2021 में राजस्थान में राजनैतिक उथल पुथल के आसार
राजस्थान की राजनीति में आने वाले नए साल में कई बदलाव देखने को मिल सकते हैं। किसान आंदोलन के चलते हनुमान बेनीवाल और बीजेपी में दूरियां बढ़ गई हैं तो कांग्रेस में पायलट गुट ने हाल ही में भरतपुर में एक बार फिर से शक्ति प्रदर्शन किया है। वहीं, बीजेपी ने भी पंचायत चुनाव जीतकर शहरी चुनावों में मात खाई है। इसी बीच पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की बढ़ी सक्रियता, नागाैर सांसद हनुमान बेनीवाल की एनडीए से दूरी और कांग्रेस में सचिन पायलट गुट के प्रभाव के चलते लगता है राजस्थान की राजनीति में वर्ष 2021 में कई बदलाव हो सकते हैं। सनद रहे कि भाजपा ने वसुंधरा राजे की नाराजगी झेल कर हनुमान बेनीवाल को जिताया था, लेकिन अब सूत्रों की मानें तो वह मंत्रि पद पाने के लिए बगावती तेवर अपनाए हुए हैं और कोई बड़ी बात नहीं की वह अपनी इसी चाहत को पूरा करने के लिए सत्ताधारी कॉंग्रेस से हाथ मिला लें।
जोधपुर :
राजस्थान की राजनीति एक बार फिर बदलाव की ओर बढ़ती दिखाई दे रही है। किसान आंदोलन के चलते लोकसभा चुनाव से पहले गठबंधन में जुडे़ आरएलपी और बीजेपी का गठबंधन टूट गया है। वहीं किसान आंदोलन में आरएलपी के नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल से रामेश्वर डूडी के अचानक मिलने से कई कयास लगाने जाने लगे है। गौरतलब है कि रामेश्वर डूडी पहले विधानसभा में कांग्रेस के प्रतिपक्ष नेता थे और विधानसभा चुनाव में पराजित होने के बाद पुनः राजनीति में अपनी जगह बनाने में जुट गए है। वहीं हनुमान बेनीवाल के एनडीए से अलग होने पर दोनों ही दलों को नुकसान उठाना पडे़गा। बीजेपी को नागौर सहित पश्चिमी राजस्थान में वहीं आरएलपी को भी नागौर सहित पश्चिमी राजस्थान में नुकसान उठाना पडे़गा। इससे कांग्रेस को कुछ लाभ मिल सकता है।
कांग्रेस में भी सचिन पायलट गुट ने एक बार फिर जोर लगाया है। इस बार पायलट गुट ने भरतपुर में शक्ति प्रदर्शन किया है। भरतपुर में हाल ही में महाराजा सूरजमल के बलिदान दिवस कार्यक्रम में पूर्व पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह, पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, विधायक हेमाराम चैधरी, बृजेंद्र ओलो, मुरारीलाल मीणा, करण सिंह दलाल, जयप्रकाश, दुष्यंत सिंह, अभिमन्यु पूनियां आदि शामिल हुए थे। साथ ही हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी मंच पर पहुंचे थे। इससे राजस्थान की राजनीति में पायलट गुट की सक्रियता बढ़ना माना जा रहा है। पायलट गुट अब जल्द ही होने वाले मंत्रीमंडल विस्तार और अन्य नियुक्तियों में अपना स्थान बनाना चाहता है। वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और समर्थक इसके लिए राजी नहीं हैं।
बीजेपी में भी वसुंधरा राजे गुट ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। पंचायत चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद अपने ही शहरी गढ़ों के निकाय चुनावों में पिछड़ने और हनुमान बेनीवाल के एनडीए से अलग होने को राजे गुट अपने लिए अच्छा अवसर मान रहा है। नागौर सांसद बेनीवाल पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कई बार कड़ी आलोचना कर चुके हैं और हर बार दोनों का विरोध जताते रहते है। अब बीजेपी में राजे गुट ने भी अपनी सक्रियता बढ़ा दी है।
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