चुनाव परिणाम आते ही दिल्ली में शाहीन बाग की राजनीति का पटाक्षेप हो गया। धरना उठा लिया गया। शाहीन बाग भाजपा के विपक्षी दलों द्वारा प्रायोजित था। अब चूंकि यह प्रयोग सफल रहा विपक्षी दल इसे अपने अपने क्षेत्र में चुनावों के दौरान आजमाएंगे। और ध्रुवीकरण में सफल भी होंगे। अब भाजपा को इस नए अस्त्र की काट तालाशनी होगी, जो फिलवक्त भाजपा के चाणक्यों के पास नहीं है। अब इसी अस्त्र का किस प्रकार और कहाँ प्रयोग होगा यह तो समय ही बताएगा परंतु यह तय है की इसका प्रयोग होगा ज़रूर।
इस समय राष्ट्रीय राजनीति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कोई विकल्प नहीं है और उनके खिलाफ मुकाबले के लिए विपक्ष के पास कोई बड़ा चेहरा भी नहीं है. विपक्ष में एक तरफ शरद पवार, ममता बनर्जी, एम के स्टालिन और चंद्रबाबू नायडू जैसे नेता हैं तो दूसरी ओर राहुल गांधी और सोनिया गांधी जिनका महत्व लगातार कम हो रहा है. ऐसी स्थिति में अरविंद केजरीवाल विपक्ष के पोस्टर ब्वॉय बनने का दावा कर सकते हैं. अरविंद केजरीवाल ये कह सकते हैं कि देश की राजनीति में मोदी का विजय रथ रोकने की क्षमता उन्हीं में है. उन्होंने दिल्ली की लड़ाई में मोदी को लगातार दो बार हराया है.
देश में फिर से ‘मोदी बनाम ऑल’ की जंग शुरू हो गई है. विपक्ष आम आदमी पार्टी (AAP) की जीत में अपनी जीत देख रहा है. विपक्ष को मोदी का विकल्प केजरीवाल में दिख रहा है. दिल्ली में AAP की जीत पर शिवसेना बीजेपी पर निशाना साधा है. सामना में लिखा है कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह की हवाबाज नीति नाकाम हो गई. दिल्ली-मुंबई में AAP-शिवसेना का सीएम होना बीजेपी के लिए कलेजा चीरने वाला है. वहीं कांग्रेस के नेता कुछ इस अंदाज में बधाई दे रहे है जैसे कि आम आदमी पार्टी नहीं कांग्रेस जीती हो. मोदी के खिलाफ विपक्ष ‘हसीन सपने’ देख रहा है.
एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने कहा, “दिल्ली में पूरा देश बसा है. अब उनको परिवर्तन के लिए एक नया कोई रास्ता चाहिए ये बात देश के सामने उन्होंने दिखाया है. ये जो नतीजे हैं इससे देश में आगे जब चुनाव आएगा, तब क्या होगा इसकी एक झलक इससे साफ हो रही है.” नेता कांग्रेस पीएल पुनिया ने कहा, “बीजेपी और उनकी राजनीति को हराया जा सकता है. अच्छी तरह से ये एक संकेत है.”
इस समय राष्ट्रीय राजनीति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कोई विकल्प नहीं है और उनके खिलाफ मुकाबले के लिए विपक्ष के पास कोई बड़ा चेहरा भी नहीं है. विपक्ष में एक तरफ शरद पवार, ममता बनर्जी, एम के स्टालिन और चंद्रबाबू नायडू जैसे नेता हैं तो दूसरी ओर राहुल गांधी और सोनिया गांधी जिनका महत्व लगातार कम हो रहा है. ऐसी स्थिति में अरविंद केजरीवाल विपक्ष के पोस्टर ब्वॉय बनने का दावा कर सकते हैं. अरविंद केजरीवाल ये कह सकते हैं कि देश की राजनीति में बीजेपी का विजय रथ रोकने की क्षमता उन्हीं में है. उन्होंने दिल्ली की लड़ाई में बीजेपी को दो बार हराया है. आने वाले समय में हो सकता है कि अरविंद केजरीवाल खुद को एक राष्ट्रीय नेता और आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी बताकर दूसरे राज्यों में भी प्रचार करें. अरविंद केजरीवाल जानते हैं कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विकल्प बनना है तो उन्हें राष्ट्रवाद और हिंदुत्व अपनाना ही होगा.
अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के चुनाव में सॉफ्ट हिंदुत्व का भी सहारा लिया. चुनाव-प्रचार के दौरान उन्होंने हनुमान चालीसा का पाठ किया था तो आज जीत के बाद उन्होंने मंदिर जाकर हनुमान जी के दर्शन किए. इसके जरिए उन्होंने ये जताने की कोशिश की है कि वो सॉफ्ट हिंदुत्व का एक मजबूत चेहरा भी बन सकते हैं. यानी अरविंद केजरीवाल अपनी ऐसी छवि बनाने की कोशिश में हैं जिसमें विकास, राष्ट्रवाद और सॉफ्ट हिंदुत्व तीनों हो.