एमडीएच मसालों वाले महाशय जी नहीं रहे वह 98 साल के थे
महाशय धर्मपाल गुलाटी का जन्म 27 मार्च 1923 में पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ था और यहीं से उनके व्यवसाय की नीव पड़ी थी. कंपनी की शुरुआत एक छोटी सी दुकान से हुई, जिसे उनके पिता ने विभाजन से पहले शुरू किया था. हालांकि 1947 में देश के विभाजन के समय उनका परिवार दिल्ली आ गया था. दिल्ली पहुंचने के बाद उन्होंने एक टांगा खरीदा, जिसमें वह कनॉट प्लेस और करोल बाग के बीच यात्रियों को लाने और ले जाने का काम करते थे. गरीबी से तंग आकर उन्होंने अपना तांगा बेच दिया और 1953 में चांदनी चौक में एक दुकान किराए पर ली. इसके बाद उन्होंने महाशिया दी हट्टी (MDH) नाम का दुकान खोला और मसालों का व्यापार का व्यापार शुरू किया. जैसे-जैसे लोगों को पता चला कि सियालकोट की देगी मिर्च वाले अब दिल्ली आ गए हैं, उनका कारोबार फैलता चला गया.
नयी दिल्ली:
मसालों की कंपनी महाशय दी हट्टी (MDH) के मालिक धर्मपाल गुलाटी का निधन हो गया है। धर्मपाल गुलाटी 98 वर्ष के थे। धर्मपाल गुलाटी कोरोना संक्रमित हो गए थे लेकिन वो उससे उबर चुके थे। इसके बाद हार्ट अटैक से उनका निधन 3 दिसंबर 2020 को सुबह 5:38 पर हुआ। महाशय दी हट्टी (MDH) के मालिक धर्मपाल गुलाटी को व्यापार और उद्योग खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में बेहतर योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
धर्मपाल गुलाटी का जन्म 27 मार्च 1923 को पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ था। सियालकोट में इनके पिताजी की मसालों की एक छोटी सी दुकान थी, जिसका नाम महाशय दी हट्टी था। इसी महाशय दी हट्टी से नाम आया M – महाशय D – डी H – हट्टी यानि MDH
मसालों के इतने बड़े व्यापार को स्थापित करने वाले धर्मपाल गुलाटी सिर्फ चौथी तक पढ़े थे। पाँचवीं में फेल होने के बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी थी।
देश के विभाजन के बाद 27 सितम्बर 1947 को इनका परिवार भारत आकर दिल्ली में रहने लगा। दिल्ली आकर इन्होंने न्यू दिल्ली रेलवे स्टेशन से कुतुब रोड और करोल बाग से बड़ा हिन्दू राव तक तांगा चलाने का काम किया।
तांगा चलाने वाले धर्मपाल गुलाटी ने कुछ पैसे बचा कर मसालों का काम करोल बाग से शुरू किया। 1953 में इन्होंने एक दूसरी दुकान चांदनी चौक में ली। और 1959 में इन्होंने दिल्ली के कीर्ति नगर में मसालों की एक फैक्ट्री लगा दी। इसके बाद MDH ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा।
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