उज्जैन से कानपुर लाये जा रहे 5 लाख के इनामी कुख्यात अपराधी विकास दुबे का एनकाउंटर सिचन्डी गाँव में कर सिया गया। कल जब विकास दुबे ने नाटकीय ढंग से मीडिया को बुला कर आत्मसमर्पण किया था तब यह तय था की वह अपने आप को बचाने के लिए समर्पण कर रहा था। तब किसी ने सोचा भी नहीं था की वह इस प्रकार के घटनाक्रम में मारा जाएगा।
सरिका तिवारी, चंडीगढ़ – 10 जुलाई :
पुलिस की कहानी और थ्योरी दोनों ही मेल नहीं खा रहे। इस पूरे घटनाक्रम में एक बात जो समझ/ हजम नहीं हो रही वह है की घटना स्थल से एक किलोमीटर पहले ही मीडिया की गाडियाँ जो उज्जैन से पुलिस काफिले के साथ चल रहे थे जांच के नाम पर रोक दिये गए। और कुछ ही देर बाद एनकाउंटर की खबर आ गयी। एन काउंटर का कोई भी प्रत्यक्ष दर्शी नहीं है। क्या यह बड़ी सोची समझी कार्यवाही है?
एनकाउंटर पर क्या सवाल उठ रहे
- सबसे पहला सवाल ये उठ रहा है कि उज्जैन में निहत्थे गार्ड ने विकास दुबे को पकड़ लिया, लेकिन STF के जवान उसे नहीं संभाल पाए?
- विकास दुबे के पैर में रॉड लगी थी, वह ज्यादा तेज भाग नहीं सकता था. उसे ये बात पता थी, फिर भी वह भागने की कोशिश कैसे कर सकता है?
- उसे पता था अगर भागा तो मार दिया जाएगा, फिर भी भागने की कोशिश क्यों की?
- अगर उसे भागना ही होता, तो उज्जैन के महाकाल मंदिर में सरेंडर क्यों करता?
- वह चलती गाड़ी में पुलिस जवानों के बीच में बैठा था, फिर उनके चंगुल से कैसे भाग निकला?
- क्या इतने कुख्यात अपराधी के हाथ खुले थे? क्या पुलिस ने उसे हथकड़ी नहीं पहनाई थी, जो उसने पिस्तौल छीन ली?
- सबसे बड़ा सवाल है की क्या यह वही गाड़ी थी जिसमें विकास दुबे को बैठाया गया था।
इसके अलावा सोशल मीडिया पर लोग ये भी कह रहे हैं कि अपराधी विकास दुबे का अंत हो गया, अब उसके साथ अपराध में शामिल और उसको सरंक्षण देने वाले लोगों की जानकारी कैसे मिलेगी?
साथ ही कुछ सवाल अनसुलझे रह गए
- कानपुर में 8 पुलिसकर्मियों के मारने के बाद आखिरकार विकास दुबे उज्जैन कैसे पहुंचा. कौन-कौन से पुलिसवाले उसकी मदद कर रहे थे। किन की मदद से ग्वालियर में उसके लिए फर्जी आधार कार्ड बनवाया गया।
- विकास दुबे के ऊपर किन नेताओं का हाथ था और किन की मदद से उससे पुलिस महकमा खौफ खाता था. यहां तक कि एसटीएफ के बड़े अधिकारी का भी उससे संबंध था।
- 2022 में क्या वह विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर था. अगर यह बात थी तो वह किन-किन पार्टियों से टिकट के लिए संपर्क में था।
- साल 2001 में दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री सुरेश शुक्ला की हत्या के मामले में जब वह बरी हुआ तो किसके दबाव में इस मामले में दोबारा अपील नहीं की गई।
- क्या विकास दुबे का एनकाउंटर किसी दबाव में किया गया है क्योंकि इससे कई लोगों का राजफाश होने की आशंका थी जिसमें लगभग सभी पार्टियों को लोग शामिल थे।
- क्या उज्जैन में उसका आत्मसमर्पण कराने के लिए भी कई लोग शामिल थे क्योंकि जब 7 राज्यों की पुलिस अलर्ट पर थी तो वह किसी के गिरफ्त में क्यों नहीं आया।
- सीओ देवेंद्र मिश्रा की उस कथित चिट्ठी का सच क्या था जो सोशल मीडिया और मीडिया के हाथ लग गई जिसमें उन्होंने पुलिस और विकास दुबे के गठजोड़ की बात कही थी, जबकि इस चिट्ठी के बारे में कहा जा रहा है कि वह रिकॉर्ड में नहीं है।
- आखिर पुलिस-प्रशासन के ऊपर किसका दबाव था या फिर उसे वास्तव में नहीं पता था कि विकास दुबे ने इतने हथियार इकट्ठा कर रखे हैं।
- क्या विकास दुबे अपनी गैर-कानूनी तरीके से कमाई गई रकम का कुछ हिस्सा पुलिसकर्मियों में भी बांटता था और अगर ये सच था तो कौन-कौन इसमें शामिल था।
- वो कौन लोग थे जिनके दबाव में विकास दुबे का जिले या प्रदेश के टॉप-10 बदमाशों में शामिल नहीं था जबकि उसके ऊपर 60 मुकदमे चल रहे थे।