ईडी ने कार्ति को जोरबाग वाला घर खाली करने को कहा

नोटिस में कहा गया है कि जोर बाग वाले घर की 50 फीसदी की हिस्सेदारी कार्ति की है, जिसे एजेंसी ने पिछले साल अक्टूबर में अटैच किया था और इसी साल 29 मार्च को इस अटैचमेंट को कनफर्म किया गया है. नोटिस में कहा गया है कि मकान को 10 दिनों के अंदर खाली कर दिया जाए. कार्ति चिदंबरम तमिलनाडु के शिवगंगा से लोकसभा सासंद है. कार्ति चिदंबरम को पिछले साल मार्च में CBI ने गिरफ्तार किया था और फिर ED ने भी पूछताछ की थी. फिलहाल कार्ति चिदंबरम जमानत पर बाहर है.

नई दिल्‍ली : प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने नोटिस जारी कर पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को जोर बाग स्थित घर खाली करने के लिए कहा है. इस घर को ED ने पिछले साल अक्टूबर में INXMedia केस में अटैच किया था. ED ने ये नोटिस कार्ति को 31 जुलाई 2019 को जारी किया है. नोटिस में कहा गया है कि जोर बाग वाले घर की 50 फीसदी की हिस्सेदारी कार्ति की है, जिसे एजेंसी ने पिछले साल अक्टूबर में अटैच किया था और इसी साल 29 मार्च को इस अटैचमेंट को कनफर्म किया गया है. नोटिस में कहा गया है कि मकान को 10 दिनों के अंदर खाली कर दिया जाए.

दरअसल, कार्ति के जोर बाग वाले घर में 50 फीसदी हिस्सेदारी कार्ति की है और बाकी की 50 फीसदी कार्ति की मां नलिनी चिदंबरम की है. नोटिस में ED ने कहा है कि इस घर की 50 फीसदी हिस्सेदारी जिस पर एजेंसी का हक है उसे अगले आदेश तक अपने पास रखेंगे.

इस मामले में कार्ति ने INXMedia को 2007 में Foreign Investment Promotion Board (FIPB) से मंजूरी दिलवायी थी. आरोप है कि उसी दौरान कार्ति के पिता पी चिदंबरम भारत सरकार में वित्त मंत्री थे और उन्होने नियमों से बाहर जाकर इस विदेशी निवेश को मंजूरी दी थी. 

CBI ने सबसे पहले इस मामले में 15 मई 2017 को केस दर्ज जांच शुरु की थी, जिसमें INXMedia को 305 करोड़ रुपये के विदेशी निवेश को FIPB से मंजूरी दिलवाई थी. इस मामले में इंद्राणी मुखर्जी वादा माफ गवाह भी बन चुकी है.

कार्ति चिदंबरम तमिलनाडु के शिवगंगा से लोकसभा सासंद है. कार्ति चिदंबरम को पिछले साल मार्च में CBI ने गिरफ्तार किया था और फिर ED ने भी पूछताछ की थी. फिलहाल कार्ति चिदंबरम जमानत पर बाहर है.

कार्ति ओर पी चिदम्बरम की गिरफ्तारी पर रोक 9 अगस्त तक बढ़ी

कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए अब तक सरकारी अनुमति न लेने पर जांच एजेंसी सीबीआई और ईडी को फटकार लगाई थी. इस अग्रिम जमानत का ईडी और सीबीआई विरोध कर रही है. ईडी और सीबीआई का कहना है कि उसे जांच आगे बढ़ाने और आरोपियों से पूछताछ करने के लिए हिरासत चाहिए ऐसे में आरोपियों की गिरफ्तारी पर लगी रोक को हटाया जाए

नई दिल्लीः एयरसेल-मैक्सिस डील मामले में दिल्ली की राॅउज एवेन्यू कोर्ट ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम की गिरफ्तारी पर अब रोक 9 अगस्त तक बढ़ा दी है.गुरुवार को सुनवाई के दौरान चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि कार्ति को सीबीआई और ईडी जब भी पूछताछ के लिए बुलाएगी वो जाएंगे. पी चिदम्बरम और कार्ति चिदम्बरम दोनों सांसद है. दोनों के खिलाफ कभी भी साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ का मामला नहीं आया है.

