Monday, December 23

चंडीगढ़, 7 सितंबर (सारिका तिवारी)

चंडीगढ़ पुलिस द्वारा 9 अगस्त 2019 शाम करीब 7:15 बजे एक FIR रजिस्टर की गयी जिस पर करीब 10 महीने से जांच चल रही थी पर मज़े की बात यह है कि यह ‘किसी’ unknown के नाम रजिस्टर किया गया केस है। यह मामला भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 420, 467, 468, 471, 120बी के तहत दर्ज किया गया है।

एफ़आईआर न. 222 के बारे में कोई प्रेस विज्ञप्ति भी जारी नहीं किया गया। जब संबन्धित थाना सैक्टर 3 के थानाध्यक्ष नीरज सरना से पूछा गया कि इस मामले में ‘unknown’ के खिलाफ़ क्यों केस दर्ज किया है तो उन्होने इस संवाददाता को बहुत ही रूखे और बेतुके ढंग से जवाब दिया कि इसका जवाब PRO के पास है।

कानूनविदों कि मानें तो कानूनन ऐसी एफ़आईआर का कोई मतलब नहीं, यह मात्र एक छलावा है क्योंकि शिकायत में शिकायतकर्ता ने साफ साफ इन व्यक्तियों पर आरोप लगाए हैं जो कि सीधे सीधे बीमा कंपनी से संबन्धित हैं।

सनद रहे कि गत वर्ष अक्तूबर के महीने में पंचकुला निवासी एसके वोहरा ने पंचकुला की ही निवासी महिला काँग्रेस कि राष्ट्रिय पदाधिकारी के विरुद्ध चंडीगढ़ पुलिस में एक शिकायत दी थी जिसमें वोहरा ने उक्त काँग्रेस नेत्री, उसके पति और अन्यों पर आरोप लगाया था कि उक्त व्यतियों ने जालसाजी के तहत अपने निजी हितों के लिए उसकी बहू नेहा वोहरा जो कि अमेरिका में रहती है के दस्तावेज़ों से छेड़ छाड़ कि है और उसकी मर्ज़ी के बिना उसका बीमा किया गया। जबकि कानून व्यक्ति कि मोजूदगी के बिना बीमा नहीं किया जा सकता। जिस समय नेहा वोहरा के नाम कंपनी में बीमा किया गया उस समय नेहा भारत में थी ही नहीं।

पुलिस जांच से असंतुष्ट वोहरा ने अप्रैल के तीसरे हफ्ते में ‘Police Complaint Authority’ सैक्टर 3 में एसएचओ नीरज सरना, डीएसपी कृष्ण कुमार और मामले के तत्कालीन जांच अधिकारी बलकार सिंह के विरुद्ध शिकायत दी थी और संदेह जताया था कि प्रभाव में आ कर पुलिस बयानों से छेड़ छाड़ कर रही है। इसके फलस्वरूप ‘Police Authority’ ने पुलिस को कम्प्युटर सील करने के आदेश दिये। पुलिस ने अथॉरिटी के आदेशों के खिलाफ उच्च न्यायालय के दरवाजा खतखटाया। जिसकी अगली सुनवाई 10 सितंबर को होगी।