Tuesday, February 4

 मनोज त्यागी, करनाल – 11 सितम्बर:

                राज्य सरकार के विभिन्न सरकारी विभागों की तरफ वर्षों से बकाया चले आ रहे 40 करोड़ रूपये से भी अधिक सम्पत्ति कर के चालू मास के दौरान नगर निगम के खजाने में आने की उम्मीद बंधी है। उपायुक्त एवं नगर निगम आयुक्त निशांत कुमार यादव ने शुक्रवार को विकास सदन के सभागार में करीब एक दर्जन विभागों के अधिकारियों व प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर उन्हें एक पखवाड़े की मोहलत देकर प्रॉपर्टी टैक्स की रकम जमा करवाने के निर्देश दिए। इस मामले में सकारात्मक कदम ना उठाने वाले अधिकारियों के खिलाफ नगर निगम अधिनियम में दी गई कार्रवाई करने के भी बात कही।

                      आयुक्त ने कहा कि नगर निगम अपने समस्त नागरिकों को वर्षभर मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवाता है और यह सब करने के लिए एकमात्र सोर्स प्रॉपर्टी टैक्स है, जो ईमानदारी व समय से नगर निगम के खजाने में आना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोविड के बाद स्थिति ओर बदल गई है, सरकार की तरफ से साफ-साफ कहा गया है कि नगर निगम अपने खर्चे चलाने के लिए अपने सोर्स से फंड एकत्रित करे। उन्होंने बताया कि निगम का सालाना खर्च 80 से 85 करोड़ रूपये है, जबकि आय मात्र 25 से 30 करोड़ हो रही है। ऐसे में खर्च चालाना कितना मुश्किल है, इस बात का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। दूसरी ओर नागरिकों को सभी मूलभूत सुविधाएं चाहिएं। इसे देखते सभी सरकारी विभागों को सरकार से अपने-अपने ड्यूज की मांग कर निगम के खजाने में जमा करवाने की तत्परता दिखानी चाहिए।  किस विभाग की ओर कितना बकाया- निगम आयुक्त ने मीटिंग में आए अलग-अलग विभागों के प्रतिनिधियों को ब्याज सहित उनके ड्यूज बताए और यह भी कहा कि आगामी 31 अक्तूबर तक यदि सभी विभाग सम्पत्ति कर की बकाया राशि को एकमुश्त जमा करवाते हैं, तो उन्हें समस्त ब्याज की छूट का लाभ मिलेगा। खास बात यह है कि इसमें 60 से 70 प्रतिशत राशि की भारी छूट मिल सकती है। उन्होंने बताया कि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण की तरफ 65 लाख 340 रूपये, उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम तथा हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम की ओर 3 करोड़ 14 लाख 44 हजार 395 रूपये, कृषि विभाग की ओर 20 लाख 42 हजार 603 रूपये, जिला परिषद की ओर 68 लाख 79 हजार 613 रूपये, सहकारी चीनी मिल की ओर 3 करोड 94 लाख 24 हजार 657 रूपये, सहकारी बैंक की ओर 2 लाख 69 हजार 775 रूपये, सिंचाई विभाग की ओर 1 करोड़ 7 लाख 23 हजार 57 रूपये, जन स्वास्थ्य विभाग की ओर 1 करोड़ 64 लाख 56 हजार 765 रूपये, लोक निर्माण विभाग (भवन एवं सड़कें) की ओर 2 करोड़ 76 लाख 63 हजार 161 रूपये, मार्किटिंग बोर्ड की ओर 17 लाख 99 हजार 917 रूपये, एच.ए.पी. मधुबन की ओर 26 करोड़ 35 लाख 3 हजार 152 रूपये तथा खेल विभाग की ओर 81 लाख 21 हजार 663 रूपये का कुल सम्पत्ति कर बताया।

                 सम्पत्ति कर को लेकर आयुक्त ने उपस्थित अधिकारियों की बात सुनी और उन द्वारा उठाए गए इशुयों का समाधान किया। उन्होंने बताया कि सम्पत्ति कर का आंकलन सम्पत्ति मालिक या उसका प्रयोग करने वाले के नाम पर होता है। यदि एक ही विभाग के नाम सम्पत्ति टुकड़ो में बंटी है या अलग-अलग तरीके से प्रयोग में ली जा रही है, तो उसकी अलग-अलग आई.डी. नगर निगम से बनवा लें, रेंट या टैक्स भी तदानुसार ही निर्धारित हो जाएगा। उन्होंने विभागीय अधिकारियों से कहा कि इसमें चिंता करने की कोई बात नही है, किसी की जेब से टैक्स नही जाएगा, सरकार से सरकार को जाना है। सभी अधिकारी अपने-अपने मुख्यालय से सम्पर्क कर टैक्स की मांग कर लें। पहले उन्होंने इसके लिए एक सप्ताह का टाईम दिया और फिर एक सप्ताह ओर बढ़ाते हुए 15 दिन कह दिए। उन्होंने कहा कि 15 दिन या एक पखवाड़ा बीत जाने के बाद सभी विभागों के अधिकारियों के साथ दोबारा मीटिंग करेंगे।