- चंडीगढ़ पुलिस की सब-इंस्पेक्टर चंद्रमुखी ड्यूटी के साथ कोरोना योद्धा के रूप में गरीबों की कर रही सेवा
- घर में छोटी बच्चियों कहती हैं मम्मी जल्दी आना, पर ड्यूटी व मानव सेवा में पता नहीं चलता समय का
जंगशेर राणा, चंडीगढ़ – 15 अप्रैल:
कोरोना को हराने और लोगों को घरों में सुरक्षित रखने के लिए पुलिस का सबसे ज्यादा योगदान है। पुलिस कर्मी सही मायने में कोरोना योद्धा के रूप में असली जंग लड़ रहे हैं। इन्हीं एक योद्धाओं में से एक महारथी हैं, चंडीगढ़ पुलिस की सब-इंस्पेक्टर चंद्रमुखी, जो ड्यूटी व मानव सेवा को तरहीज दे रही हैं, जबकि अपनी बच्चियों को किए वादे को निभा नहीं पा रही हैं।
सब-इंस्पेकटर चंद्रमुखी हर रोज अपनी दो बच्चियों को वादा करके ड्यूटी पर जाती है कि वह आज जल्दी घर आएगी, लेकिन ड्यूटी व मानव सेवा में पता नहीं ही चलता कि जब पांच से आठ बज जाते हैं। यानि निर्धारित ड्यूटी से ज्यादा करीब 12 से 14 घंटे की ड्यूटी के साथ चंद्रमुखी मानव सेवा करने में जुटी हुई हैं।
लॉकडाउन में चंडीगढ़ पूरी तरह लॉक है, यानि सूनसान और विरानगी ही है। इसी विरानगी के बीच केवल गरीबों की आवाज सुनाई देती है, जो दो वक्त की रोटी की जद्दोजहद में रहते हैं।
चंद्रमुखी बताती हैं कि वे हरियाणा के करनाल जिले के बल्ला गांव की रहने वाली हैं। चंडीगढ़ पुलिस में भर्ती होने के बाद उन्होंने खुद को साबित किया। वे हर समय गरीबों की मदद के लिए तत्पर रहती हैं। खास कर गरीब बच्चियों की शिक्षा को लेकर वे काफी प्रयासरत हैं कि उन्हें शिक्षित किया जाए। इसके साथ बच्चियों के साथ हो रही छेड़छाड़ की घटनाएं भी चंद्रमुखी को विचलित करती हैं।
पति ने दिया सहयोग तो की ट्रिपल एमए
चंद्रमुखी बताती हैं कि उनके पति दिलबाग सिंह डीआरडीओ में एसडीओ के पद पर कार्यरत हैं। जब वे चंडीगढ़ पुलिस में भर्ती हुई तो उस सयम तक वे मात्र 12वीं तक ही पढ़ी थी। इसके बाद उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ से तीन एमए की। उसकी दो बेटी प्रेरणा (पांच वर्ष) और प्रणवी (दो वर्ष) की हैं। जब वह सुबह ड्यूटी पर जाती हैं तो वे कहती हैं कि मम्मा आज जल्दी आना, लेकिन वे ड्यूटी व मानव सेवा के चलते हर रोज लेट जाती है।