हरियाणा में हुड्डा के जमते कदम
राजनीति जानने वाले लोग अभी से कहने लगे हैं कि आगे आगे यह महसूस होने लगेगा कि हरियाणा में हुड्डा ही कांग्रेस है lआप जानते हैं कि यहां खुद को ताकतवर मानने वाले रणदीप सिंह सुरजेवाला निष्क्रिय होकर रह गए हैं lभाजपा जेजेपी इनेलो सबके लिए वे टारगेट है lअपने राजनीतिक वजूद के लिए कहीं न कहीं सुरजेवाला को हुड्डा के मुंह की ओर ताकना पड़ सकता है lलगभग यही स्थिति किरण चौधरी और कैप्टन अजय यादव की हो गई है l
चंडीगढ़
भविष्य में हरियाणा की राजनीति कांग्रेस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के इर्द-गिर्द घूमती नजर आ सकती है l उसका सबसे बड़ा और एकमात्र कारण यह है कि एक और हरियाणा प्रदेश का बहुसंख्यक मतदाता यानी जाट धीरे-धीरे हुड्डा के नाम से कांग्रेस की ओर एकजुट होता जा रहा है lदूसरा यह कि जे जे पी से गठबंधन के बाद गैर जाट मतदाता भाजपा से दूरी बनाने लगा है l उसने इस गठबंधन को गले से नीचे नहीं उतारा है l
सबसे पहले कांग्रेस की अंदरूनी बात करते हुए यह कहा जा सकता है कि चुनाव से ऐन पहले हुड्डा जिस तरह डॉक्टर अशोक तवर को अध्यक्ष पद से हटवाने और कुमारी शैलजा को अध्यक्ष बनवाने में सफल हुए वह इस बात की पुष्टि करता है कि यह काम उनके सिवाय कोई और नेता करने और कराने की स्थिति में नहीं था l
उन्होंने बाद में मात्र 15 दिन के चुनाव के दौरान यह साबित कर दिया कि उनकी मर्जी से टिकटें बाटी जाति तो निश्चित तौर पर हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनती l
बात यहीं समाप्त नहीं होती lवह इस स्थिति में भी रहे कि चुनाव में ही लोगों ने खुद कहना शुरू कर दिया कि यह गलती प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा ने की है lउनकी जिद और हठधर्मिता हरियाणा में कांग्रेस को ले डूबी l
एक बात और गौर करने की है वह यह कि कुमारी शैलजा के समर्थक अब यह महसूस करने लगे हैं कि उनकी नेत्री का भविष्य अब उतना उज्जवल नहीं है जैसा पहले नजर आया करता l जबकि भूपेंद्र सिंह हुड्डा धीरे-धीरे कांग्रेस में ही ड्राइविंग सीट पर आ रहे हैं जो नए लोग कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं वह भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ जुड़ रहे हैं प्रदेश अध्यक्ष से शायद इन नेताओं ने बात भी नहीं की होगी l यही कार्यकर्ता बोलते हैं कि जब टिकट बट रही थी और शैलजा समर्थक टिकटों की बात करते थे तो कुमारी शैलजा सबको रटा रटाया यही जवाब देती थी कि क्या करें हुड्डा नहीं मान रहा l इस बात में कितनी सच्चाई है यह कुमारी शैलजा जाने llअसल में कुमारी शैलजा के समर्थकों ने यह समझ लिया कि कभी जिस तरह डॉक्टर अशोक तंवर ने 2014 के चुनाव से पहले खुद का भूपेंद्र सिंह हुड्डा के आगे समर्पण कर दिया था वही काम कुमारी शैलजा ने कर खुद को फंसा लिया है l यह अलग बात है कि हुड्डा समर्थक इन बातों से सहमत नहीं है l
कुमारी शैलजा की दो दिक्कतें और है और इन्हें इन दिक्कतों का समाधान हुड्डा के बिना नजर नहीं आ रहा होगा l एक तो कुमारी शैलजा को फिर से राज्यसभा में जाने का मकसद पूरा करना है और यह काम हुड्डा के सहयोग के बिना संभव नहीं है lदूसरा यह कि उसे बड़ी रैलियों आदि के आयोजन हुड्डा के सहयोग के बिना पूरे होते नहीं दिख रहे होंगे l बहुत लोग आज भी यह दावा करते हैं कि कुमारी शैलजा ही राज्यसभा में उम्मीदवार हुई तो वे भूपेंद्र सिंह हुड्डा के सहयोग के बिना यह वैतरणी पार नहीं कर पाएंगी l
राजनीतिक पर्यवेक्षक कहते हैं कि कुमारी शैलजा को झटका देने के लिए हुड्डा के पास दो हथियार है lएक का नाम है जयप्रकाश तो दूसरे का नाम है निर्मल सिंह l कुमारी शैलजा को उनके गृह जिले हिसार में भूपेंद्र सिंह हुड्डा को जयप्रकाश जैसे मजबूत नेता की मदद मिल रही है जो एक दो बार नहीं 4 बार हिसार के सांसद रहे हैं lकेंद्रीय मंत्री रहे हैं lउसने कैथल में कलायत से लेकर जींद में नरवाना और हिसार में बरवाला से आदमपुर तक की राजनीति की है l आज हर हाल में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ हैं l जयप्रकाश ने पिछले दिनों हिसार जिले के पेटवाड़ र्गांव में संपन्न एक बड़ी रैली में यह संदेश दे दिया कि अब हरियाणा की जनता की आशा की किरण भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दीपेंद्र सिंह हुड्डा है lइसलिए भी कि अब दुष्यंत चौटाला या इनेलो के दिन लद गए हैंl जे जे पी के नेताओं के झूठ फरेब और स्वार्थ सबके सामने आ गए हैं l
