Friday, February 7

धर्मपाल वर्मा, चंडीगढ़:

भूपेंद्र सिंह हुड्डा

            पूरा हरियाणा जानता है कि विपक्ष की बात करें तो कांग्रेस के नेता के रूप में चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा सबसे मजबूत नजर आते हैं। इसके कई कारण भी है। एक तो वह विपक्ष के नेता हैl उनके नाम से कई एमएलए चुनाव जीत कर आए हैं। उनका बेटा सांसद है और राजनीति उन्हें विरासत में मिली है l इसके अलावा वे लगभग 10 साल राज्य के मुख्यमंत्री रहे पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं lपरंतु आज कुछ चीजें उन्हें चुनौती भी देती दिखाई दे रही हैं l एक तो उनकी बढ़ती उम्र ही है lवे 73 साल के हो गए हैं lआगामी विधानसभा चुनाव तक 80 के नजदीक पहुंच जाएंगे lदूसरा यह कि श्री भूपेंद्र के पुत्र दीपेंद्र हुड्डा के सांसद बनने के बाद राज्य में एक जयप्रकाश जेपी को छोड़ दे तो अधिकांश नेता अंदर खाने उनके खिलाफ एक राय बनाकर चलते प्रतीत हो रहे हैं l हाईकमान हुड्डा को लेकर अपने दृष्टिकोण में थोड़ा-बहुत बदलाव करके चल रही है, ऐसा बहुत लोग मानने लगे हैं l लोक डाउन के दौरान कई ऐसी चीजें उभर कर आई है जो यह संकेत दे रही हैं कि कांग्रेस भविष्य में हरियाणा राज्य में एक ऐसे नेता को प्रोजेक्ट करेगी जो जाट तो हो परंतु गैर जाट और शहरी लोगों में भी स्वीकार्य हो l

यदि सच में ऐसा कोई प्रोग्राम है तो फिर इसकी समीक्षा करना जरूरी हो जाता है

रणदीप सिंह सुरजेवाला

यदि प्राप्त जानकारी सही है तो इस मामले में रणदीप सिंह सुरजेवाला भी एक चेहरा है। आज कुछ चीजें उनके खिलाफ हैं परंतु लगता है चुनौतियों से जूझने के लिए उन्होंने एक बार फिर से खुद को तैयार कर लिया है l प्राप्त जानकारी के अनुसार उन्होंने अपनी आगामी राजनीति की जो रूपरेखा तैयार की है उन्हीं सब चीजें को राजनीतिक पर्यवेक्षक जेहन में रखकर चल रहे है l

            जो बातें उभरकर सामने आई है उनको देख कर यह एहसास हुआ है कि रणदीप सिंह सुरजेवाला प्रदेश की राजनीति में लौट आए हैं और दूरदर्शिता स्टेटस इमेज तथा आक्रामकता को मध्य नजर रखते हुए हरियाणा की फुल टाइम राजनीति करने मे लग गये हैं l कैसे जनसंपर्क चलाना है, कैसे विरोधियों से निपटना है, कैसे सरकार की कार्यशैली को देखना है और विभिन्न मुद्दों पर बोलना है l

सुरजेवाला पिछले 6 वर्ष से दिल्ली में पार्टी के मीडिया के काम को देख रहे है

            जींद उपचुनाव की हार और फिर आम चुनाव में कैथल की हार के बाद उन्हें समझ में आ गया है कि उन्होंने अब राज्य की राजनीति में बढ़-चढ़कर रुचि नहीं ली तो फिर बड़ा नुकसान हो जाएगा l उन्होंने शायद एक बार फिर यह बात समझ ली है कि लोकतंत्र में जो व्यक्ति लोगों के बीच में रहेगा,वहीं कुछ ले मरेगा l एक शायर का यह मूल मंत्र याद आ गया होगा कि

