हुण तेरी मेरी नहीं निभणी : राजस्थान राजनैतिक संकट
सारिका तिवारी:
चुप रहने और संयम न खोने की प्रवृत्ति की वजह से सचिन अपनी स्थिति को स्थिर बनाये हुए हैं जबकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पूरा जोर लगाए हुए हैं कि किसी भी तरह सचिन पायलट अध्यक्ष पद से हट जाएँ। राजस्थान में गहलोत गुट अफवाह फैलाने में मशगूल हैं आने वाले हफ्ते में सचिन आला कमान द्वारा अध्यक्ष पद से हटा दिए जाएंगे। गहलोत तो दबी ज़बान में यह भी कहते सुनाई दे रहे हैं कि सचिन भाजपा के दिग्गजों के साथ लगातार संपर्क में हैं। पिछले दिन पत्रकार वार्ता में गहलोत राज्य में राजनीतिक अस्थिरता का ठीकरा जहाँ प्रदेश भाजपा के सिर फोड़ रहे थे वहीं परोक्ष रूप से सचिन के साथ उनकी निभ नहीं सकती इसका इशारा भी उन्होंने बखूबी किया।
दूसरी ओर दर्जन भर कांग्रेस विधायक दिल्ली पहुंच गए और आज आला कमान से मिलेंगे। सोमवार तक यह संख्या तीन गुणा से भी ज़्यादा हो जाएगी। सुनने में आ रहा है कि वे सभी विधायक सचिन खेमे के हैं।
गहलोत अब नहीं चाहिए इसका इशारा कल ही उन्हे मिल गया क्योंकि मंत्री मण्डल की बैठक में आधे मंत्री ही पहुंचे। कांग्रेस में आंतरिक कलह के चलते खुल कर मीडिया से बात करते मुख्यमंत्री और अन्य विधायक सीधे तौर पर पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
मौजूदा स्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है कि जल्द ही राज्य में बड़ी उठापटक या उलटफेर हो सकती है। गहलोत के लिए परिस्थितियां इतनी प्रतिकूल बन रही हैं कि विधायकों के खिलाफ पुलिस में एफ आई आर भी दर्ज करवाई गई। गहलोत पहले से ही मुख्यमंत्री के पद के लिए पहली पसंद नहीं थे सिर्फ प्रियंका वाड्रा ही चाहती थी कि इनको मुख्यमंत्री बनाया जाए क्योंकि ईडी के मामलों में रॉबर्ट वाड्रा की डूबती लुटिया का सहारा दिखाई दे रहे थे। अन्यथा यह वही गहलोत हैं जो कि मुख्यमंत्री के पद पर आसीन होने के बावजूद अपने नौनिहाल की सीट नहीं निकलवा पाए।
लेकिन भई ये राजनीति है वो भी काँग्रेस की राजनीति जहाँ सचिन पायलट को मुख्यमंत्री का चेहरा बना कर चुनाव जीता गया था
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