सरी के बच्चों को प्रदान करना संभव नहीं है, क्योंकि फिजिकल कक्षाएं प्रतिबंधित कर दी गई हैं और ऑनलाइन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के साथ सत्र जारी है। ऐसी स्थिति में स्कूलों के लिए उपयुक्त होगा कि वे 3 से 4 वर्ष की आयु के लिए नर्सरी कक्षाओं में प्रवेश न दें, क्योंकि नर्सरी शिक्षा का प्राथमिक उद्देश्य तब तक पराजित रहता है जब तक ऑनलाइन कक्षाएं नहीं होती हैं
नयी दिल्ली(ब्यूरो):
दिल्ली हाईकोर्ट में दिल्ली राज्य सरकार के शिक्षा विभाग को निर्देश देने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई है, जिसमेंं स्कूलों को नर्सरी कक्षाओं में प्रवेश नहीं देने के लिए शिक्षा विभाग को उचित दिशानिर्देश जारी करने की मांंग की गई है। इसमें कहा गया है कि शैक्षणिक सत्र 2021-2022 के लिए नर्सरी क्लास के उद्देश्य को ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से पूरा नहीं किया जा सकता।
याचिका का बैकग्राउंड
याचिकाकर्ता रजत वत्स ने इस वर्ष शैक्षणिक सत्र के लिए नर्सरी प्रवेश की छूट पर विचार करने के लिए दिल्ली शिक्षा विभाग को निर्देश देने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिकाकर्ता के अनुसार, नर्सरी शिक्षा का उद्देश्य छोटे बच्चों के लिए एक पर्याप्त प्ले स्कूल का माहौल है, जो कि नर्सरी शिक्षा के बाद के समान स्कूली माहौल से परिचित हो सकेंं। याचिका के अनुसार, नर्सरी शिक्षा बच्चों को उनके शारीरिक और भावनात्मक रूप से अच्छी तरह से बड़े होने के साथ-साथ उन्हें उच्च कक्षाओं में प्रमोट करने के लिए तैयार करने के लिए स्कूली व्यवहार विकसित करती है।
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याचिका में कहा गया है कि इस तरह का माहौल COVID-19 महामारी के मद्देनजर नर्सरी के बच्चों को प्रदान करना संभव नहीं है, क्योंकि फिजिकल कक्षाएं प्रतिबंधित कर दी गई हैं और ऑनलाइन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के साथ सत्र जारी है। ऐसी स्थिति में स्कूलों के लिए उपयुक्त होगा कि वे 3 से 4 वर्ष की आयु के लिए नर्सरी कक्षाओं में प्रवेश न दें, क्योंकि नर्सरी शिक्षा का प्राथमिक उद्देश्य तब तक पराजित रहता है जब तक ऑनलाइन कक्षाएं नहीं होती हैं।
याचिका यह भी कहती है कि ऑनलाइन क्लास कल्चर के माध्यम से छोटे बच्चों को नर्सरी शिक्षा प्रदान करने की दिल्ली सरकार की एनसीटी की ऐसी कार्यवाही से भारत के संविधान के अनुचछेद 14 और 21 के तहत माता-पिता और बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन होता है।
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