दोनों राज्यों मे भाजपा का पलड़ा भारी मुख्य मंत्री के चेहरे आगे रख लड़ा जाएगा चुनाव

हरियाणा और महाराष्ट्र में कौन पार्टी है कितने पानी में? क्या बीजेपी सिर्फ मोदी लहर के भरोसे है? दोनों राज्यों में उसका मुकाबला कांग्रेस से होने वाला है. महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी सीटों के बंटवारे के मामले में आगे हैं लेकिन हरियाणा में आपसी सिर फुटव्वल से पारा पाना आसान नहीं!

सारिका तिवारी

चुनाव आयोग आज दोपहर महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है. यहां 21 अक्‍टूबर को वोट डाले जाएंगे. 24 को नतीजा आएगा. दोनों राज्‍यों में इस वक्‍त भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. दोनों में उसका पलड़ा भारी है. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या पार्टी इन राज्यों में फिर से अपने दम पर सरकार बना पाएगी. पार्टी सूत्रों का कहना है कि महाराष्ट्र और हरियाणा में मौजूदा मुख्यमंत्रियों के चेहरे को ही आगे करके चुनाव लड़ा जाएगा. दोनों सीएम एक राउंड की अपनी चुनावी यात्राएं पूरी कर चुके हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद राज्यों की सत्ता हासिल करने की यह जंग दिलचस्प होने वाली है.

वरिष्ठ पत्रकार नवीन धमीजा का कहना है कि ये दोनों राज्य राजनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण हैं.  हरियाणा और महाराष्ट्र में कभी कांग्रेस का शासन हुआ करता था, लेकिन दोनों राज्यों में वो इस वक्त हाशिए पर है. कांग्रेस के नेता आपस में ही लड़ रहे हैं. फिर भी इन दोनों में बीजेपी और कांग्रेस के बीच टक्कर है. महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी सीटों के बंटवारे के मामले में बीजेपी-शिवसेना से आगे हैं. लेकिन हरियाणा में वो आपसी सिर फुटव्वल से अभी तक पार नहीं पा सकी है.

इन दोनों राज्यों में विधानसभा की 378 सीटें हैं. जिनमें से 183 पर बीजेपी विधायक हैं. जबकि कांग्रेस के पास सिर्फ 51 सीटें हैं. दोनों राज्यों में सत्ताधारी पार्टी को पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ज्यादा भरोसा है. मोदी लहर के भरोसे ही यहां पार्टी मैदान जीतने की उम्मीद कर रही है. पीएम मोदी पिछले एक माह में दोनों राज्यों में दौरा कर चुके हैं.

राजस्थान, एमपी जैसा तो नहीं होगा हाल?

दिसंबर 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी अपनी सरकार गंवा चुकी है. हालांकि, लोकसभा चुनाव में उसने जबरदस्त वापसी करते हुए कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया था. फिर भी पार्टी हरियाणा, महाराष्ट्र में होने वाले चुनाव को अति आत्मविश्वास में नहीं लड़ेगी. इसलिए तैयारियों में कोई ढील नहीं दी जा रही.

लोकसभा चुनाव में जीत के बाद हौसले बुलंद

लोकसभा चुनाव में बंपर जीत के बाद बीजेपी और उसके कार्यकर्ताओं के हौसले बुलंद हैं. इसलिए इन राज्यों में बीजेपी जीत के पक्के इरादे के साथ जरूर उतरेगी. बीजेपी प्रवक्ता राजीव जेटली का कहना है कि दोनों राज्यों में पार्टी की गणित और केमिस्ट्री दोनों मजबूत है. आइए, समझते हैं कि किस राज्य में क्या सियासी समीकरण है?

महाराष्ट्र का राजनीतिक गणित

महाराष्ट्र में बीजेपी का शासन है. जिसे देवेंद्र फडणवीस चला रहे हैं. 288 सीटों वाले प्रदेश में बीजेपी के पास सबसे अधिक 135 विधानसभा सीट हैं. उसकी सहयोगी शिवसेना के पास 75 और विपक्षी दल कांग्रेस के पास 34 और एनसीपी के पास 31 सीट हैं. ना-नुकुर करते-करते बीजेपी और शिवसेना ने लोकसभा चुनाव साथ लड़ा. जिसमें बीजेपी ने 23 और शिवसेना ने 18 सीटें जीतीं. लेकिन विधानसभा की सीटें शिवसेना बराबर-बराबर हिस्सेदारी पर लड़ना चाहती है. लोकसभा चुनाव में एनसीपी ने 4 सीटें जबकि कांग्रेस ने सिर्फ एक सीट हासिल की थी. ऐसे में यहां पावरफुल गठबंधन बीजेपी-शिवसेना का ही है. हार की निराशा में घिरी कांग्रेस के लिए यहां चुनाव की डगर काफी कठिन नजर आ रही है.

हरियाणा की सियासत में कौन कहां?

हरियाणा में विधानसभा की 90 सीटें हैं. पिछला चुनाव अक्टूबर 2014 में हुआ था. बीजेपी ने यह चुनाव बिना चेहरे के लड़ा था. पीएम नरेंद्र मोदी की अगुआई में बीजेपी ने कांग्रेस के गढ़ रहे इस प्रदेश में 47 सीटें जीतीं. पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई. जींद उप चुनाव जीतने के बाद बीजेपी के पास 48 विधानसभा सीट हो गईं. 2014 में आरएसएस प्रचारक मनोहरलाल खट्टर को सीएम बनाकर पार्टी ने पहले से जमे जमाए नेताओं को चौंका दिया था. हालांकि सियासी जानकार कहते हैं कि जन आशीर्वाद रैली में दो बार सीएम का गुस्सा सोशल मीडिया में छाया रहा, यह कहीं उनके सियासी कॅरियर पर भारी न पड़ जाए.

फिलहाल तो मनोहरलाल के नेतृत्व में हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटें भी बीजेपी की झोली में आ गई हैं. इसलिए दिल्ली दरबार में उनके नंबर ठीक बताए जाते हैं. बीजेपी ने यहां पर 75 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. 2014 में कांग्रेस के पास 17 और इनेलो की 19 सीटें थीं. पांच निर्दलीय और एक-एक बहुजन समाज पार्टी, शिरोमणि अकाली दल के विधायक चुने गए थे. हालांकि, इस समय इनेलो के 10 वर्तमान विधायक बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. जबकि जन नायक जनता पार्टी में शामिल हुए 4 विधायक अयोग्य घोषित कर दिए गए हैं. इनेलो के पास सिर्फ तीन विधायक बचे हैं. देखना ये है कि आज से शुरू हो रही सत्ता की नई जंग में कौन कहां खड़ा होगा.

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