पाक समर्थक तुर्की को भारत का कूटनीतिक जवाब
. तुर्की वैसे तो भारत को भी अपना मित्र राष्ट्र कहता है लेकिन अहम वैश्विक मंचों पर वह लगातार पाकिस्तान की भाषा बोलता है। कश्मीर पर तो खास तौर पर वह हर मंच पर पाकिस्तान के समर्थन में होता है। यही नहीं परमाणु ईंधन आपूर्तिकर्ता देशों के प्रतिष्ठित संगठन (एनएसजी) में भारत को प्रवेश देने का भी वह इस तर्ज पर विरोध करता रहा है कि पाकिस्तान को भी इसका सदस्य बनाया जाना चाहिए।
. आर्मेनिया और साइप्रस तुर्की के पड़ोसी देश हैं और इनके बीच ऐतिहासिक दुश्मनी है। अब मोदी ने इन दोनो देशों को आश्वस्त किया है कि उनके साथ द्विपक्षीय रिश्तों को नया आयाम दिया जाएगा।
चंडीगढ़:
तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तयीप एर्दोगन संयुक्त राष्ट्र में बेशक खुले तौर पर भारत के खिलाफ और पाकिस्तान के समर्थन में नजर आए, मगर भारत चुपचाप उसके तीन धुर विरोधी पड़ोसी देश व दमदार प्रतिद्वंद्वी साइप्रस, आर्मेनिया और ग्रीस के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है. इस तरह पाकिस्तान का समर्थन करने वाले तुर्की को भारत ने कूटनीतिक तरीके करारा जवाब दिया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के भाषण के बाद साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस अनास्तासीद से मुलाकात की. इस देश ने स्वतंत्रता, संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और साइप्रस गणराज्य की एकता के लिए भारत का लगातार समर्थन किया है. भारत का यह कदम महत्वपूर्ण है, क्योंकि 1974 में तुर्की के आक्रमण में पूर्वी भूमध्यसागरीय द्वीप विभाजित हो गया था, जिसमें अंकारा ने इसके उत्तरी भाग पर कब्जा कर रखा है. तुर्की ने टर्किश रिपब्लिक ऑफ नॉर्दर्न साइप्रस (टीआरएनसी) की स्थापना की है, जिससे इन दोनों पक्षों के बीच एक लंबे सैन्य गतिरोध की शुरुआत हुई.
आर्मेनिया भारत सरकार से भी कई बार आग्रह कर चुका है कि वह आर्मेनिया नरसंहार को लेकर एक प्रस्ताव संसद में पारित करवाये। तुर्की को दबाव में लाने के लिए यह विकल्प अभी भारत के पास है।
टीआरएनसी को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता नहीं मिली हुई है और इसके तुर्की के साथ महज राजनयिक संबंध हैं. एर्दोगन ने उत्तरी साइप्रस में तैनात 30 हजार से अधिक सैनिकों को वापस लेने से इनकार कर दिया है. मोदी ने शुक्रवार को ग्रीक के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोटाकिस से भी मुलाकात की. बैठक के बाद, मोदी ने ट्वीट किया, “ग्रीस के प्रधानमंत्री के साथ बातचीत करने का अवसर मिला. भारत-ग्रीस संबंध समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं. हम व्यापार के साथ-साथ अपने नागरिकों के लाभ के लिए आपस में लोगों के संबंधों को भी बढ़ाने के लिए काम करेंगे.”
इसके अलावा, मोदी ने अपने आर्मेनिया के समकक्ष निकोल पशिनयान से भी मुलाकात की. इस देश की सीमा तुर्की के साथ लगती है और दोनों देशों के बीच भी अच्छे संबंध नहीं रहे हैं. आर्मेनिया के लोग 1915 में तुर्की साम्राज्य द्वारा अपने लाखों नागरिकों के संहार को माफ नहीं कर पाए हैं. तुर्की सरकार ने हालांकि इस बात से इनकार किया है कि कभी कोई नरसंहार हुआ था. मोदी ने गुरुवार को ट्वीट किया, “प्रधानमंत्री निकोल पशिनयान से व्यापक विचार-विमर्श हुआ. हमने प्रौद्योगिकी, फार्मा और कृषि आधारित उद्योगों से जुड़े पहलुओं पर भारत-आर्मेनिया सहयोग का विस्तार करने के बारे में बात की. प्रधानमंत्री निकोल ने आर्मेनिया में भारतीय फिल्मों, संगीत और योग की लोकप्रियता का भी उल्लेख किया.”
साइप्रस लगातार तुर्की पर आरोप लगाता है कि वह उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करता है और आतंकवाद को बढ़ावा देता है। मोदी और एंस्टासिएड्स के बीच अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर भी बातचीत हुई है। तुर्की के लिए यह संदेश काफी है कि भारत साइप्रस और आर्मेनिया के साथ अपने रिश्तों को प्रगाढ़ करने को तैयार है।
तुर्की के साथ तीनों देशों की गहरी दुश्मनी के मद्देनजर इन नेताओं के साथ मोदी की बैठकों का काफी महत्व माना जा रहा है. यह अंकारा का इस्लामाबाद का साथ देते हुए भारत के खिलाफ होने की परिस्थितियों का मुकाबला करने के लिए एक स्पष्ट व महत्वपूर्ण कदम है.
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