प्रदेश को कर्ज़ में डुबोने और विकास को धक्का पहुंचाने वाला है बजट- भूपेंद्र सिंह हुड्डा
- मुख्यमंत्री ने की सिर्फ़ भाषणबाज़ी और हवा-हवाई बातें- भूपेंद्र सिंह हुड्डा
- औद्योगिक विकास और रोज़गार सृजन को लेकर बजट ख़ामोश- हुड्डा
सारिका तिवारी, 28 फरवरी चंडीगढ़ः
हरियाणा के वित्त बजट 2020-21 पर पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि ये प्रदेश को कर्ज़ में डुबोने और विकास को धक्का पहुंचाने वाला बजट है। बीजेपी ने तमाम रिकॉर्ड तोड़ते हुए, प्रदेश को 1 लाख 98 हजार 700 करोड़ के कर्ज़ तले दबा दिया है। इसका मतलब ये हुआ कि हरियाणा में हर बच्चा करीब 80 हज़ार रुपये का कर्ज़ सिर पर लेकर पैदा होता है। 2013-14 में जो कर्ज़ 61 हज़ार करोड़ रुपये था, वो आज 3 गुणा से भी ज़्यादा बढ़ गया है।
हरियाणा बनने से लेकर 2014 तक तमाम सरकारों ने जितना कर्ज़ लिया था, उससे भी 3 गुणा ज़्यादा कर्ज़ अकेले बीजेपी की सरकार ने लिया है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस सरकार में महज़ 61 हज़ार करोड़ कर्ज़ लेने पर बीजेपी ने सवाल उठाए थे। इतना ही नहीं 2014 में बीजेपी सरकार श्वेत पत्र ले आई थी। लेकिन अब कर्ज़ तीन गुणा से ज़्यादा बढ़ गया है। ऐसे में इस सरकार को श्वेत पत्र जारी कर बताना चाहिए कि ये राशि कहां इस्तेमाल हुई। इतना कर्ज़ बढ़ना समझ से परे है, क्योंकि बीजेपी सरकार के दौरान प्रदेश में कोई बड़ी परियोजना, कोई बड़ा संस्थान, कोई नई मेट्रो लाइन, रेलवे लाइन, कोई नया पावर प्लांट या बड़ा उद्योग नहीं आया।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने बजट में सिर्फ़ हवा-हवाई वादे किए हैं। क्योंकि बजट की 30 फीसदी राशि तो कर्ज़ का ब्याज और मूल देने में चली जाती है। बाकी राशि पेंशन, सैलेरी, अन्य सेवाओं के भुगतान, संचालन और संरक्षण में चली जाती है। ऐसे में रोड, स्कूल, कॉलेज, हॉस्पिटल और यूनिवर्सिटी बनाने के लिए राशि कहां से आएगी?
इस बजट की घोषणा के साथ प्रदेश में गठबंधन सरकार का भ्रम और कॉमन मिनिमम प्रोग्राम का जुमला भी ख़त्म हो गया। साफ़ हो गया है कि गठबंधन सहयोगी ने सत्ता के लालच में बीजेपी का समर्थन नहीं, बल्कि बीजेपी के सामने समर्पण कर दिया है। क्योंकि बजट में उनकी किसी भी चुनावी घोषणा को जगह नहीं मिली है। इसलिए इस सरकार का कोई कॉमन मिनिमम प्रोग्राम नहीं आने वाला। और अगर अब कोई प्रोग्राम आता भी है तो उसका कोई मतलब नहीं रह जाता।
इस बजट में पुरानी पेंशन स्कीम, 5100 रुपये बुढ़ापा पेंशन, पंजाब के समान कर्मचारियों का वेतन करने, किसानों की कर्ज़माफ़ी और किसानों की फसलों पर बोनस देने जैसी तमाम मांगों को पूरी तरह नज़रअंदाज़ किया गया है। इससे प्री बजट चर्चा के सुझावों को मानने के दावे की भी पोल खुल गई है।
आज हरियाणा पूरे देश में सबसे ज़्यादा बेरोज़गारी झेल रहा है। इससे पार पाने के लिए बजट में कोई विशेष ऐलान नहीं किया गया। उद्योगों को आकर्षित करने के लिए सरकार के पास कोई योजना नहीं है। लगातार घाटे में चल रहे ऑटोमोबाइल और रियल इस्टेट जैसे क्षेत्रों को बूस्ट करने के लिए सरकार ने कोई प्रावधान नहीं किया। पानीपत की टेक्सटाइल इंडस्ट्री से लेकर यमुनानगर के पोपुलर उद्योग को फिर से रफ्तार देने की मांगों पर बजट चुप्पी साधे हुए है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस बजट में नशे से पार पाने के लिए किसी नई योजना के ऐलान की उम्मीद थी। क्योंकि NCRB के आंकड़ों से साफ हो गया है कि बीजेपी राज में हरियाणा ने नशे के मामले में पंजाब को भी पीछे छोड़ दिया है। साल 2018 आंकड़ों से पता चला है कि हरियाणा में एनडीपीएस के 2,587 मामले सामने आए, जो उत्तर भारत में सबसे ज्यादा हैं। साल 2018 में हरियाणा में नशे की ओवर डोज़ से 86 मौतें हुई हैं जबकि पंजाब में इससे कम 78 मौत हुई हैं। इसी तरह नकली शराब पीने से 162 लोगों की मौत हुई। पीजीआई रोहतक और सिरसा की रिपोर्ट्स बताती हैं कि प्रदेश के युवा ही नहीं बच्चे भी नशे की ज़द में समाते जा रहे हैं। इतने ख़तरनाक हालातों के बावजूद बजट में नशे पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया। नशे और अपराध को कम करने की पूरे बजट में कोई दिशा दिखाई नहीं देती।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार अटल भूजल योजना चलाने का तो हवाला देती है, लेकिन वॉटर कंज़रवेशन के लिए बनी प्रदेश की सबसे कारगर दादूपुर-नलवी परियोजना को बंद कर देती है। बजट में किसानों और विपक्ष की मांग पर इस परियोजना की बहाली की उम्मीद थी। लेकिन सरकार ने इस मांग को भी अनदेखा कर दिया।
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