मनोज त्यागी करनाल 3 सितम्बर:
रेड जोन व येलो जोन में प्राथमिकता के आधार पर स्थापित करें सीएचसी मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा
फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा ने वीरवार को वीसी के माध्यम से जिला उपायुक्तों, कृषि अधिकारियों, एफपीओ, सीएचसी के संचालकों तथा प्रगतिशील किसानों के साथ विस्तार से चर्चा की और कहा कि पिछले वर्ष पराली जलाने की घटनाओं में काफी कमी आई थी, लेकिन इस वर्ष का लक्ष्य निर्धारित करके पराली की जीरो बर्निंग होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि धान का सीजन शुरू होने वाला है, इससे पहले प्रत्येक जिले में पराली न जलाने को लेकर एक कार्य योजना तैयार की जाए, जिसके तहत गांव-गांव पहुंचकर किसानों को जागरूक किया जाए और इस बुराई को रोकने के लिए सामाजिक आंदोलन का रूप दें। वीसी में कृषि विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल, पंचायत विभाग के प्रधान सचिव सुधीर राजपाल, कृषि विभाग के महानिदेशक विजय कुमार भी उपस्थित रहे।
वीडियो कांफ्रैंसिंग में मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि किसानों की जागरूकता के लिए गांव-गांव में पंचायतों के सहयोग से शिविर लगाए जाएं, जिसमें कृषि अधिकारियों के अलावा जन प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाए। इसके अलावा ब्लॉक व जिला मुख्यालय पर भी ऐसे शिविरों का आयोजन किया जाए जिसमें संबंधित जिला के उपायुक्त भाग लें और किसानों को पराली न जलाने बारे जागरूक करें। उन्होंने कहा कि सीएचसी (कस्टम हेयरिंग सैंटर) में आधुनिक कृषि यंत्रों की उपलब्धता हो और यह भी सुनिश्चित किया जाए कि किसानों को न्यूनतम किराया पर मिले ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान इन यंत्रों का प्रयोग करके पराली को जलाने की बजाय उसका समुचित प्रबंधन कर सके। उन्होंने बताया कि फसल अवशेष प्रबंधन से संबंधित कृषि उपकरण सरकार की ओर से सीएचसी में 80 प्रतिशत अनुदान राशि पर दिए जाते हैं। हाल ही में कृषि विभाग ने निर्णय लिया कि लघु एवं सीमांत किसानों के लिए 100 प्रतिशत उपकरणों में से 70 प्रतिशत उपकरण इनके लिए आरक्षित हों। उन्होंने यह भी बताया कि बेलर का प्रयोग करने वाले लघु एवं सीमांत किसानों को प्रति एकड़ 1 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि भी कृषि विभाग द्वारा दी जाएगी।
फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर जिला में 20 पराली खरीद केन्द्रों की जल्द होगी स्थापना : उपायुक्त निशांत कुमार यादव।
वीडियो कांफ्रैंसिंग में उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने बताया कि जिला में अब तक 249 सीएचसी स्थापित हो चुकी हैं तथा इस वर्ष 92 सीएचसी स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है जिसमें 80 सीएचसी सामान्य वर्ग के किसानों के लिए तथा 12 सीएचसी एससी वर्ग के लिए आरक्षित रखी गई हैं। उन्होंने यह भी बताया कि 95 सीएचसी ग्राम पंचायतों में स्थापित की गई हैं, इन सभी के माध्यम से न्यूनतम किराए पर किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन से संबंधित उपकरण उपलबध करवाए जाते हैं। इसके अलावा जिला में 20 पराली खरीद केन्द्र की भी स्थापना जल्द की जाएगी। इसके लिए कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा स्थान निर्धारित कर दिए गए हैं ताकि किसानों को अपने नजदीक के खरीद केन्द्र पर पराली बेच सकें और पराली को जलाने की बजाए अपनी आमदनी का साधन बना सकें। उपायुक्त ने बताया कि पराली में आग लगने की घटना के अनुसार जिले के 13 गांव रेड जोन में तथा 52 गांव येलो जोन में आते हैं। इन गांवो में प्राथमिकता के आधार पर कस्टम हायरिंग सेण्टर स्थापित करने के लिए ऑफलाइन आवेदन कृषि विभाग द्वारा 7 सितम्बर 2020 तक आमंत्रित किए हैं। जल्द ही इनमें सीएचसी सैंटर स्थापित करवा दिए जाएंगे।
वीसी में उप कृषि निदेशक डा. आदित्य प्रताप डबास, सहायक कृषि अभियंता इंजीनियर जगदीश मलिक, तकनीकी अधिकारी डा. कमल बेनिवाल, जूनियर इंजीनियर अनिल कुमार, सीएचसी नेवल के संचालक राजेश कुंजपुरा, प्रगतिशील किसान गुरलाल जुंडला, सुखविंद्र नबीपुर, शक्ति सिंह माजरा रोड़ान, तुषार कुंजपुरा व बॉयोगैस के एक्सपर्ट अमित अग्रवाल उपस्थित रहे।