“The country’s image must not be disfigured through intolerant governmental approach” Sr॰ Badal

Chandigarh October 2, 2020:

Five-time Punjab Chief Minister    Parkash Singh Badal today asked the Governments of India as well as of the state to follow a policy of consensus and constructive conciliation rather than repressive confrontation on sensitive national issues.

“The country’s image must not be disfigured through intolerant governmental approach” said Mr Badal.

Mr Badal said that the entire state was enthused yesterday by “the Panthic fervor in the Akali wave to support our beleaguered farmers. This was a great spectacle for those who cherish democratic Panthic traditions.”

In a statement here, the country’s most senior statesman reminded the government of the need for consensus, saying, “Confrontation, especially violent confrontation, was dangerous and harmful in a country which prides itself on its rich diversity. “This diversity must not only be preserved but genuinely respected and promoted by everyone tasked with shaping our nation’s destiny.”

Mr Badal emphasized the need for respecting genuine cooperative federalism on the one hand and democratic dissent on the other.  “A healthy respect for our religious, linguistic, regional and political diversity is the cornerstone of our Constitution and only a democratic and federal approach can make us a global political, economic and moral leader of the new world,” said Mr Badal.

The Akali stalwart described as “shocking and utterly uncalled for” last night’s repressive use of force by the police against Akali workers peacefully agitating for the farmers.  “There was nothing unconstitutional or abnormal in protesters’ behavior or demands. It is everyone’s fundamental right to be heard through peaceful democratic manner” he said, reiterating that in the Governor’s shoes, he would have walked barefoot to meet the peaceful agitators.

भारत विकास परिषद चंडीगढ़ ,एवं हिंदू पर्व महासभा के द्वारा संयुक्त रूप से चंडीगढ़ के मंदिरों में रुद्राक्ष के पौधे लगाए जा रहे है

चंडीगढ़(ब्यूरो):

इस श्रृंखला में 2-10-20 को सेक्टर 41 के श्री दुर्गा मंदिर, धानास के श्री सनातन धर्म मंदिर सभा , सारंगपुर के श्री नर्मदेश्वर महादेव शिव मंदिर में विद्वानों द्वारा पूर्ण विधि-विधान और मंत्रोचार से रुद्राक्ष के पौधे लगाए गए।

इस अवसर भारत विकास परिषद के अजय सिंगला जी (प्रोजेक्ट कॉर्डिनेटर व सचिव नॉर्थ जोन ) ने बताया कि चंडीगढ़ के मंदिरों में 101 रुद्राक्ष लगाने है यह प्रोजेक्ट तकरीबन 2 महीने और आगे चलेगा ।

सेक्टर 41 श्री दुर्गा मंदिर में हरदीप सिंह पार्षद वार्ड नंबर 10 ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज की।

इस अवसर पर अजय सिंगला जी (प्रोजेक्ट कॉर्डिनेटर व सचिव नॉर्थ जोन ), अशोक गोयल जी (उपाध्यक्ष संपर्क चंडीगढ़ प्रांत व अध्यक्ष वेस्ट ज़ोन ) , महेश गुप्ता जी (सचिव वेस्ट ज़ोन )विकास गोयल जी स्पत्नी (वित्त सचिव वेस्ट 2 ), एस के शर्मा जी ( सचिव नॉर्थ 1 ), रमेश सिंगला जी ( वित्त सचिव नॉर्थ 1 )।

हिंदू पर्व महासभा के बी पी अरोड़ा जी ( अध्यक्ष ) , अजय कौशिक ( लीगल एडवाइजर ), लक्ष्मीनारायण सिंगला जी (कोषाध्यक्ष), अरुणेश अग्रवाल ( उपाध्यक्ष ), रतन लाल ( सदस्य ) राजेंद्र गुप्ता जी (उपाध्यक्ष ) विशेष रूप से उपस्थित रहे।

यूपी में लगाया जाए राष्ट्रपति शासन, कांग्रेसियों ने पंचकूला उपायुक्त को सौंपे ज्ञापन

पंचकूला, 02 अक्तूबर:

