श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र की घोषणा के समय को लेकर ओवैसी की तीखी प्रतिक्रिया
राम मंदिर के लिए ट्रस्ट की घोषणा के समय पर एआईएमआईएम अध्यक्ष असुद्दीन ओवैसी ने सवाल उठाए हैं. ओवैसी ने कहा कि मुस्लिम समुदाय 5 एकड़ ज़मीन देने के प्रस्ताव की घोषणा को खारिज करता है और सुन्नी वक्फ बोर्ड को भी ऐसा ही करना चाहिये. इस समय ट्रस्ट की घोषणा करना आचार संहिता का उल्लंघन है.
नई दिल्ली(ब्यूरो):
अयोध्या में अब सब कुछ मंगल ही मंगल है. पहले सुप्रीम कोर्ट के फैसले और आज लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ऐलान के साथ ही शुभ मुहूर्त की शुरुआत हो चुकी है. अब देश को इंतजार है श्रीराम के उस भव्य मंदिर का जिसकी कल्पना लोग सदियों से कर रहे थे. वहीं, राम मंदिर के लिए ट्रस्ट की घोषणा के समय पर एआईएमआईएम अध्यक्ष असुद्दीन ओवैसी ने सवाल उठाए हैं. ओवैसी ने कहा कि मुस्लिम समुदाय 5 एकड़ ज़मीन देने के प्रस्ताव की घोषणा को खारिज करता है और सुन्नी वक्फ बोर्ड को भी ऐसा ही करना चाहिये. इस समय ट्रस्ट की घोषणा करना आचार संहिता का उल्लंघन है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के 88 दिन बाद ट्रस्ट का ऐलान
अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के 88 दिन बाद मोदी सरकार ने राम मंदिर बनाने के लिए ट्रस्ट का ऐलान कर दिया है. ट्रस्ट में 15 सदस्य होंगे. आज कैबिनेट के फैसले के फौरन बाद प्रधानामंत्री नरेंद्र मोदी संसद पहुंचे. लोकसभा में उन्होंने प्रश्नकाल से पहले ट्रस्ट बनाए जाने का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि ट्रस्ट का नाम ‘श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र’ होगा. इसी के साथ केंद्र सरकार ने अपने कब्जे की 67.703 एकड़ जमीन भी ट्रस्ट को सौंप दी है. यह पूरा इलाका मंदिर क्षेत्र होगा. ये ट्रस्ट अयोध्या में भगवान श्रीराम की जन्मस्थली पर भव्य और दिव्य श्रीराम मंदिर के निर्माण और उससे संबंधित विषयों का निर्णय लेने के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र होगा.
ऐसे काम करेगा ट्रस्ट
सबसे पहले ट्रस्टी बोर्ड बनाया जाएगा जिसमें 10 से 15 लोग रखे जाते हैं. ट्रस्ट के मुख्य उद्देश्य के साथ-साथ रूल्स एंड रेगुलेशन तय किए जाएंगे. इसके बाद मैनेजमेंट कमेटी या फिर मैनेजमेंट बोर्ड बनाया जाएगा. इसे कहीं-कहीं गवर्निंग बॉडी भी कहा जाता है. बोर्ड मेंबर पर हर तरह के फैसले लेने का अधिकार होगा. फिर ट्रस्टी की ओर से चयनित बोर्ड में से कुछ लोगों को लीगल एंटिटी बनाया जाएगा.
इस ट्रस्ट में एक निश्चित तरीके से जनता से पैसा लिया जाएगा. पूरी धनराशि एक बैंक खाते में जमा होगी. खाता एक पैन नंबर से खोला जाएगा है. यानि जिसका पैन नंबर होगा उसी की जवाबदेही होगी. खाते के लिए पैन नंबर देने वाले शख्स का चयन भी बोर्ड ही करेगा. साथ ही ट्रस्टी जिसे लीगल एंटिटी यानी कानूनी अधिकार देगा उस ही पर ज्यादा जिम्मेदारी होगी.
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