एशिया की सबसे लंबी जोज़िला टनल देश को सामरिक महत्व का एक और तोहफा

इस सुरंग की नींव मई 2018 में ही रख दी गई थी। लेकिन टेंडर पाने वाली IL&FS दीवालिया हो गई। उसके बाद हैदराबाद की मेघा इंजिनियरिंग को 4,509.5 करोड़ रुपये में इसका ठेका मिलासरकार का दावा है कि वह प्रोजेक्‍ट की रीमॉडलिंग के जरिए 3,835 करोड़ रुपये बचा लेगी। पूरे प्रोजेक्‍ट की अनुमानित लागत 6,808.63 करोड़ रुपये है। जोजिला पास के नीचे करीब 3,000 मीटर की ऊंचाई पर यह सुंरग बनेगी। इसकी लोकेशन NH-1 (श्रीनगर-लेह) में होगी। जोजिला टनल का निर्माण-कार्य ऐसे समय में शुरू हो रहा है जब पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर चीन से पिछले पांच महीनों से टकराव चल रहा है. गड़करी ने कहा है कि इस टनल के बनने से श्रीनगर, द्रास, करगिल और लेह क्षेत्रों में हर मौसम के लिए कनेक्टिविटी स्थापित हो जाएगी।

  • सुरंग की लंबाई 14.15 किलोमीटर होगी, इसके अलावा 18.63 किलोमीटर लंबी एप्रोच रोड का निर्माण किया जाएगा, जिसे बनाने में 6809 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
  •  जो दूरी को तय करने में तीन घंटे लगते थे वो महज 15 मिनट में पूरी हो जाएगी।
  • सुरंग के निर्माण में 6 वर्ष का समय लगेगा, जबकि एप्रोच रोड को बनाने में 2.5 साल लगेंगे।

लद्दाख/जम्मू/ कश्मीर(ब्यूरो):

देश के इतिहास में एक पन्ना जुड़ने जा रहा है और 30 साल के लम्बे इंतज़ार के बाद अब भारत सरकार कश्मीर घाटी को लद्दाख से जोड़ने वाली टनल पर आज से काम शुरू करने जा रही है। इसकी नीव के लिए पहला विस्फोट सड़क परिवहन व राजमार्ग केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी के द्वारा किया जाएगा। देश के लिए सामरिक अहमियत वाली इस 14.15 किलोमीटर लंबी टनल का निर्माण करने में 6808.63 करोड़ का कुल खर्च आएगा।

2015 में पीएम मोदी ने रखी थी आधारशिला

इस टनल को बनाने के लिए करीब तीस साल से मांग हो रही थी. साल 2005 में टनल बनाने के लिए प्रोजेक्ट की प्लानिंग शुरू हुई थी और प्रोजेक्ट रिपोर्ट साल 2013 में बीआरओ यानि बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (Border Road Organisation) ने तैयार की थी. इसके बाद साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने इसकी आधारशिला रखी थी. इसके 5 साल बाद अब निर्माण कार्य शुरू होने जा रहा है.

देश को अटल टनल की सौगात देने के बाद केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर में सामरिक महत्व की एक और टनल का निर्माण शुरू करने जा रही है। केंद्रीय सड़क – परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के जरिए इस सुरंग के निर्माण के लिए पहला ब्लास्ट किया। सेना और सिविल इंजीनियरों की एक चोटी की टीम जोजिला-दर्रे के पहाड़ को काट कर इस सुरंग का निर्माण करेगी। 

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने खुद ट्वीट कर भारत सरकार के इस महात्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी दी है। बता दें कि टनल का निर्माण-कार्य ऐसे समय में शुरू हो रहा है जब पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर चीन से पिछले पांच महीनों से टकराव चल रहा है। गड़करी ने कहा है कि इस टनल के बनने से श्रीनगर, द्रास, करगिल और लेह क्षेत्रों में हर मौसम के लिए कनेक्टिविटी स्थापित हो जाएगी। इसके अलावा दोनों स्थानों के बीच यात्रा में लगने वाले समय में 3 घंटे 15 की कमी आएगी।

इस टनल के बनने से लैंड स्लाइड की आशंकाओं के बगैर नेशनल हाईवे वन पर श्रीनगर से लेह के बीच यात्रा की जा सकेगी। इस प्रोजेक्ट के तहत 14.15 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाई जाएगी, इसके अलावा 18.63 किलोमीटर लंबी एप्रोच रोड का निर्माण किया जाएगा। इस तरह से पूरे प्रोजेक्ट में 32.78 किलोमीटर लंबा सड़क बनाया जाएगा। 

इस पूरे प्रोजेक्ट के निर्माण में 6808.63 करोड़ रुपये की लागत आएगी. सुरंग के निर्माण में 6 वर्ष का समय लगेगा, जबकि एप्रोच रोड को बनाने में 2.5 साल लगेंगे।

जोजिला टनल का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद पूरा लेह-लद्दाख, करगिल-द्रास और सियाचिन सालों भर देश के बाकी हिस्सों से सड़क मार्ग से जुड़ा रहेगा। अभी इनमें से कई क्षेत्रों में सड़क मार्ग से कनेक्टिविटी साल के 6 महीने तक ही हो पाती है। सर्दियों के मौसम में यहां जाने वाली मौजूदा सड़कें बर्फ से ढक जाती हैं, लेकिन ये सुरंग इस समस्या को दूर कर देगी। इस नए सुरंग की मदद से इन इलाकों में सेना की मूवमेंट बेहद आसान हो जाएगी। 

जोजिला टनल केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और लद्दाख के बीच सामाजिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करेगी। 

बता दें कि जोजिला दर्रा दुनिया के सबसे खतरनाक रास्तों में से एक है। इस दुर्गम रास्ते में वाहन चलाना बेहद चुनौतीपूर्ण और खतरे से भरा है।  

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