उत्तर प्रदेश में एक दलित लड़की के साथ हुए गैंगरेप और हत्या के मामले में पीड़ित परिवार से मिलने गए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ यूपी पुलिस की तरफ से किए गए दुर्व्यवहार की निंदा करते हुए पंचकूला के कांग्रेसजनों ने शुक्रवार को जिला उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा के निर्देश पर पूर्व उप मुख्यमंत्री चंद्रमोहन के नेतृत्व में सौंपे ज्ञापन में राष्ट्रपति से आग्रह किया गया है कि उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन  लगाया जाए। पंचकूला के कांग्रेसजनों ने मांग की है कि दलित के साथ घिनौना कृत्य करने वालों को जल्द से जल्द फांसी की सजा दिलवाई जाए। हाथरस जिला प्रशासन के तमाम अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए क्योंकि जिला प्रशासन अपराधियों को संरक्षण दे रहा है और पीड़ित परिवार को धमका रहा है। ज्ञापन सौंपने वालों में नगर परिषद पंचकूला के पूर्व प्रधान रविंद्र रावल, महिला कांग्रेस अध्यक्ष  सुधा भारद्वाज, पूर्व मेयर उपिंद्र कौर वालिया, पूर्व प्रधान मनवीर कौर गिल, पूर्व विधायक लहरी सिंह, कांग्रेस नेता हेमंत किंगर, सुषमा खन्ना , डॉ. राम प्रसाद, बालक राम, अछरु राम, रंजीता मेहता, राजीव भुक्कल, विजय धीर, सचिन, पूर्व पार्षद कुलजीत वड़ैच, शरणजीत कौर, विकास चौधरी, सुनीता देवी, विनोद कुमार, गौतम प्रसाद, कमलेश शर्मा, कमलेश लोहाट, ओम शुक्ला, नरेश शर्मा, पवन जैन और अन्य शामिल थे।

Police Files, Chandigarh – 02 October

Korel ‘Purnoor’, CHANDIGARH – 02.10.2020

Attempt to murder/Assault

          A case FIR No. 122, U/S 307, 34, 341, 506 IPC has been registered in PS-11, Chandigarh on the complaint of Deepak Chand R/o # 4186, Sector-56, Chandigarh who alleged that his wife and brother-in-law namely Ankit R/o Village Sankarpur, Distt. Dehradun, Uttrakhand attacked on complainant with a scissor at the parking area near Dainik Bhaskar building, Sector 25, Chandigarh on 01.10.2020. Complainant got injured and admitted in PGI, Chandigarh. Later both alleged persons have been arrested in this case. Investigation of the case is in progress.

Causing death by negligence

          A case FIR No. 162, U/S 304A IPC has been registered in PS-26, Chandigarh on the statement of Amrit Lal R/o # 2061A, EWS Flats, Dhanas, Chandigarh against Ramavtar R/o # 3167, Sector 27D, Chandigarh due to his negligence two persons Jitender and Biru electrocuted in water tank at his house on 01.10.2020. Both were declared dead at GH-16, Chandigarh. Alleged person arrested and later bailed out. Investigation of case is in progress.

Action against Gambling/Satta

          Chandigarh Police arrested Shamshad Ali R/o # 1641, Main Bazar, Manimajra, Chandigarh while he was playing satta near parking area of RIMT School, Manimajra, Chandigarh on 01.10.2020. Total cash Rs. 2230/- was recovered from his possession. In this regard, a case FIR No. 152, U/S 13A-3-67 Gambling Act has been registered in PS-MM, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

          Chandigarh Police arrested Vinod Kumar R/o # 2024, Mauli Jagran Complex, Chandigarh (age 26 years) while he was playing satta near # 2015, Mauli Jagran Complex, Chandigarh on 01.10.2020. Total cash Rs. 1340/- was recovered from his possession. In this regard, a case FIR No. 180, U/S 13A-3-67 Gambling Act has been registered in PS-Mauli Jagran, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

Snatching

Amit Kumar R/o Gautam Nagar, Gohana, Sonipat, (HR) alleged that three unknown persons on a motorcycle snatched away the cash Rs. 3000/- from complainant at Part 2, Mauli Jagran, Chandigarh on 01.10.2020. A case FIR No. 179, U/S 379A, 356, 34 IPC has been registered in PS-Mauli Jagran, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

Disaster Management Act

A case FIR No. 187, U/S 51B Disaster Management Act 2005 has been registered in PS-36, Chandigarh against Naresh Dilawari R/o # 3440, Sector-35D, Chandigarh who went out of containment zone and violated the guidelines of containment zone from # 3437 to 3443, Sector 35D, Chandigarh on 30.09.2020. Investigation of the case is in progress.

