अध्यापकों को कोरोना वोर्रियर्स समझें: पब्लिक स्कूल एसोसिएशन यमुनानगर
सुशील पंडित, यमुनानगर – 9 मई
आज पब्लिक स्कूल एसोसिएशन की मीटिंग एम. एस. साहनी की अध्यक्षता में आयोजित की गयी, जिसमें सोशल-डिस्टन्सिंग का पालन किया गया।बताया गया कि कोरोना वायरस के कारण जारी लॉकडाउन के दौरान निजी स्कूल अभी तक बंद हैं। बच्चो को पढ़ाई के नुक्सान से बचाने के लिए सभी स्कूल अध्यापक टेक्नोलॉजी का सहारा लेकर ऑनलाइन शिक्षा दें रहे हैं। पूरी मेहनत व तत्परता से शिक्षण कार्य किया जा रहा है। सरकार के निर्देशानुसार सभी अभिभावको को प्रति महीने अनुसार ट्यूशन फीस देने के लिए कहा गया है। इसी के मद्देनजर निजी स्कूल प्रबंधको की तरफ से अभिभावकों को एक महीने की फीस जमा करने की प्रार्थना व अपील की गई थी।
स्कूल प्रबंधको का कहना है कि अभिभावक जो बच्चों की फीस जमा करते हैं उससे ही स्कूल के शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन दिया जाता हैं। इसलिए फीस न मिलने से उन्हें इन शिक्षण कार्यो को पूरा करने में परेशानी हो रही है, पहले ही स्कूल बंद रहने से सभी स्कूलों की आर्थिक अर्थव्यस्था चरमरा गई है। उनके अनुसार कुछ अभिभावकों ने तो पिछले सत्र 2019 -20 की फीस का भी पूरा भुगतान नहीं किया है। स्कूल प्रबंधको का कहना है कि सक्षम अभिभावक भी फीस जमा कराने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे है जिससे उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
स्कूल प्रबंधको द्वारा सभी सक्षम अभिभावकों से पुन: अपील कि जा गयी कि वे जल्द से जल्द अपनी देय राशि का भुगतान करे ताकि स्कूल की शेक्षिणिक गतिविधियों को सुचारु रूप से चलाया जा सके। मीटिंग के दौरान यह भी निर्णय लिया गया कि अगर कोई अभिभावक अभी पूरी फीस जमा करने में सक्षम नहीं है तो वह फीस की किश्ते बनवाकर भी भुगतान कर सकता है, वह स्कूल प्रिंसिपल को संपर्क कर सकता है या ई-मेल के द्वारा फीस को किश्तों में देने के लिए आवेदन कर सकता है उनके द्वारा किये गए आवेदन पर विचार किया जायेगा। यह भी देखा गया की कुछ पैरेंट या शरारती तत्वो द्वारा फेसबुक या सोशल मीडिया पर गलत अफवाहे फैलाई जा रही है, इसलिए एसोसिएशन के मीडिया प्रभारी डॉ एम. के. सहगल ने अभिभावकों से अनुरोध किया है इन भ्रमित संदेशो के बहकावे में मत आये क्युकि जल्दी ही इन व्यक्तियों के खिलाफ क़ानूनी कार्यवाही की जा रही है।उन्हें इन संदेशो को नजरअंदाज करके जल्दी से जल्दी अपनी फीस जमा करके अध्यापन कार्य को सुचारु रूप देने में अपनी महत्पूर्ण भूमिका निभाए। यहीं समय है जब शिक्षकों को भी कोरोना वॉरीअर समझते हुए उनके हित में भी स्कूलो को मासिक फ़ीस जमा करा के सहयोग करें।
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