आपको बता दें कि कोर्ट इस समय कार्ति और पी चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा है और इस अग्रिम जमानत का ईडी और सीबीआई विरोध कर रही है. ईडी और सीबीआई का कहना है कि उसे जांच आगे बढ़ाने और आरोपियों से पूछताछ करने के लिए हिरासत चाहिए ऐसे में आरोपियों की गिरफ्तारी पर लगी रोक को हटाया जाए.

कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए अब तक सरकारी अनुमति न लेने पर जांच एजेंसी सीबीआई और ईडी को फटकार लगाई थी.कोर्ट ने जांच एजेंसियों को फटकार लगाते हुए कहा था कि अगर मामले की अगली सुनवाई तक चार्जशीट में दर्ज नामों के खिलाफ सरकार से कार्रवाई के लिए इजाज़त नहीं मिली तो अदालत जांच एजेंसियों की तरफ से दायर चार्जशीट पर संज्ञान नहीं लेगी.पिछली सुनवाई में पी चिदंबरम पर मुकद्दमा चलाने के लिए केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी थी.

पी चिदंबरम और कार्ति चिदंबरम सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ ईडी और सीबीआई की ओर से दायर चार्जशीटपर पटियाला हाउस कोर्ट को संज्ञान लेना है. ईडी और सीबीआई ने कार्ति और पी चिदंबरम के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी.

एयरसेल-मैक्सिम केस में दायर हुई थी चार्जशीट

एयरसेल-मैक्सिस मामले में सीबीआई ने पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम को आरोपी बनाते हुए उनके खिलाफ पटियाला हाउस कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी.चार्जशीट में कहा गया था कि पी. चिदंबरम ने वित्त मंत्री रहते हुए अपनी पावर का गलत इस्तेमालकिया.उनकेखिलाफ आईपीसी की धारा 120B और पीसी एक्ट की धारा 7, 1213 (2) के तहत चार्जशीट दाखिल की गई है.दरअसल, इस मामले में कुल 18 लोगों को आरोपी बनाते हुए उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी.जबकि ईडी ने कार्ति चिदंबरम के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी.

विधान सभा चुनावों के लिए काँग्रेस की चयन समिति से मिलने कोई भी दावेदार नहीं पहुंचा

मुंबई के महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस पार्टी के ऑफिस में इन दिनों विधानसभा की तैयारी के लिए अहम बैठकें बुलाई जा रही है. विधानसभा के लिए इच्छुक उम्मीदवारों का साक्षात्कार भी इसी ऑफिस में होना है. मुंबई में बुधवार को कांग्रेस के इच्छुक उम्मीदवारों का साक्षात्कार रखा गया था. लेकिन कोई भी मौजूदा विधायक इस साक्षात्कार के लिए नहीं आया. मुंबई के विधायक वर्षा गायकवाड, अमीन पटेल भी साक्षात्कार लिए नहीं पहुंचे. इस पूरे मामले पर अब कांग्रेस पार्टी पर्दा डालती नजर आ रही है.

मुंबईः लोकसभा चुनाव 2019 में महाराष्ट्र से सिर्फ एक सीट जीती कांग्रेस पार्टी की हालत काफी गंभीर मानी जा रही है. पार्टी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए उत्सुक उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलाया था. लेकिन मुंबई में कोई भी विधायक इस साक्षात्कार के लिए आया नहीं. जिससे इस बात का पता चलता है कि पार्टी की हालात कितने खस्ता है और पार्टी के विधायको में कितना असमंजस और निराशा फैली है.  

मुंबई के महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस पार्टी के ऑफिस में इन दिनों विधानसभा की तैयारी के लिए अहम बैठकें बुलाई जा रही है. विधानसभा के लिए इच्छुक उम्मीदवारों का साक्षात्कार भी इसी ऑफिस में होना है. हर बार जब चुनाव आते है तो पार्टी सभी चुनाव क्षेत्र के लिए इच्छुक उम्मीदवारों से अर्जी लेती है. जिसके बाद उनका साक्षात्कार होता है. जो फिलहाल विधायक चुनकर आए है वह भी इस साक्षात्कार के लिए आते है. लोकसभा की हार के बाद पार्टी में जो असमंजस की स्थिती तैयार हुई है. इसका असर दिखना अब शुरु हुआ है.