शास्त्री जयंती पर विशेष: किसी भी मुगालते में नहीं रहते थे शास्त्री

यह किस्सा तबका है जब लाल बहादुर शास्त्री गृह मंत्री थे. एक बार वे और मशहूर पत्रकार कुलदीप नैयर दिल्ली के क़ुतुब एन्क्लेव इलाके से वापस आ रहे थे. दिल्ली के एम्स के पास एक रेलवे फाटक था. ट्रेन आने वाली थी. फाटक बंद था. गृह मंत्री की गाड़ी रुक गयी. कार के बगल में गन्ने वाले को देखकर शास्त्री बोले, ‘कुलदीप, जब तक फ़ाटक खुलता है क्यूं न गन्ने का रस पिया जाए?’ जब तक कुलदीप नैयर कुछ कहते, लाल बहादुर शास्त्री उतरे, गन्ने वाले को पैसे दिए और दो गिलास रस ले आये. कुछ देर बाद फ़ाटक खुला और उनकी गाड़ी आगे बढ़ गयी. गन्ने वाले को शायद ही पता चला हो कि उसका ग्राहक गृह मंत्री था. उस जमाने में प्रधानमंत्री की भी गाड़ी में एक ही सिपाही होता था. ऊपर से शास्त्री जी तो किसी भी तरह से रोबीले व्यक्ति नहीं लगते थे. उनका आचरण बेहद सादगी भरा था. इतना कि जब वे गृह मंत्री नहीं रहे तो अपने घर में ज़रूरत से ज़्यादा बिजली इस्तेमाल नहीं करते थे. जब किसी ने पूछा कि क्यों वे अक्सर एक बल्ब की रोशनी में ही काम निपटाते हैं तो उनका ज़वाब था, ‘अब मैं गृह मंत्री नहीं हूं, इतना ख़र्च नहीं उठा सकता.’

चंडीगढ़ (ब्यूरो):

भारतीय राजनीति में जब भी सादगी की बात होगी, लाल बहादुर शास्त्री सबसे पहले पायदान पर होंगे. पर देश को संभालने के लिए सादगी काफी नहीं होती. शास्त्री की सादगी उनके व्यक्तित्व पर अक्सर भारी रही है. लेकिन सादगी उनके व्यक्तित्व का सिर्फ एक पक्ष थी. संकटों को सुलझाने की उनकी काबिलियत और मजबूत फैसले करने जैसी बातें भी उन्हें बाकी राजनेताओं से अलहदा बनाती थीं.

बतौर गृहमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने चीन की लड़ाई देखी थी और जवाहर लाल नेहरू की तरह वे चीन को लेकर किसी मुगालते में नहीं थे. एक साक्षात्कार में कुलदीप नैयर ने इस बात का जिक्र किया था. कुलदीप नैयर के मुताबिक शास्त्री ने उनसे कहा था, ‘चीन एक दिन धोखा देगा और पंडितजी ये बात समझ नहीं रहे हैं’.

ऐसा ही हुआ. जंग हुई, रणनीतिक ग़लतियां हुईं और भारत हारा. इस हार के पीछे लेफ्टिनेंट जनरल कौल का पूर्वी कमान का अध्यक्ष होना एक कारण बताया जाता है. कौल कश्मीरी थे और रक्षा मंत्री वीके मेनन के ख़ास विश्वस्त. फौज से ज़्यादा फौजियों के हाउसिंग प्रोजेक्ट में दिलचस्पी लेकर वे अपनी समाजवादी छवि चमकाने में लगे रहते. शास्त्री कौल की नियुक्ति पर अपनी नाराज़गी ज़ाहिर कर चुके थे, पर उनकी नहीं सुनी गई. बताते हैं कि चीन के हमला बोलने के कुछ दिनों बाद कौल साहब पेट की गड़बड़ी को लेकर दिल्ली चले आये थे. दरअसल, वे मोर्चे पर सारे गलत रणनैतिक फ़ैसले कर रहे थे और देश ख़ामियाज़ा भुगत रहा था. उनकी ग़ैर मौजूदगी में लेफ्टिनेंट जनरल हरबक्श सिंह ने दिलेरी से कमान संभाली. इसके पहले अपने पर अमिट कलंक लगे, जनरल कौल वापस कमान संभालने आ गए. पर तब तक चीन जंग जीत चुका था.

