IFSC महाराष्ट्र ही में रहने दें: पवार
एक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (IFSC) घरेलू अर्थव्यवस्था के अधिकार क्षेत्र से बाहर के ग्राहकों को पूरा करता है, सीमाओं के पार वित्त, वित्तीय उत्पादों और सेवाओं के प्रवाह से निपटता है। ऐसे केंद्र सीमाओं के पार वित्त, वित्तीय उत्पादों और सेवाओं के प्रवाह से संबंधित हैं। लंदन, न्यूयॉर्क और सिंगापुर को वैश्विक वित्तीय केंद्रों में गिना जा सकता है। दुनिया भर के कई उभरते IFSCs, जैसे कि शंघाई और दुबई, आने वाले वर्षों में एक वैश्विक भूमिका निभाने के इच्छुक हैं। विश्व बैंक के पूर्व अर्थशास्त्री पर्सी मिस्त्री की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ पैनल ने 2007 में मुंबई को एक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केंद्र बनाने के बारे में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की। हालांकि, 2008 में भारत सहित वैश्विक वित्तीय संकट ने अपने वित्तीय क्षेत्रों को तेजी से खोलने के बारे में सतर्क किया।
पहले उद्धव ठाकरे के चयन को लेकर केन्द्र और राज्य में रार उट्ठी थी, फिर अजित पवार पर ईडी ने फिर से शिकंजा कस दिया और अब IFSC को लेकर तो हद ही हो गयी बड़े पवार को प्रधान मंत्री को चेतना पड़ा। शरद पवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर कहा है कि- मुझे माननीय से उम्मीद है कि PMOIndia राज्य की राजनीति को अलग रखते हुए तर्कसंगत, विवेकपूर्ण निर्णय लेने और इसे अत्यधिक राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा मानता है. उन्होंने आगे लिखा- मुझे उम्मीद है कि मेरा पत्र एक सही भावना से लिया जाएगा
मुंबई(ब्यूरो):
इटरनेशनल फायनेंशियल सर्विसेस सेंटर (IFSC) के हेडक्वार्टर को लेकर महाराष्ट्र सरकार और केंद्र सरकार के बीच ठन गई है. IFSC का मुख्यालय मुंबई (Mumbai) की बजाय गुजरात (Gujarat) के गांधीनगर (Gandhinagar) में बनाने के केंद्र सरकार के फैसले पर एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार (Sharad Pawar) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को खत लिखकर नाराजगी जताई है. उन्होंने पीएम से तुरंत फैसले को पलटने की मांग की है.
दरअसल, IFSC सेंटर मुंबई मे बनाने को लेकर महाराष्ट्र के नेताओं ने सालों से केंद्र सरकार पर दबाव बनाया हुआ है. लेकिन केंद्र के इस सेंटर को मुंबई की बजाय गुजरात के गांधीनगर मे शिफ्ट करने के फैसले से अब सियासी तूफान खड़ा हो गया है.
महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस केंद्र की बीजेपी सरकार पर आक्रामक हो गई हैं. IFSC सेंटर को लेकर सूबे में आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है. एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर कहा है कि- मुझे माननीय से उम्मीद है कि PMOIndia राज्य की राजनीति को अलग रखते हुए तर्कसंगत, विवेकपूर्ण निर्णय लेने और इसे अत्यधिक राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा मानता है. उन्होंने आगे लिखा- मुझे उम्मीद है कि मेरा पत्र एक सही भावना से लिया जाएगा और IFSC मुख्यालय को भारत की वित्तीय राजधानी में स्थापित करने पर विचार किया जाएगा.
IFSC क्या सेवाएं दे सकता है?
- व्यक्तियों, निगमों और सरकारों के लिए -फंड बढ़ाने वाली सेवाएं
- सेटसेट फंड, बीमा कंपनियों और म्यूचुअल फंड द्वारा शुरू किए गए -सेट मैनेजमेंट और ग्लोबल पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन
- धन प्रबंधन
- ग्लोबल टैक्स मैनेजमेंट और क्रॉस-बॉर्डर टैक्स लायबिलिटी ऑप्टिमाइज़ेशन, जो वित्तीय मध्यस्थों, एकाउंटेंट और कानून फर्मों के लिए एक व्यावसायिक अवसर प्रदान करता है।
- ग्लोबल और रीजनल कॉर्पोरेट ट्रेजरी मैनेजमेंट ऑपरेशन जिसमें फंड जुटाने, लिक्विडिटी इन्वेस्टमेंट और मैनेजमेंट और एसेट-लायबिलिटी मैचिंग शामिल हैं
- बीमा और पुनर्बीमा जैसे प्रबंधन प्रबंधन संचालन
- अंतरराष्ट्रीय निगमों के बीच विलय और अधिग्रहण की गतिविधियाँ
उधर, इस फैसले को लेकर महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री बालासाहेब थोरात पहले की केंद्र पर हमला बोल चुके हैं. थोरात ने ट्वीट कर कहा था कि, ‘केंद्र सरकार का IFSC मुख्यालय को गुजरात में स्थापित करने का फैसला बेहद निराशाजनक है. केंद्र का ये कदम मुंबई के कद को कम करने के लिए उठाया गया है. केंद्र को अपने इस फैसले पर पुनिर्विचार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि मुंबई देश की वित्तीय राजधानी है. उन्होंने इस मुद्दे पर महाराष्ट्र बीजेपी नेताओं की खामोशी पर भी सवाल उठाए थे. शिवसेना भी इस मुद्दे पर केंद्र सरकार और बीजेपी से खफाहै.
महाराष्ट्र कैबिनेट में मंत्री और शिवसेना नेता अरविंद सावंत ने कहा कि उन्होंने संसद में केंद्र सरकार से IFSC केंद्र गुजरात नहीं ले जाने की अपील की थी. लेकिन सरकार ने शिवसेना की मांग को नजरअंदाज कर दिया.
इस मुद्दे पर राजनीति तेज होती देख महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण गुजरात के गांधीनगर में स्थापित करने के केंद्र के फैसले का बचाव किया है. फडणवीस ने विपक्षी दलों पर राजनीति का आरोप लगाया है.
उन्होंने कहा कि कुछ लोगों का काम हर चीज के लिए नरेंद्र मोदी सरकार को दोषी ठहराना है. उन्होंने कहा केंद्र सरकार की एक उच्चस्तरीय समिति ने फरवरी, 2007 में रिपोर्ट सौंपी थी जिसें IFSC के गठन की सिफारिश की गई थी. उन्होंने कहा कि न तो महाराष्ट्र सरकार ने कोई आधिकारिक प्रस्ताव सौंपा है और न ही केंद्र ने इस पर विचार किया है. गांधीनगर में IFSC के मुख्यालय की घोषणा इसलिए की गई क्योंकि यहां पहले से ही IFSC के कामकाज हो रहे हैं.
उन्होंने कहा कि अब जो लोग ये बयान दे रहे हैं वो साल 2007 से 2014 तक सत्ता में थे. लेकिन उन्होंने मुंबई मे IFSC के लिए कुछ कदम नहीं उठाया. जब पहली बार IFSC का विचार आया था तो गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी ने इसे अपने राज्य में लाने के लिए काम शुरू किया था. वहीं महाराष्ट्र कांग्रेस की सरकार ने इसके लिए कोई कदम नहीं उठाया था.
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