यह भी पढ़ें : 50 से अधिक विधायक भाजपा में शामिल होना चाहते हैं: महाजन

मुंबई में बुधवार को कांग्रेस के इच्छुक उम्मीदवारों का साक्षात्कार रखा गया था. लेकिन कोई भी मौजूदा विधायक इस साक्षात्कार के लिए नहीं आया. मुंबई के विधायक वर्षा गायकवाड, अमीन पटेल भी साक्षात्कार लिए नहीं पहुंचे. इस पूरे मामले पर अब कांग्रेस पार्टी पर्दा डालती नजर आ रही है.

कांग्रेस पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष बाळासाहेब थोरात ने कहां, ‘जो विद्यमान विधायक है उनको साक्षात्कार की जरुरत नहीं है. वह कभी भी आकर अपनी बात रख सकते है. हर चुनाव क्षेत्र में पार्टी की टिकट के लिए उत्सुक उम्मीदवारों की संख्या बढी है. हम हर जिलास्तर यह साक्षात्कार लेते है. फिलहाल जो विधायक है वह अगर इस सात्क्षात्कार के लिए नही आता तो इसका मतलब यह नही है की वह चुनाव लढने के लिए उत्सुक नही है.’

पार्टी सूत्रों की मानें तो फिलहाल पार्टी संक्रमण की स्थिती से गुजर रही है. यह कहां जा रहा है की मुंबई के मालाड से पार्टी के विधायक अस्लम शेख शिवसेना में जाने की तैयारी कर रहे है. कलिना विधानसभा से चुनाव लड़ने वाले कृपाशंकर सिंह ने अब तक चुनाव लड़ने के लिए तैयार होने की अर्जी भी पार्टी के पास नही भेजी है. वर्षा गायकवाड और अमीन पटेल ने भी साक्षात्कार के लिए ना आना इस बात को दर्शाता है की पार्टी में असमंजस और दुविधा बनी हुई है. 

सिर्फ मुंबई की बात करें तो इन दिनों पार्टी के पास कोई भी मुंबई अध्यक्ष नहीं है. फिलहाल पूर्व सांसद एकनाथ गायकवाड के पास मुंबई कार्यकारी अध्यक्ष पद का जिम्मा अस्थायी तौर पर दिया गया है. मिलिंद देवड़ा ने लोकसभा चुनाव के हार के बाद मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था.  यह हालत सिर्फ मुंबई की नहीं है. मुंबई के बाहर भी पार्टी के कई विधायकों ने फिर से चुनाव लड़ने की अपनी अर्जी नहीं भेजी है.

50 से अधिक विधायक भाजपा में शामिल होना चाहते हैं: महाजन

इसके साथ ही महाजन ने कहा है कि बीजेपी हर किसी को पार्टी में शामिल नहीं करेगी. उन्हीं विधायकों को शामिल करेगी जिनके रिकॉर्ड सही हैं. वहीं लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र से सिर्फ एक सीट जीतने वाली कांग्रेस पार्टी की स्थिति भी खराब है. पार्टी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए उत्सुक उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलाया था, लेकिन कोई भी विधायक इस प्रक्रिया में शामिल नहीं हुए.

मुम्बई : महाराष्ट्र के मंत्री गिरीश महाजन का दावा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में विपक्षी पार्टियों के 40 विधायक भी चुनकर नहीं आएंगे. महाजन ने कहा है कि विपक्षी पार्टियों की हालत काफी गंभीर है. महाजन ने दावा किया है कि विपक्षी पार्टीयों के लगभग 50 विधायक भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल होना चाहते हैं.

इसके साथ ही महाजन ने कहा है कि बीजेपी हर किसी को पार्टी में शामिल नहीं करेगी. उन्हीं विधायकों को शामिल करेगी जिनके रिकॉर्ड सही हैं.

ज्ञात हो कि महाराष्ट्र में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. इससे ठीक पहले शरद पवार की पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में बड़े स्तर पर भगदड़ मची है. खबर है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के कई विधायकों ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया है. सूत्रों का कहना है कि ये सभी विधायक बीजेपी में शामिल होंगे.

