पाकिस्तान सरकार ने कहा है कि वह करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन के लिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को न्योता देगी. पाकिस्तान सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निमंत्रण नहीं देगी.
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नई दिल्ली:
पाकिस्तान ने करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन के लिए भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को न्योता देकर कांग्रेस पार्टी को मझधार में डाल दिया है. हालांकि मनमोहन सिंह के दफ्तर ने इस बात से साफ इनकार किया है कि वो पाकिस्तान जाएंगे. उनके दफ़्तर ने ये भी साफ किया है कि उन्हें अभी तक कोई निमंत्रण पाकिस्तान से नहीं मिला है.
इधर, पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा, “हम भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन समारोह में आमंत्रित करना चाहेंगे. वह सिख समुदाय का भी प्रतिनिधित्व करते हैं. हम उन्हें औपचारिक आमंत्रण भी भेजेंगे.”
कुरैशी ने एक टीवी चैनल को बताया था, ‘‘करतारपुर गलियारे का उद्घाटन एक बड़ा कार्यक्रम है पाकिस्तान इसकी जोर-शोर से तैयारी कर रहा है। हमने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इसमें बुलाने का निर्णय किया है। हम जल्दी ही इस बारे में उन्हें एक औपचारिक पत्र भेजेंगे।’’ उन्होंने कहा कि सिंह सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं। कुरैशी ने बताया, ‘‘सिख श्रद्धालुओं का स्वागत करके हमें प्रसन्नता होगी, जो गुरु नानक देव के 550 वें प्रकाश पर्व पर करतारपुर आने वाले हैं।’’
कांग्रेस सूत्रों का दावा है कि मनमोहन सिंह जब प्रधानमंत्री रहते हुए 10 साल तक पाकिस्तान नहीं गए तो अब जाने का कोई सवाल ही नहीं उठता है. यूपीए के दौर में पाकिस्तान ने मनमोहन सिंह को कई बार पाकिस्तान आने का न्योता दिया था.
आमतौर पर किसी भी देश से निमंत्रण मिलने पर आपको विदेश मंत्रालय को इस बात की जानकारी देनी होती है. कई बार विदेश मंत्रालय ऐसे मामले में जाने या नहीं जाने की सलाह भी देता है. हाल का वाकया ध्यान करें तो नवजोत सिंह सिद्धू को जब इमरान खान ने अपने शपथग्रहण समारोह में आने का न्योता भेजा था. उस समय विदेश मंत्रालय ने उन्हें पाकिस्तान जाने से नहीं रोक था. लेकिन मनमोहन सिंह के मामले में शायद ऐसा नहीं होगा.
सिद्धू के पाकिस्तान जाने का खामियाजा भुगत चुकी कांग्रेस किसी भी कीमत पर मनमोहन सिंह को पाकिस्तान जाने देने का रिस्क नहीं उठाएगी. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का जन्म पाकिस्तान में हुआ था और वो सिख कौम से हैं. इसीलिए पाकिस्तान ने ये कार्ड जानबूझकर खेला है.