जब चीन ने एकतरफ़ा युद्ध विराम किया तो लाल बहादुर शास्त्री असम के तेजपुर गए. जनरल कौल ने उन्हें शांति समझौता करने की सलाह दी. शास्त्री ने अनसुना कर दिया. उनके रवैये से कौल समझ गए कि उनके दिन पूरे हो गए हैं. हार के कई कारण थे. नेहरू का चीन को लेकर ग़लत आकलन, फौज में संसाधनों की कमी की तत्कालीन सेनाध्यक्ष पीएन थापर की शिकायत न सुना जाना और मोर्चे पर लेफ्टिनेंट जनरल कौल की रणनीतिक गलतियां. पर ठीकरा फूटा सेनाध्यक्ष थापर के सर पर. उन्हें इस्तीफ़ा देने का हुक्म सुना दिया गया. संसद तो वीके मेनन की गर्दन लेकर ही शांत हुई.

इस हार से भारत की स्थिति कमज़ोर हुई, पश्चिमी देश भारत पर कश्मीर को लेकर पाकिस्तान से बातचीत करने का दबाव बनाने लगे. अमेरिका ने इसके लिए नेहरू के बजाय शास्त्री को तरजीह देने की कोशिश की. इससे पता चलता है कि उनका रसूख़ बढ़ गया था.

फिर कुछ दिनों बाद कश्मीर में ‘मू-ए-मुक़द्दस’ का मामला हो गया. यह पैगंबर साहब के बाल की चोरी की घटना थी. इसे संभालने में अगर ज़रा सी भी चूक हो जाती तो भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में तो हिंदू-मुस्लिम दंगे होते ही, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुस्लिम देशों में भारत की किरकिरी हो जाती. शास्त्री इस दौरान गृह मंत्री नहीं थे. वे ‘मिनिस्टर विदआउट पोर्टफ़ोलियो’ कहे जाते थे पर नेहरू को किसी और पर यकीन नहीं था. उन्होंने शास्त्री को ही इसे संभालने का ज़िम्मा दिया और शास्त्री ने निराश नहीं किया. अब वे नेहरू के बाद प्रधानमंत्री की कुर्सी के और मज़बूत दावेदार बन गए थे. इतने कि अमेरिकन पत्रकार वैलेस हेन्गेन अपनी किताब ‘आफ्टर नेहरु हू’ में सीधे-सीधे तौर पर शास्त्री को उनका उत्तराधिकारी घोषित किया.

नेहरू के अचानक निधन की वजह से जब कांग्रेस में प्रधानमंत्री बनने की दौड़ मची तो लाल बहादुर शास्त्री पीछे ही रहे. मोरारजी देसाई ने खुल्लमखुल्ला अपनी दावेदारी पेश की थी. शास्त्री का रुख इसके ठीक उलट था. वे पार्टी में चुनाव के बजाय रायशुमारी से पीएम बनने की बात कर रहे थे. यह तब है जब वे ‘कामराज प्लान’ के तहत गृह मंत्री के पद से इस्तीफ़ा देकर एक बल्ब की रोशनी में काम करते थे. राजनीति में कुर्सी न हो, तो कोई नहीं पूछता. लेकिन शास्त्री तब भी लोकप्रिय थे.

1965 की भारत-पाक जंग लाल बहादुर शास्त्री जीवन का सबसे कठिन इम्तिहान थी. जिस तरह नेहरू चीन से दोस्ती की बात करते थे उसी तरह शास्त्री पाकिस्तान के साथ रिश्ते सुधारने के इच्छुक थे. पाकिस्तान के मुखिया अयूब खान ने उनके पीएम बनने को दोनों मुल्कों के रिश्ते के लिए शुभ माना था. किस्मत की बात कहें या शास्त्री का कॉमन सेंस कि वे किसी भुलावे में नहीं आये. जब कच्छ में दोनों मुल्कों की सेनाओं के बीच झगड़े बढ़े तो उन्होंने पलटवार करने में नेहरू की तरह देर नहीं लगाई. यहां वही लेफ्टिनेंट जनरल हरबक्श सिंह पश्चिमी कमान संभाल रहे थे. वे पेट की ख़राबी को लेकर दिल्ली नहीं आये, बल्कि उनकी दिलेरी ने पाकिस्तानी अफ़सरों का हाज़मा ज़रूर ख़राब कर दिया.

