।। गुरु।।
गुरु वहीं जो आपको जीना सिखा दे।
और आपकी आपसे पहचान करा दे।
कविता
।। गुरु।।
गुरु वही जो अपने शिष्य को प्रकाश देता है ।
हर बुराई को दूर करता है नयी राह दिखाता है ।
जीवन के घोर अंधेरो मे प्रकाश बन कर आता है।
गुरु वहीं जो अपने शिष्य को प्रकाश देता है।
अज्ञान से महान ज्ञानी बनाए नई ऊर्जा और नया जीवन दे।
नाम बढें जग मे यही कामना करता है हृदय से।
गुरु वहीं जो अपने शिष्य को प्रकाश देता है।
हीरे की तरह तराश दे मन मे एक विश्वास जगादे।
आपकी आप से पहचान कराये और जीना सिखा दे।
गुरु वहीं जो अपने शिष्य को प्रकाश देता है।
सच और झूठ से साकार करा दे।
हमेशा दिखाए सच्चा मार्ग वो एक अच्छा इंसान बना दे।
गुरु वहीं जो अपने शिष्य को प्रकाश देता है।
मुश्किलो से लड़कर आगे बढ़ जाओ वो इतना समझदार बना दे
बताये जीत जाना ही सब कुछ नहीं हारक जीत जाने का हुनर सिखा दे।
गुरु वहीं जो आपको जीना सिखा दे।
और आपकी आपसे पहचान करा दे।
: अधिवक्ता भावना नागदा
(अपने दादा,दादी मां -पिता गुरु को समर्पित)
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