23 जुलाई : हरियाली तीज व्रत
हरियाली तीज सावन महीने में आने वाला, स्त्रियों का मुख्य पर्व है. हिन्दू पंचांग के अनुसार, इसे सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को धूमधाम के साथ मनाया जाता है. सावन महीने में आने के कारण, इसे श्रावणी तीज भी कहा जाता है. इस बार हरियाली तीज कल यानी 23 जुलाई (गुरुवार) को मनाई जाएगी. कुछ जगह इसे कजली तीज के नाम से भी जाना जाता है. तीज का त्योहार सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत खास होता है. इस दिन सुहागन स्त्रियां व्रत रखती हैं. मां पार्वती और शिव जी की पूजा करके अपने पति की लंबी उम्र और सौभाग्य की प्रार्थना करती हैं. इस दिन महिलाएं बागों में झूला झूलती हैं और अपने हाथों पर मेहंदी भी रचाती हैं.
हरियाली तीज 2020 का शुभ मुहूर्त
(बुधवार) जुलाई 22, 2020 को 19:23:49 से तृतीया आरम्भ
(गुरुवार) जुलाई 23, 2020 को 17:04:45 पर तृतीया समाप्त
इस दिन मघा नक्षत्र होगा और व्यतीपात योग होने से इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ जाता है.
हरियाली तीज के विभिन्न नाम
इस दौरान पृथ्वी पर चारों ओर हरियाली ही हरियाली दिखाई देती है और यही कारण है कि इसे हरियाली तीज कहा जाता है. ये पर्व उत्तर भारत के राज्यों का मुख्य त्यौहार है, जिसके चलते इसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, झारखंड में हर साल हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है. ये पर्व विदेशों में रह रहे भारतीयों द्वारा भी मनाया जाता है. वहीं पूर्वी उत्तर प्रदेश में इसे कजली तीज के नाम से जाना जाता है. सालभर सावन और भाद्रपद के महीने में, कुल 3 तीज आती हैं, जिनमें पहली हरियाली तीज व छोटी तीज, दूसरी कजरी तीज और फिर अंत में हरतालिका तीज मनाई जाती है.
हरियाली तीज हर वर्ष नागपंचमी पर्व से, ठीक 2 दिन पूर्व मनाए जाने का विधान है. हरियाली तीज से लगभग 15 दिन बाद कजली तीज आती है. तीज का त्यौहार मुख्य रूप से महिलाओं में बेहद प्रसिद्ध होता है. इस दौरान महिलाओं द्वारा व्रत कर और सुंदर-सुंदर वस्त्र पहनकर, तीज के गीत गाए जाने की परंपरा है, जिसे सालों से निभाया जा रहा है.
हरियाली तीज का महत्व
हरियाली तीज का पर्व विशेष रूप से, भगवान शिव और मां पार्वती को समर्पित होता है. माना जाता है कि इस दिन ही, भगवान शिव पृथ्वी पर अपने ससुराल आते है, जहां उनका और मां पार्वती का सुंदर मिलन होता है. इसलिए इस तीज के दिन, महिलाएं सच्चे मन से मां पार्वती की पूजा-आराधना करते हुए, उनसे आशीर्वाद के रूप में अपने खुशहाल और समृद्ध दांपत्य जीवन की कामना करती हैं. इस पर्व में हरे रंग का भी अपना एक अलग महत्व होता है. विवाहित महिलाएं इस दिन अपने पीहर जाती हैं, जहां वह हरे रंग के वस्त्र जैसे साड़ी या सूट पहनती हैं. सुहाग की सामग्री के रूप में इस दिन हरी चूड़ियां पहने जाने का विधान है. साथ ही महिलाएं इस पर्व पर खास झूला डालने की परंपरा भी निभाती हैं.
