“द स्टोरी ऑफ़ शॉप कीपर या डॉक्टर” : क्या है बस्ती बावा खेल की FIR NO.98/2016 का राज़ ?
जालंधर (अनिल वर्मा):
दोस्तों आम तोर पर हमें अगर कोई दिक्कत व परेशानी अति है तो सबसे से पहले सबकी जुबां पर होता है की पुलिस के पास जाओ ! परन्तु अगर यही रक्षक पुलिस आम व्यक्ति की भक्षक बन जाये और अगर किसी इंसान को अपनी वर्दी और पद का गलत इस्तेमाल करकर किसी पर झूठी FIR दर्ज करवा दे तो क्या बीतेगी उस व्यक्ति/इंसान पर ?
आज की हमारी कहानी जालंधर के 120 फूटी रोड पर रहने वाले मनीष मेहता की है जो पेशे से एक दुकानदार है और मनीष मेहता के अनुसार साल 2016 में थाना 5 में हेड कांस्टेबल(HC) तेनात था और अब जालंधर पुलिस में बतौर ASI तैनात है, जोकि उक्त ASI अभी जालंधर में तेनात डीसीपी अमरीक सिंह पोवार का रीडर है, मनीष मेहता के मुताबिक उक्त ASI ने उन्हें साल 2016 में जब वह थाना 5 में हेड कांस्टेबल (HC) तेनात था और अपनी वर्दी का गतल इस्तेमाल करते हुए उन पर थाना बस्ती बावा खेल में एक FIR दर्ज करवाई जिसमे उक्त शातिर ASI ने मनीष मेहता को एक डॉक्टर बताया और IPC धारा 354-A, POCSO 7,8 एक्ट के तेहत मामला रातो रात दर्ज करवा दिया| वही पीड़ित मनीष मेहता का कहना है की वह न तो डोक्टर है, न कभी डॉक्टर थे, फिर भी उक्त ASI द्वारा अपनी वर्दी व पद का गलत इस्तेमाल करते हुए उनपर झूठी FIR दर्ज करवाई गई|
अगली खबर में हम इस किस्से के और भी कई राज़ खोलेंगे जिससे कही न कही ये सही में लगता है की कुछ पुलिस वाले अपनी वर्दी का गलत इस्तेमाल करते है और फिर चन्द इसे पुलिस वालो की वजह से आम जनता में पुलिस की छवि कही न कही ख़राब होती है जिस करण से आम लोग सभी पुलिस वालो को एक जेसा ही समझ बैठते है, मनीष मेहता की मने तो यही लगता है पुलिस की नोकरी हासिल कर कोई कुछ भी कर सकती है जिसे चाहे किसी भी केस में फसा दे जिसे चाहे किसी भी केस से बहार निकल दे|
पीड़ित मनीष मेहता की माने तो इस पर कई सवाल खड़े होते है और आम तौर पर हमें कई लोग ये कहते व सुनते मिल जाते है की पुलिस कुछ भी कर सकती है अब ये कहा तक सही है! आने वाले समय के एपिसोड “द स्टोरी ऑफ़ शॉप कीपर या डॉक्टर” उजागर होंगे|
Leave a Reply
Want to join the discussion?Feel free to contribute!