जम्हूरियत दर्ज – ए – हकूमत है
इसमें सिर गिने जाते हैं, तोले नहीं जाते

            जानकार यह मानकर चल रहे हैं कि रणदीप सिंह सुरजेवाला इस बात को मद्देनजर जरूर रखेंगे कि वह रोहतक सोनीपत झज्जर आदि जिलों में ज्यादा एक्टिव न रहें जहां भूपेंद्र सिंह हुड्डा का व्यक्तिगत हस्तक्षेप है l वह उत्तरी हरियाणा और मध्य हरियाणा मतलब कैथल कुरुक्षेत्र जींद करनाल जिलों पर ज्यादा फोकस करने की योजना पर काम कर सकते हैं lसुरजेवाला को यह अच्छी तरह से पता है कि पोलिटिकल स्टेटस के बिना राजनीतिक व्यक्ति अधूरा है l पोलिटिकल स्टेटस से हमारा मतलब किसी सदन का सदस्य होने से है lयह बात कांग्रेस के और जाट नेता जैसे जयप्रकाश करण सिंह दलाल आनंद सिंह दांगी को भी पता चल गई होगी कि चुनाव हारने के बाद एक नेता की क्या स्थिति हो जाती है l सुरजेवाला को पता है कि कि जब वह युवक कांग्रेस के सदर बने तो उन्हें उनका विधायक होना काम आया था l अब कांग्रेस का मीडिया प्रभारी बनने के सवाल पर भी उन्हें इस बात का फायदा मिला था कि वे उस समय कैथल के विधायक थे और इस पद के लिए उनके मुकाबले जो चार पांच और लोग थे , उनमें कोई भी किसी सदन का सदस्य नहीं था l इसलिए रणदीप सिंह सुरजेवाला अब किसी भी सूरत में कैथल से चुनाव जीत कर दिखाने के मूड में नजर आने लगे हैंl अब वे और उनकी टीम लोक डाउन खुलने का इंतजार करते प्रतीत हो रहे है l

            बहुत कम लोगों को पता है कि रणदीप सिंह सुरजेवाला लोक डाउन के समय से ही पंचकूला में रह रहे हैं और निरंतर बयान बाजी भी कर रहे हैं lउनकी ओर से एक प्रेस नोट चंडीगढ़ और पंचकूला प्रेस में जारी हो रहा है जो यह प्रमाणित करने के लिए पर्याप्त है कि वे फुल टाइम राजनीति करने हरियाणा में आ गए हैं l रणदीप सिंह सुरजेवाला को कई चीजों में आमूलचूल परिवर्तन भी करना पड़ सकता है l यह वह चीजें हैं जिन्हें विरोधी प्रमुखता से प्रसारित करते हैं l

            एक बात जरूर है कि वे राजनीतिक सोच के व्यक्ति तो हैं ही मेहनत करने मे भी कोई सानी नहीं है l इसके अलावा चौधरी ओमप्रकाश चौटाला के परिवार में राजनीति करने वाले सभी लोग उन्हें चुनौती के रूप में मान कर चलते हैंl आपको बता दें कि राजनीति में जिस चीज का नुकसान होता है कई बार उसका फायदा भी हो जाता है lपिछले विधानसभा चुनाव में कुरुक्षेत्र जिले में पुंडरी की रोड बिरादरी बाहुल्य सीट पर सुरजेवाला ने एक परंपरागत पिछड़े जांगड़ा समुदाय के कांग्रेस कार्यकर्ता को टिकट दिलाई थी। जांगड़ा तो नहीं जीत पाए परंतु कैथल में रोड बिरादरी के लोगों ने पुंडरी में रोड की टिकट कटवाने की रड़क निकालते हुए सुरजेवाला को वोट की चोट से झटका दे दिया और भी मामूली से अंतर से चुनाव हार गएl

            लेकिन अब रणदीप सिंह सुरजेवाला को पिछड़े वर्गों के मतदाता इस बात के लिए सपोर्ट कर सकते हैं कि वह भी अपने पिता स्वर्गीय चौधरी शमशेर सिंह सुरजेवाला की तरह पिछड़े वर्ग के लोगों के शुभचिंतक हैं l कांग्रेस में भी ऐसा मानने वाले लोग काफी हैं कि रणदीप सिंह सुरजेवाला पिछड़े मतदाताओं को कांग्रेस के साथ जोड़ने में काफी सहायक सिद्ध हो सकते हैं l आज यह दावा किया जा सकता है कि लोक डाउन समाप्त हो जाने के बाद रणदीप सिंह सुरजेवाला मध्य और उत्तरी हरियाणा में फुल स्विंग में नजर आएंगे l आने वाले समय में मैं रणदीप सिंह सुरजेवाला सत्ता में बैठे भाजपा और जेजेपी गठबंधन के लिए तरह-तरह की चुनौतियां पेश करते नजर आ सकते हैं।