कुमारी शैलजा की बात करें तो आज भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपने नेताओं को यह समझाने में सफल हो गए हैं कि हिसार जो कुमारी शैलजा का गृह जिला है हरियाणा का सबसे बड़ा जिला है जिसमें 7 विधानसभा क्षेत्र है lयदि सही टिकट बाटी गई होती तो हिसार जिले में कॉन्ग्रेस 4 से 5 सीटें जीतने की स्थिति में थी l
चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा राजनीति के मंजे हुए खिलाड़ी हैं और हर चीज को मैनेज करना जानते हैं lउनमें हरियाणा के कई पुराने दिग्गज और कामयाब नेताओं के सारे गुण मौजूद हैं lइसलिए वे सफल रणनीतिकार माने जाते हैं l लोकसभा चुनाव में उनकी और उनके पुत्र दीपेंद्र सिंह हुड्डा की हार ने उन्हें जरूर नुकसान पहुंचाया परंतु उसके बाद उन्होंने गजब की वापसी करके दिखाई है l
भूपेंद्र सिंह हुड्डा को उत्तर हरियाणा की 27 सीटों पर सक्रिय पूर्व मंत्री चौधरी निर्मल सिंह का भी राजनीतिक लाभ मिलेगा lकुमारी शैलजा कमजोर होंगी तो उसका लाभ मिलेगा निर्मल सिंह मजबूत है तो उसका भी लाभ हुड्डा को ही मिलने वाला हैl निर्मल सिंह हर जगह हर बात पर जिस तरह कुमारी शैलजा को मुद्दा बनाते हैं उससे कुमारी शैलजा की परेशानियां उनके लोकसभा क्षेत्र में ही बढ़ सकती है l
इन दोनों नेताओं में जो अंडरस्टैंडिंग रही है है उसे सब जानते हैं l
राजनीति जानने वाले लोग अभी से कहने लगे हैं कि आगे आगे यह महसूस होने लगेगा कि हरियाणा में हुड्डा ही कांग्रेस है lआप जानते हैं कि यहां खुद को ताकतवर मानने वाले रणदीप सिंह सुरजेवाला निष्क्रिय होकर रह गए हैं lभाजपा जेजेपी इनेलो सबके लिए वे टारगेट है lअपने राजनीतिक वजूद के लिए कहीं न कहीं सुरजेवाला को हुड्डा के मुंह की ओर ताकना पड़ सकता है lलगभग यही स्थिति किरण चौधरी और कैप्टन अजय यादव की हो गई है l
आज जेजेपी सत्ता में है तो जाटों में स्वार्थी किस्म के लोग जरूर उनकी जय-जयकार करते नजर आते हैं परंतु अंदर से जाटों को टीस है कि वह उनके ही यार हो गए वे जिन्हें जमुनापार भेजने की बात करते थे l आज जाटों की समझ में आ रहा है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा सही कहा करता कि जेजेपी तो बीजेपी की बी टीम हैl अब जेजेपी का अपने दम पर सत्ता में आना तो दूर अस्तित्व बनाए रखना कठिन हो जाएगा क्योंकि आज पूरे हरियाणा में यह कहा जाने लगा है कि असल में तो जेजेपी के अपने तीन ही विधायक है शेष सात तो अपने दम पर जीत कर आने वाले उम्मीदवार थे lयदि यह जे जे पी के टिकट पर चुनाव नहीं लड़ते तो निर्दलीय लड़ते और तब की जीत जाते l ऐसे में निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या 15 तक पहुंच सकती थी lअगर ऐसा भी हुआ होता तो भी गैर भाजपा सरकार बन सकती थी l
पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी ओमप्रकाश चौटाला और विधायक राम कुमार गौतम भी चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा से जो अंदरूनी सहानुभूति रखते हैं उसे भी हुड्डा का सकारात्मक पक्ष कहा जा सकता है lभूपेंद्र सिंह हुड्डा की आगामी राजनीति में कई जिलों में उनके पुत्र दीपेंद्र सिंह हुड्डा भी एक बड़े फैक्टर के रूप में देखे जाएंगे lउनकी शराफत और शालीनता, तथ्यों पर आधारित वक्तव्य ,जनमानस पर असर छोड़ते हैंl अगर हम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अगली तैयारी की बात करें तो जान लें कि उन्होंने अब से पहले नवंबर की तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है और इसके दृष्टिगत 1 नवंबर को उचाना में प्रदेश स्तर की ऐसी रैली करने की घोषणा कर दी है जिसमें 5 लाख लोगों की हाजिरी होने का दावा किया गया है l
भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ गैर जाट नेता के रूप में कई ऐसे लोग लंबे समय से हैं जो देहात में और शहरों में भी गैर जाट मतदाताओं में अपना प्रभाव रखते हैं l इनमें समालखा के विधायक धर्म सिंह छोकर गुज्जर समुदाय के प्रमुख स्तंभ के रूप में देखे जाने लगे हैं l इनेलो के पूर्व अध्यक्ष अशोक अरोड़ा उनके साथ हैं lदलित मतदाताओं में श्रीमती गीता भुक्कल बड़ा नाम है इसके अलावा भूपेंद्र सिंह हुड्डा बाल्मीकि मतदाताओं की सहानुभूति बटोरने में भी सफल रहे हैंl हुड्डा के -साथ एक नहीं दो बाल्मीकि विधायक हैं l