किसानों के सेवादार ने अपने घर के बाहर बैठे पार्षदों को किया नज़रअंदाज़
दिल्ली को किसान आंदोलनकारियों ने घेर रखा है, किसान आंदोलन की आड़ में अनेक राजनैतिक दल अपनी अपनी रोटियाँ सेंकने में लगे हैं। अरविंद केजरीवाल भी उन्हीं में से एक हैं। अरविंद केजरीवाल की सरकार ने 23 नवंबर 2020 को नए कानून को नोटिफाई करके दिल्ली में लागू कर दिया है था। लेकिन इसान आंदोलन में भी राजनैतिक बढ़त लेने पहुँच गए। अरविंद केयरीवाल के घर के बाहर नगर निगम के पार्षद अपने निगमों की बकाया राशि 13000 करोड़ रुपये मांगने के लिए धरना दिये बैठे हैं, ऐसे में केयरीवाल उनसे मुंह मोड़ कर किसान प्रदर्शनकारियों के पास जा पहुंचे। केजरीवाल के दोहरे मापदण्डों के कारण उनहे दिल्ली की जनता कोस रही है।
नयी दिल्ली(ब्यूरो):
केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली को घेरे बैठे ‘किसानों’ के समर्थन और सेवा में आम आदमी पार्टी (AAP) कोई कसर नहीं छोड़ रही है। खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपनी पूरी कैबिनेट के साथ सिंघु बॉर्डर पर किसानों से मिलने पहुँचे थे। दिलचस्प बात यह है दिल्ली के मुख्यमंत्री के घर के बाहर दिल्ली नगर निगम के पार्षद धरने पर बैठे हैं।
इनकी माँग है कि नगर निगमों के 13000 करोड़ रुपए की बकाया राशि चुकाई जाए। लेकिन, मुख्यमंत्री इनसे मुँह फेर कर किसान आंदोलन में पहुँच गए। अब पार्षदों व धरने पर बैठे लोगों का कहना है कि जब तक उनकी सुनवाई नहीं होगी, वे कहीं नहीं जाएँगे।
भाजपा दिल्ली के ट्विटर अकाउंट पर धरने का वीडियो शेयर करते हुए लिखा गया है, “नगर निगम दिल्ली के 13,000 करोड़ रुपए की बकाया राशि न देने पर, आज, मुख्यमंत्री निवास स्थान पर केजरीवाल सरकार के ख़िलाफ़ तीनों निगम के पार्षदों द्वारा धरना प्रदर्शन जारी है।”
अगले ट्वीट में लिखा गया, “अपनी नाकामियों का ठीकरा दिल्ली सरकार दूसरे राज्यों पर फोड़ती आई है और अब नगर निगम, जो दिल्लीवासियों के लिए वास्तव में काम करती है, उसे भी पंगु बनाने में जुटी हुई है। मुख्यमंत्री जी शर्म करो, निगम का बकाया पैसा जारी करो।”
इसी क्रम में अगले ट्वीट में कहा गया, “केजरीवाल सरकार दलगत राजनीति से ऊपर उठकर दिल्ली के विकास और जन सेवा के लिए निगमों का बकाया 13000 करोड़ रुपए तत्काल प्रभाव से दे। निगमों को पंगु बनाना बंद करे केजरीवाल सरकार।”
शेयर किए गए वीडियो में प्रदर्शनकारियों को कहते सुना जा सकता है कि केजरीवाल सरकार ने उनसे वादा किया था कि सारा बकाया चुकाया जाएगा और उनसे यह भी कहा गया था कि वह लोग उनसे आकर कभी भी मिल सकते हैं। प्रदर्शनकारी कहते हैं कि आज सुबह जब वे मुख्यमंत्री से मिलने आए तो कहा गया कि वह उनसे मिलेंगे, लेकिन थोड़ी देर बाद सीएम बिन कुछ कहे और बिना उनसे मिले चले गए।
अब मुख्यमंत्री का रवैया देखकर प्रदर्शन पर बैठे लोगों का कहना है कि वह उनके आवास पर बैठे हैं और जब सीएम वापस आएँगे तब वह पहले उनसे बात करेंगे और तभी उनको अंदर जाने दिया जाएगा। प्रदर्शनकारी कहते हैं, “उन्होंने अगर हमारा पैसा क्लियर किया तो हम यहाँ से जाएँगे, वरना सभी सफाई कर्मचारी हड़ताल पर जाने को तैयार हैं। यदि दिल्ली में कोरोना की चौथी लहर आई तो उसके जिम्मेदार भी मुख्यमंत्री ही होंगे।”
प्रदर्शनकारी बताते हैं, “ये पैसा कोई हमारा नहीं है। ये राज्य वित्त आयोग जिसका गठन राज्य सरकार ने किया है, उसकी सिफारिश के अनुसार तीनों नगर निगम का पैसा 13,500 करोड़ रुपया नगर निगम को दिल्ली सरकार से लेना है।”
उल्लेखनीय है कि अपने आवास पर निगम पार्षदों की सुनवाई करने की बजाय दिल्ली मुख्यमंत्री केजरीवाल ने थोड़ी देर पहले अपने ट्विटर पर किसान प्रदर्शन की वीडियो शेयर की है। इस वीडियो में वह कहते नजर आ रहे हैं कि किसानों की माँग बिलकुल जायज है और उनकी पार्टी शुरू से इस संघर्ष में साथ हैं।
वह कहते हैं कि शुरू-शुरू में जब किसान बॉर्डर पर आए तो केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस ने उनसे 9 स्टेडियम माँगे। बहुत दबाव बनाया गया ताकि किसान दिल्ली आए और उन्हें पकड़कर स्टेडियम में डाल दिया जाए, लेकिन उनकी सरकार ने परमिशन नहीं दी और इससे आंदोलन को बढ़ने में मदद मिली। इसके बाद से उनकी पार्टी से जुड़े सभी लोग सेवादार की तरह किसानों की सेवा करने में लगे हैं। वह कहते हैं कि वह आज भी प्रोटेस्ट में बतौर सेवादार ही पहुँचे हैं।
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