राज्यपाल मेरी सत्ता हड़पने की कोशिश में लगे हैं: ममता बेनेर्जी
भारतीय शास्त्रों में जिस प्रकार सदा सोमरस और नृत्य रूपी अभिसार में डूबे रहने वाले देवराज इंद्र का सिंहासन पृथ्वी पर होने वाले ज़रा से सुकर्मों से डोल जाता है ठीक उसी प्रकार रोहङियान, बंगलादेशी मुसलमानों और मुस्लिम तुष्टिकरण में आकंठ डूबी हुई राजनीति करने वाली ममता बेनर्जी का सिंहासन केन्द्र द्वारा पूछे जाने वाले संवैधानिक प्रश्नों से बिखरने लगता है। वह चाहे सेना की नियमित कवायद हो, उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ का पश्चिम बंगाल में आना या भारत के गृह मंत्री अमित शाह की बंगाल रैली हो सभी में ममता को एक गहरे षड्यंत्र की बू आती है और वह उन्हे आने अथवा रैली करने की अनुमति भी नहीं देती, तब यह सभी आचरण संवैधानिक होते हैं। अब जब ममता राज में लॉक डाउन के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रहीं हैं, कोरोना संक्रामण संबंधी जांच पर प्रशंचिन्ह लग रहे हैं ऐसे में राज्यपाल द्वारा पूछे गए प्रश्नों से ममता इतनी आहत है की उन्हे यह प्रश्न निंदनीय, शर्मनाक, असंवैधानिक और उन्की प्रतिष्ठा को आहात करने वाले हैं। ममता बेनर्जी के अनुसार राज्यपाल उनकी सत्ता को हथियाने का प्रयास कर रहे हैं। हास्यास्पद।
कोलकाता:
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को राज्यपाल जगदीप धनखड़ पर आरोप लगाया कि वह कोरोना वायरस संकट के दौरान ‘सत्ता हड़पने’ की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि उनके और राज्य मंत्रियों एवं अधिकारियों के खिलाफ राज्यपाल के बयानों को ‘अपमानजनक’ करार दिया जा सकता है. इसके जवाब में राज्यपाल ने कहा कि यह झगड़ने का समय नहीं है.
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का पत्र ‘तथ्यों और कानून, दोनों आधार पर मजबूत नहीं है.’ उन्होंने कहा कि वह उत्तर भेजेंगे क्योंकि वह ‘ऐसी बात को स्वीकार नहीं कर सकते जो संविधान के मूल को कमजोर करती है.’ मुख्यमंत्री को पिछले हफ्ते राज्यपाल ने दो पत्र भेजे थे, जिसके बाद ममता ने यह तीखी टिप्पणी की है.
दरअसल, कोविड-19 के प्रसार के प्रति पश्चिम बंगाल सरकार की प्रतिक्रिया के मद्देनजर राजभवन और नबन्ना (राज्य सचिवालय) के बीच तकरार चल रही है. ममता ने धनखड़ को 13 पृष्ठों के अपने जवाब में कहा, ‘एक राज्यपाल से एक निर्वाचित मुख्यमंत्री को इस तरह के शब्द और इस तरह की विषय-वस्तु, अभिप्राय और लहजे वाले पत्र भारत के संवैधानिक एवं राजनीतिक इतिहास में पूर्ण रूप से अप्रत्याशित हैं.’
उन्होंने कहा, ‘मेरे और मेरे मंत्रियों तथा मेरे अधिकारियों के खिलाफ आपके (राज्यपाल के) शब्द अपमानजनक, असंयमति, भयादोहन करने वाले और निंदनीय बताये जा सकते हैं.’ ममता ने राज्यपाल पर उपदेश देने और संवैधानिक नियमों का खुद पालन किये बगैर उसका प्रवचन देने तथा उल्लंघन करने का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा कि राज्यपाल उनकी (मुख्यमंत्री की) नीतियों से सहमत नहीं हो सकते हैं, लेकिन दुर्भाग्य से इसे उनके संज्ञान में लाने के अलावा उनके पास और कोई शक्ति नहीं है. मुख्यमंत्री ने कहा, ‘संकट की इस घड़ी में सत्ता हड़पने की अपनी कोशिशों तेज करने से बाज आने की मैं आपसे विनती करती हूं…आपको सोशल मीडिया पर अपने लगातार ट्वीट में आधिकारिक पत्र/ लोगो इस्तेमाल करने से दूर रहना चाहिए.’
इस बीच, राज्य भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, ‘राज्यपाल ने राज्य सरकार की विफलताओं पर उंगली उठाकर सही किया. मुख्यमंत्री इन पत्रों के जरिए ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही हैं.’ तृणमूल के नेता पार्थ चटर्जी ने कहा कि राज्यपाल विपक्ष के नेता की तरह व्यवहार कर रहे हैं.
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