पाकिस्तान के प्रधान मंत्री ने कल भारतीय लोक सभा में पारित नागरिक संशोधन बिल को पाकिस्तान के आंतरिक मामलों में दखल बताया।
पाकिस्तान के प्रधान मंत्री ने इसे कई द्विपक्षीय मसौदों का उल्लंघन बताया। बस यह नहीं बताया की किस प्रकार मसौदों का उल्लंघन पाकिस्तान और बांग्लादेश ने किया। आज़ादी और धार्मिक आधार पर हुए बटवारे के 1947 में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी 23 प्रतिशत थी। 2011 में 23 प्रतिशत से कम होकर 3.7 प्रतिशत हो गयी. बांग्लादेश में 1947 में अल्पसंख्यकों की आबादी 22 प्रतिशत थी जो 2011 में कम होकर 7.8 प्रतिशत हो गयी’। परंतु पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को तब के समझौते और मुसलमान देशों द्वारा उनका उल्लंघन याद नहीं आता।
कल से जब से पाकिस्तान की तरफ से भारतीय नागरिकता संशोधन बिल की भर्त्सना की गयी है तभी से शिव सेना भी इसी दुविधा में है की क्या करे। आज के संजय राओत के बयान से तो यही लगता है की कल लोक सभा में जो हुआ सो हुआ अब दोबारा यह गलती नहीं होगी, आखिर कुर्सी जो बचानी है,
नई दिल्ली(ब्यूरो):
लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 (CAB) का समर्थन करने वाली शिवसेना ने इस विधेयक का राज्यसभा में शर्तें पूरी होने के बाद ही सहमति का ऐलान किया है. दरअसल, लोकसभा में इस बिल की समर्थक पार्टियों पर ट्वीट कर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हमला किया था. इसके बाद राज्यसभा में महज तीन सांसदों वाली पार्टी शिवसेना के सुर बदल गए हैं. लोकसभा में नागरिक संशोधन बिल का समर्थन कर शिवसेना ने कांग्रेस की नाराजगी मोल ले ली है.
महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की सरकार को कांग्रेस का समर्थन हासिल है. ठाकरे सरकार एनसीपी और कांग्रेस की समर्थन की बैसाखी सहारे प्रदेश में सरकार चला रही है. शायद यही वजह है कि CAB का लोकसभा में समर्थन करने वाली शिवसेना अब राज्यसभा में इस बिल के विरोध मे सुर उठाने की तैयारी में है. महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे की दलील है कि बिल में खामियों को दूर किए बिना राज्यसभा में बिल का विरोध करेंगे. दरअसल, शिवसेना को पता है कि लोकसभा में भाजपा का बहुमत है और वहां विरोध करने का कोई मतलब नहीं है.
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘नागरिकता संशोधन बिल में शिवसेना के सुझावों को बिल में जोड़ा जाए, अन्यथा राज्य सभा में इस बिल को हम समर्थन नहीं करेंगे. केंद्र सरकार दूसरे अहम मुद्दों से ध्यान भटकाने मे लगी है. इस बिल को लेकर सरकार राजनीति साध रही है. सरकार देश के लोगों का ध्यान भटकाने में लगी है. मंहगाई, प्याज की कीमत जैसे मुद्दों को दरकिनार किया गया है.’
नागरिकता संशोधन बिल के समर्थन पर मुख्यमंत्री
उद्धव ठाकरे ने कहा कि बीजेपी के इस भ्रम को खत्म करना चाहिए कि जो वह करें और कहे वहीं देशहित है बाकी सब देशद्रोही. महाराष्ट्र में एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार चला रही शिवसेना ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल के पक्ष में वोट कर सबको हैरान कर दिया है. शायद हिंदुत्व मुद्दे पर शिवसेना का ये पैँतरा पार्टी की सियासी मजबूरी है. लिहाजा लोकसभा में इस बिल को लेकर सहयोगी कांग्रेस और एनसीपी के कदम से शिवसेना सदन मे ताल से ताल नहीं मिला पाई. सवाल है कि क्या शिवसेना का बिल को लेकर पैँतरा असर सूबे की उद्धव ठाकरे की महा विकास अघाड़ी सरकार पर भी असर पड़ेगा.
नागरिता संशोधन बिल को लेकर शिवसेना के मुखपत्र सामना में सवाल उठाने वाली शिवसेना ने लोकसभा में बिल के पक्ष में वोट दिया. अब जब सवाल उठने लगा है तो पार्टी प्रमुख और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे कह रहे हैं कि अगर हमारे सवालों के जवाब नहीं मिलेंगे तो राज्यसभा में उनकी पार्टी वोट नहीं करेगी.
राहुल के ट्वीट से बदले शिवसेना के सुर
राहुल गांधी ने शिवसेना का नाम लिए बिना ट्वीट कर बिल का समर्थन करने वालों को घेरा है. इसके बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे सांसत में पड़ गए हैं. राहुल गांधी ने ट्वीट किया, CAB का समर्थन करने वाले राष्ट्र की बुनियाद पर प्रहार करने की कोशिश की है.’ कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा है कि अब राज्यसभा में शिवसेना अलग स्टैंड लेगी.
उधर बीजेपी, शिवसेना पर तंज कस रही है. महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री सुधीर मुंगंटीवार ने कहा कि शिवसेना सत्ता सुंदरी प्रेम में पड़ी हुई है. इस बीच ऑल इंडिया उलेमा काउंसिल के बैनर तले मुस्लिम उलेमाओं ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मिलकर अपनी नाराजगी जताई. राज्यसभा में बिल के विरोध में वोट करने की मांग की है.
ऑल इंडिया उलेमा काउंसिल के सेक्रेटरी जनरल महमूद दरियाबाद ने कहा, ‘हमने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात की और निवेदन किया कि राज्य सभा में इस बिल का विरोध करें.’
उद्धव की सरकार में नहीं है ‘ऑल इज वेल’
दरअसल, शिवसेना ने लोकसभा में नागरिक संशोधन विधेयक का समर्थन कर धीरे से यह बताने की कोशिश की है कि वह अभी भी हिंदुत्व नहीं भूली तो राज्यसभा में इस बिल का समर्थन कर महाविकास आघाड़ी के नए दोस्तों को नाराज नहीं करना चाहती. राज्य में सरकार बनाये 13 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अभीतक 6 मंत्रियों के विभाग नहीं बांटे गए हैं. साफ है कि सरकार में सबकुछ ठीक नहीं, उधर कांग्रेस का कहना है कि शिवसेना अलग राजनीतिक दल है तो इस बिल को लेकर उसके विचार अलग हो सकते हैं.
शिवसेना राज्यसभा में अगर नागरिक संशोधन विधेयक का विरोध करती है तो भाजपा को इस बिल को राज्यसभा में पास कराने के लिए मुश्किल हो सकती है, लेकिन नागरिक संशोधन विधेयक को लेकर शिवसेना 2 डगर पर पांव रखती नज़र आ रही है जो उसके राजनीतिक भविष्य के लिए किसी खतरे से कम नहीं है.