Wednesday, December 25
सुशील पंडित

मेरे किसी भी लेख की या मेरी स्वंम की अवधारणा किसी राजनैतिक पार्टियों को छोटा या बड़ा साबित करना नहीं है। क्योंकि शास्त्रों में लिखा है। हर कोई व्यक्ति, दल, जाति, धर्म व समुदाय अपने कर्मों से छोटा या फिर बड़ा होता है।

रही बात हमारी सामाजिक व आर्थिक व्यवस्था की बात! ये दोनों भी कुशल या विफल राजनीति पर ही निर्भर करती है।

आज बात करते हैं आरोप-प्रत्यारोप रूपी चक्की के विषय पर जिसके दोनों पाट(हिस्से) सत्ता पक्ष व विपक्ष से निर्मित है। इसमें पिस्ता क्या है आम आदमी की भावनाओं, अपेक्षाओं रूपी आनाज परन्तु यह कोई नई बात नहीं है अब यह स्वाभाविक हो चुका है। जहाँ पूरा विश्व कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है, पूरे विश्व में त्राहिमाम की स्थिति है वहीं कुछ राजनैतिक दलों में एक दूसरे के ऊपर आरोप लगाने का सिलसिला निरन्तर जारी है।

मौजूदा सरकार के द्वारा लॉक डाउन के चतुर्थ चरण की घोषणा की गई है। प्रथम चरण से लेकर अब तक राष्ट्र के हित को ध्यान में रखते हुए अलग अलग घोषणाएं भी की जा रही है और हमें लगता है कि अगर सभी घोषणाओं पर  धरातल के पटल से वास्तविक स्वरूप में आम जनता व सर्व वर्ग के लिए कार्य किया जाए तो हमारा राष्ट्र हर विपदा का सामना भली भांति करने में सक्षम है। लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में जिस प्रकार राष्ट्र चिंतन में आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति अटकलें खड़ी कर रही है उस दृष्टि से समाज का हर वर्ग चिंतित हैं। हम कब तक जाति, धर्म, समुदायों तथा राजनीति का बहरूपिया किरदार लेकर राष्ट्र निमार्ण की नींव को निर्बल करने में अपनी नकारात्मक ऊर्जा का संचार करते रहेंगे।

आम आदमी आज दोराहे पर खड़ा है कोविड19 के चलते सभी प्रकार के व्यवसाय आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहे हैं सभी छोटी बड़ी फैक्ट्रियों में कार्य ठप्प होने की वजह से मालिक और कर्मचारी असमंजस की स्थिति में है। निजी संस्थानों के स्वामी व सेवक भी मौजूदा हालात में विषम परिस्थितियों गुजर रहे हैं। किसानों को उनकी परम्परागत फसलों के अलावा अन्य फसलों जैसे विभिन्न प्रकार की सब्जियों की उपज में लागत मूल्य के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। इन सभी बिंदुओ को ध्यान में रखते हुए मेरा जन साधारण की ओर से यह सुझाव व अनुरोध सभी राजनैतिक दलों व धार्मिक सगठनों व जातिगत आधार पर परिणाम रहित बहस करने वालों से है कि एक दूसरे पर आरोप लगाने का समय भविष्य में भी आएगा एक दूसरे को नीचा दिखाने की स्वर्णिम बेला भी शायद आपको मिल ही जाएगी लेकिन अभी नही क्योंकि इस समय सभी की दृष्टि जन साधारण पर है ये ही समय है अपने आप को अच्छा साबित करने का भविष्य के गर्भ में क्या छिपा है किसी को नही पता लेकिन हम अपना वर्तमान सर्वहितकारी बनाएंगे तो स्वाभाविक है भविष्य राष्ट्र का स्वर्णिम होगा।