भारत का पलड़ा भारी होने पर भी इस युद्ध का परिणाम तो ड्रा ही कहा जाता है. तिथवाल और हाजी पीर कब्ज़े में आ गया था, भारतीय सैनिक लाहौर हथिया सकते थे, पर 23 सितंबर को हुए युद्धविराम ने कई लोगों को चौंका दिया. कुलदीप नैयर अपनी किताब ‘बियॉन्ड द लाइन्स’ में लिखते हैं कि शास्त्री ने फ़ीरोज़पुर दौरे के दौरान सैनिकों को युद्धविराम की घोषणा के पीछे ‘फॉरेन प्रेशर’ की बात कही. उन्होंने कहा कि अमेरिका के दबाव में उन्हें ऐसा करना पड़ा क्योंकि वह भारत को आर्थिक और खाद्य मदद दे रहा था.

युद्ध के बाद लाल बहादुर शास्त्री काफ़ी लोकप्रिय हो गए थे. उनका, ‘जय जवान, जय किसान’ नारा लोगों के सर चढ़कर बोला. एक हार्टअटैक झेल चुके शास्त्री जब पाकिस्तान से बातचीत करने ताशकंद गये तो लोगों की उम्मीदों का पहाड़ भी अपने साथ ले गए. भारत-चीन युद्ध की खटास को इस लड़ाई के अंजाम ने कम जो किया था. ताशकंद समझौते को लेकर देश में अलग-अलग राय बनी. कुछ को यह भारत के हित में लगा, तो कुछ ने शास्त्री की देश-विरोधी कहा. बताया जाता है कि समझौते की रात उन्होंने घर फ़ोन करके परिवार वालों की राय मांगी तो उन्हें निराशा हुई. उसी रात शास्त्री का दिल कमज़ोर पड़ा और हमेशा के लिए थम गया.

कुलदीप नैयर लिखते हैं कि वैलेस हेन्गेन की तरह उन्होंने शास्त्री से पूछा था कि उनकी सेहत ख़राब रहती है और अगर कुछ अनहोनी हो गयी तो, ‘आफ्टर शास्त्री हू?’. शास्त्री का जवाब था कि अगर वे तीन या चार साल और जीवित रहे तो यशवंतराव बनें और अगर वे एक या दो साल में चल बसें तो इंदिरा गांधी को उनका उत्तराधिकारी चुना जाना चाहिए.

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पंचांग, 02 अक्टूबर 2020

आज 2 अक्टूबर को हिंदू पंचांग के अनुसार शुक्रवार है. लक्ष्मी देवी का दिन ज्योतिष विद्या के अनुसार शुक्रवार माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी का पूजन करने वो प्रसन्न होती हैं और भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं. 

विक्रमी संवत्ः 2077, 

शक संवत्ः 1942, 

मासः द्वितीय (अधिक) आश्विनी (मल) मास, 

पक्षः कृष्ण पक्ष, 

तिथिः प्रतिपदा रात्रि 04.57 तक है, 

वारः शुक्रवार, 

नक्षत्रः रेवती (की वृद्धि जो कि शनिवार को प्रातः 08.51 तक है), 

योगः ध्रुव रात्रि 09.12 तक, 

करणः बालव, 

सूर्य राशिः कन्या, 

चंद्र राशिः मीन, 

राहु कालः प्रातः 10.30 बजे से दोपहर 12.00 बजे तक, 

सूर्योदयः 06.18, 

सूर्यास्तः 06.02 बजे।

नोटः आज गण्डमूल है और महात्मा गांधी जयंती है।

विशेषः आज पश्चिम दिशा की यात्रा न करें। शुक्रवार को अति आवश्यक होने पर सफेद चंदन, शंख, देशी घी का दान देकर यात्रा करें।