महापौर पद की कुर्सी और उपेंद्र आहलूवालिया के बीच की दूरी कुछ और बढ़ गई है
रंजीता मेहता भाजपा में शामिल होने से हरियाणा नेतृत्व को अधिक मेहनत और अपनी नीतियों में बदलाव पड़ सकता है। रंजीता का यह कदम निगम चुनावों में कांग्रेस के लिए घातक साबित हो सकता है। घाव पर घाव लगने के कारण आहत हुई रंजीता को कल मुख्यमंत्री लाल खट्टर ने उनके आवास पर पहुंचकर रंजीता को भाजपा में शामिल किया।
सारिका तिवारी, पंचकुला:
महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय संयोजक और कांग्रेस की बेबाक प्रवक्ता रहीं रंजीता पंचकूला में एक अपना अहम स्थान रखती हैं। उनके समर्थक हमेशा से ही पंचकूला में निर्णायक मतदाता रहे हैं ।रंजीता की शहर की कॉलोनियों में अच्छी पकड़ है परंतु कांग्रेस की नजर में रंजीता क्यों हम नहीं इसका जवाब तो पार्टी नेतृत्व ही दे सकता है । लेकिन अटकलें लगाई जा रही हैं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष शैलजा से रंजीता कि कभी नहीं पटी विधानसभा चुनाव में भी टिकट के आवंटन के समय शैलजा ने खुला विरोध किया। पंचकूला की दो नेत्रियों नाम सूची में सबसे ऊपर थे। अंजली बंसल के अशोक तवर गट के होने की वजह से खारिज कर दिया गया और रंजीता को आशा की किरण दिखने लगी परन्तु ऐन समय पर चंद्रमोहन को टिकट दे दी गई सुनने में आया कि रंजीता के नाम का सबसे ज्यादा विरोध शैलजा ने किया था । इस तरह पहले अंजली बंसल फिर रंजीता जैसी नेत्रियों को नजरअंदाज कर हरियाणा कांग्रेस पंचकूला में इस बार फिर कहीं अपने पर कुल्हाड़ी ना मार ले।
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चर्चा है कि भाजपा और संघ के कई लोग पिछले काफी समय से रंजीता के संपर्क में है रंजीता ने फिर से पार्टी को एक और मौका दिया कि पिछली गल्तियों को सुधार सके लेकिन मेयर पद के लिए दावेदार रंजीता कांग्रेस से विमुख हो ही गई कांग्रेस को ‘बच्चेखानी पार्टी’ तक कह दिया पार्टी के कुछ अंदरूनी सूत्र फुसफुसाहट करते सुनाई दिए कि शैलजा, विवेक की बजाय अपने अहम को आगे रखती हैं, इसी वजह से कांग्रेस को पंचकूला विधानसभा की लगभग जीती जिताई सीट से मात्र पचपन सौ के अंतर से हाथ धोना पड़ा। टिकट के तीनों महिला दावेदार पार्टी से अंजली बंसल तो पार्टी भाजपा में शामिल हो गईं रंजीता ने भी चुनाव प्रचार में अपने आप को पीछे ही रखा और उपेंद्र आहलूवालिया भी कहीं नहीं नजर आई और चंद्रमोहन को हार का मुंह देखना पड़ा इस बार महापौर पद के लिए उपेंद्र आहलूवालिया को चुना गया जबकि रंजीता मेहता को फिर से पूरी तरह नजरअंदाज कर एक तरफ कर दिया गया, यहां तक की रंजिता को मेनिफेस्टो कमेटी में भी शामिल नहीं किया गया जबकि इसमें कालका और पंचकूला के नामी कांग्रेसी इसमें शामिल हैं।
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सुनने में आ रहा है शैलजा और रणदीप सुरजेवाला ने पंचकूला में संतुलन बनाने का प्रयास किया है। शैलजा और रणदीप सुरजेवाला नगर निगम चुनाव में पूरी तरह से सक्रिय हैं और वार्ड वार्ड जाकर वोट मांग रहे हैं अब देखना यह है के क्या यह दिग्गज पंचकूला के मतदाताओं को प्रभावित कर पाएंगे।
गुटबाजी के चलते हरियाणा कांग्रेस तो इस तरह के जोखिम अक्सर उठाती रहती है इससे पहले सुमित्रा चौहान को भी गंवा चुकी है।