यही कारण है कि इस दिन विवाहित महिलाएं और कुंवारी लड़कियां पूर्ण श्रृंगार करके झूला झूलती हैं. विवाहित महिलाओं के ससुराल पक्ष द्वारा इस दौरान सिंधारा देने की परंपरा है जो एक सास अपनी बहू को उसके मायके जाकर देती हैं. सिंधारे के रूप में महिला को मेहंदी, हरी चूड़ियां, हरी साड़ी, घर के बने स्वादिष्ट पकवान और मिठाइयां जैसे गुजिया, मठरी, घेवर, फैनी देती हैं. सिंधारा देने के कारण ही इस तीज को सिंधारा तीज भी कहा जाता है. सिंधारा सास और बहू के आपसी प्रेम और स्नेह का प्रतिनिधित्व करता है.
हरियाली तीज की संपूर्ण पूजा-विधि
हिन्दू धर्म में हर कार्य को करने और उससे शुभ फल प्राप्ति के लिए कुछ नियम बताएं जाते हैं. इसके अनुसार अगर उस कार्य को किया जाए तो उससे न केवल सफलता प्राप्त होने की संभावना बढ़ जाती है, बल्कि उसका फल भी अधिक मिलता है. इसलिए हरियाली तीज की पूजा-विधि के लिए भी शास्त्रों में, कुछ विशेष नियमों का उल्लेख किया गया है. आइए जानते हैं, हरियाली तीज की संपूर्ण पूजा-विधि.
- हरियाली तीज वाले दिन महिलाओं को ब्रह्म मुहूर्त में ही, प्रात: काल जल्दी उठना चाहिए.
- इसके बाद स्नान, आदि से स्वच्छ होकर, नए वस्त्र पहनने चाहिए.
- फिर पूजा घर की अच्छे से सफाई कर, वहां गंगाजल से छिड़काव करें.
- इसके पश्चात स्वच्छ मिट्टी से भगवान शिव, मां पार्वती और बाल गणेश जी की प्रतिमा या मूर्ति का निर्माण करना चाहिए. अगर ऐसा करना संभव न हो तो, आप समस्त शिव परिवार की मूर्ति अथवा चित्र भी पूजा घर में रख सकते हैं.
- अब एक चौकी पर स्वच्छ हरे रंग का वस्त्र बिछा लें और पूर्व दिशा की ओर मुंह करके भगवान का ध्यान करें.
- फिर उस चौकी पर भगवान शिव के परिवार की मूर्ति अथवा चित्र को स्थापित करें.
- इसके बाद ही वैवाहिक महिलाएं अपने समृद्ध दांपत्य जीवन की और कुवारी महिलाएं इच्छानुसार वर की प्राप्ति हेतु, सच्चे मन से हरियाली तीज का व्रत रखने का संकल्प लें.
- इसके बाद सर्वप्रथम भगवान बाल गणेश की पंचोपचार पूजा कर, उनका भी आशीर्वाद लें.
- अब भगवान महादेव और मां पार्वती की पूजा-आराधना करनी चाहिए.
- पूजा के दौरान मां पार्वती को श्रृंगार और सुहाग की संपूर्ण सामग्री और भगवान शिव को वस्त्र अर्पित करें.
- इसके बाद महिलाओं को तीज के व्रत की कथा पढ़नी या सुननी चाहिए.
- महिलाएं चाहे तो एक समूह बनाकर अन्य महिलाओं के साथ भी इस व्रत की कथा को पढ़ या सुन सकती हैं.
- इसके बाद सच्ची श्रद्धा से भगवान गणेश, भगवान शिव और मां पार्वती की पावन आरती करें.
- इस दौरान उन्हें नैवेद्य अर्पित करें और फिर उन्हें घर के बने स्वादिष्ट पकवानों का भोग लगाएं. फिर उसी प्रसाद को खुद ग्रहण करें और दूसरों में बाटें.
- अंत में संध्या काल में एक समय सात्विक भोजन करते हुए, तीज का व्रत खोलें.
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