श्रुति खरबन्दा संगीत की दुनिया का उभरता सितारा

संगीत केवल मनोरंजन ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक और आत्मिक प्रसंता प्राप्त करने का साधन है कहना है लुधियाने दी कुड़ी श्रुति खरबंदा का पिछले दिनों चंडीगढ़ में महिला दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम करने के बाद श्रुति ने डेमोक्रेटिक फ्रंट डॉट कॉम से बात करते हुए बताया की सीखना और गाना उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है

श्रुति खरबंदा कला की जीवंत प्रतिमा जिन के स्वर में सरस्वती निवास करती है का कहना अतिशयोक्ति ना होगा। सुगम संगीत गीत गजल के साथ-साथ शास्त्रीय संगीत का भी नित प्रति रियाज़ करते हैं, संगीत के विभिन्न शैलियों की कोशिश में और अपना सदैव तत्पर रहने वाली श्रुति स्वभाव से थोड़ी नटखट है और मानती हैं की हम सब में बाल मन होता है जोकि हमें खुशी प्रदान करता है।

श्रुति करीब ढाई साल की उम्र से ही गाना गाने लगी थी शुरुआत उन्होंने अपनी मां भावना खरबंदा के साथ भजन गाने से की। उनकी प्रतिभा का आभास होते ही भावना खरबंदा ने उन्हें संगीत की कक्षाओं मैं भेजना शुरू किया जिससे कि बच्चे के अंदर की प्रतिभा उभर कर सामने आने लगी।

स्कूल कॉलेज स्तर पर बहुत सी प्रतियोगिताओं और और विभिन्न समारोहों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन भी किया । इंडियन आइडल और अन्य शो के लिए ऑडिशन उत्तीर्ण किया नौकरी से संबंधित प्रतिबद्धता के कारण वे प्रतियोगिताओं में भाग न ले सकीं संगीत को अपना जीवन बना चुकी श्रुति सभी प्रतिभावान संगीतज्ञों को प्रोत्साहित करते हुए बस साधन को साध्य करने को कहतीं हैं।

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