क्या झारखंड में ‘एड-हॉक अंजुमन इस्लामि’ के इशारे पर होते हैं तबादले ?
झारखंड में जब से कॉन्ग्रेस-झामुमो गठबंधन की सरकार बनी है उस पर राज्य में मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप लग रहे हैं। लोहरदगा में ही इस साल 23 जनवरी को सीएए के समर्थन में निकाले गए जुलूस पर मुस्लिमों द्वारा हमला किया गया था। जिसमें नीरज प्रजापति की मौत हो गई थी। नीरज प्रजापति के सर पर लोहे की रॉड से हमला किया गया था। सीएए के समर्थन में रैली निकाल रहे लोगों पर पूर्व-नियोजित तरीके हमला किया गया था। मुसलमानों ने अपने घरों की छतों से ईंट-पत्थर फेंककर हमला किया था।
कॉंग्रेस और मुस्लिम तुष्टीकरण का चोली दमन का साथ है। झारखंड हो राजस्थान हो या हो महाराष्ट्र जहां भी कॉंग्रेस सरकार है वहाँ मुस्लिम तुष्टीकरण ज़ोरों पर है। जहां सभी देशों में कोरोना संक्रमित मृतकों के शवों को जलाया जा रहा है, वहीं भारत में मुस्लिम तुष्टीकरण के चलते उन्हे दफनाना ही होगा भले ही बाद में संक्रामण भयावह तरीके से फैले। काँग्रेस और इनके घटक दल भाजपा के उदय के पश्चात मुस्लिम तुष्टीकरण में अधिक प्रबलता से आगे आए हैं। शाहीन बाग हो या फिर तबलीगी मरकज़, जेएनयू हो या एएमयू, देवबंद हो जामिया सब में से यदा कडा भारत विरोध स्वर सुनाई पड़ते हैं लेकिन आज तक कॉंग्रेस और घटक दलों ने इसकी भर्त्सनानहीं की, उल्टे उनके साथ खड़े दिखाई पड़े। आज कॉंग्रेस अपने लुप्त होते जनाधार को बंगलादेशी घुसपैथियों और रोहिङ्ग्याओन में तलाश रह है और पूरे ममत्व के साथ उनका पोषण कर रही है।
पिछले दिनों झारखंड के लोहरदगा में रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमानों के छिपी होने की बात सामने आई थी। इस संबंध में रिपोर्ट देने वाले विशेष शाखा (खुफिया विभाग) के डीएसपी जितेंद्र कुमार का तबादला कर दिया गया है। उनकी जगह इमदाद अंसारी लेंगे। उन्हें लातेहार से यहॉं भेजा गया है।
जितेंद्र, इमदाद सहित कुल चार डीएसपी का तबादला हुआ है। लेकिन, जितेंद्र कुमार को पलामू भेजे जाने के पीछे राजनीतिक वजहें बताई जा रही है। दैनिक जागरण में प्रकाशित खबर के अनुसार उन्होंने एडीजी (विशेष शाखा) को सौंपी रिपोर्ट में लोहरदगा के विभिन्न इलाकों के 13 लोगों पर रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमानों को संरक्षण देने का आरोप लगाया था। इस रिपोर्ट से पूरे प्रदेश में हलचल मची थी।
लोहरदगा की एड-हॉक अंजुमन इस्लामिया ने राज्य के डीजीपी को पत्र लिखकर इस रिपोर्ट पर सवाल उठाए थे। 11 अप्रैल को लिखे पत्र में रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए कार्रवाई की मॉंग की गई थी। अंजुमन इस्लामिया के कंवेनर हाजी शकील अहमद की तरफ से लिखे पत्र में कहा गया था कि आजादी के बाद से ही लोहरदगा जिला में बांग्लादेश, पाकिस्तान या रोहिंग्या मुसलमानों का कोई वजूद नहीं है। विशेष शाखा की रिपोर्ट में जिस स्थान का जिक्र है, वहाँ भी ऐसे नागरिक नहीं हैं। रिपार्ट में जिन व्यक्तियों को संरक्षक बताया गया है, वे समाज के प्रतिष्ठित लोग हैं। एक साजिश के तहत उन्हें बदनाम करने की कोशिश की गई है।
पत्र में दैनिक जागरण में 11 अप्रैल को प्रकाशित एक रिपोर्ट का भी हवाला दिया गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में अवैध रूप से छिपकर रह रहे म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमानों की झारखंड के भी कई हिस्सों में उपस्थिति और सक्रियता के प्रमाण मिले हैं। पिछले दिनों तबलीगी जमात की तलाश में हुई छापेमारी के दौरान धनबाद के बैंक मोड़ इलाके से तीन रोहिंग्या मुसलमानों को भी पकड़ा गया था, वहीं लोहरदगा में भी कई रोहिंग्या के छिपकर रहने की खबर मिली थी।
इसके साथ ही लोहरदगा के ऐसे 13 लोगों का नाम व पता के सामने आने का भी जिक्र किया गया है, जिनके ऊपर रोहिंग्या व बांग्लादेशी घुसपैठियों को छिपाने का आरोप है। लोहरदगा के जिन मुहल्लों में बांग्लादेशी व रोहिंग्या मुसलमानों के रहने की सूचना पुलिस तक पहुँची है, उनमें ईदगाह मुहल्ला, राहत नगर, इस्लाम नगर, जूरिया, सेन्हा के चितरी, कुड़ू के जीमा व बगडु के हिसरी आदि गाँव के नाम शामिल हैं।
गौरतलब है कि झारखंड में जब से कॉन्ग्रेस-झामुमो गठबंधन की सरकार बनी है उस पर राज्य में मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप लग रहे हैं। लोहरदगा में ही इस साल 23 जनवरी को सीएए के समर्थन में निकाले गए जुलूस पर मुस्लिमों द्वारा हमला किया गया था। जिसमें नीरज प्रजापति की मौत हो गई थी। नीरज प्रजापति के सर पर लोहे की रॉड से हमला किया गया था। सीएए के समर्थन में रैली निकाल रहे लोगों पर पूर्व-नियोजित तरीके हमला किया गया था। मुसलमानों ने अपने घरों की छतों से ईंट-पत्थर फेंककर हमला किया था।
नीरज प्रजापति की पत्नी ने सीएम हेमंत सोरेन से मदद की गुहार लगाई थी, लेकिन व्यस्त सीएम ने उन्हें मुआवजे का कोई आश्वासन नहीं दिया और प्रशासन ने नीरज की शव यात्रा में सिर्फ 35 लोग को जाने की अनुमति दी थी। साथ ही शमशान जाने के रास्ते को भी बदल दिया था, क्योंकि रास्ते में एक मस्जिद थी।
सरकार ने मुआवजा देने से इनकार कर दिया तो पत्रकारों के प्रयासों के बाद जनता ने अब तक लगभग 32.5 लाख रुपए का सहयोग किया है। इसमें से 11.4 लाख रुपए क्राउडकैश के जरिए जुटाए गए, जबकि बाकी धनराशि लोगों ने दिवंगत नीरज की पत्नी के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर किया।
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