वहीं, लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र से सिर्फ एक सीट जीतने वाली कांग्रेस पार्टी की स्थिति भी खराब है. पार्टी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए उत्सुक उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलाया था, लेकिन कोई भी विधायक इस प्रक्रिया में शामिल नहीं हुए.

बागी विधायक स्पीकर के आदेशों को निरस्त करवाने पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर द्वारा अयोग्य करार दिए गए कांग्रेस – जेडीएस के अन्य 9 बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. आपकों बता दें कि 25 जुलाई को तीन जबकि 28 जुलाई 14 बाग़ी विधायकों को स्पीकर ने अयोग्य करार दिया था

ब्यूरो:

कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर द्वारा अयोग्य करार दिए गए कांग्रेस-जेडीएस के अन्य 9 बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. याचिका में स्पीकर के फैसले को चुनौती दी गई है. इससे पहले कांग्रेस के दो बागी विधायक रमेश जरकिहोली, महेश कुमाथल्ली और निर्दलीय विधायक आर शंकर ने मौजूदा विधानसभा के पूरे कार्यकाल के लिए अयोग्य ठहराने के फैसले को चुनौती दी थी. दरअसल,स्पीकर केआर रमेश कुमार ने कांग्रेस-जेडीएस के 14 बागी विधायकों को मौजूदा विधानसभा के पूरे कार्यकाल 2023 तक के लिए अयोग्य करार दिया था.

इससे पहले भी स्पीकर तीन बागी विधायकों को अयोग्य ठहरा चुके हैं. बीएस येदियुरप्पा ने दो दिन पहले ही मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है कुल 17 विधायकों (कांग्रेस के 13 और जदएस के तीन) को अयोग्य करार दिए जाने के बाद सदन का नया समीकरण बदल गया है. 224 सदस्यीय विधानसभा में स्पीकर को छोड़कर सदस्यों की प्रभावी संख्या 207 हो गई है. ऐसे में बहुमत का आंक़़डा 104 पर आ गया है. भाजपा के खुद 105 विधायक हैं तथा उसे एक निर्दलीय का भी समर्थन है.

25 और 28 जुलाई को अयोग्‍य घोषित हुए थे विधायक  

आपकों बता दें कि 25 जुलाई को तीन जबकि 28 जुलाई 14 बाग़ी विधायकों को स्पीकर ने अयोग्य करार दिया था. जिनमें रमेश जारकिहोली (कांग्रेस), महेश कुमतल्‍ली (कांग्रेस), आर शंकर (निर्दलीय). कांग्रेस विधायक प्रताप गौड़ा पाटिल, शिवराम हेब्‍बर, बीसी पाटिल, बयराती बासवराज, एसटी सोमशेखर, के सुधाकर, एमटीबी नागराज, श्रीमंत पाटिल, रोशन बेग, आनंद सिंह और मुनिरत्‍ना और जेडीएस विधायक ए एच विश्‍वनाथ, नारायण गौड़ा, के गोपालैया शामिल हैं.


आरिफ मोहम्मद की ओवैसी को नसीहत “यदि समानता दरकार है तो ‘समान नागरिक संहिता’ का भी समर्थन करो”

पूर्व केंद्रीय मंत्री आरिफ मोहम्मद खान ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि बोर्ड ने तीन तलाक के मुद्दे पर यू-टर्न ले लिया है. खान ने ओवैसी को सलाह देते हुए कहा, “अगर वह समानता की बात करते हैं तो वह सरकार से देश के प्रत्येक नागरिक के लिए पारिवारिक कानूनों को लागू करने के लिए क्यों नहीं कहते. वह कॉमन सिविल कोड का समर्थन करें.” 

ब्यूरो:

 पूर्व केंद्रीय मंत्री आरिफ मोहम्मद खान ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि बोर्ड ने तीन तलाक के मुद्दे पर यू-टर्न ले लिया है. खान ने यह बयान एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के उस बयान के जवाब में दिया जिसमें उन्होंने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से उन्हें उम्मीद है कि वह तीन तलाक कानून की वैधानिकता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगा. पूर्व केंद्रीय मंत्री खान ने ओवैसी को भी नसीहत दे डाली. 

दरअसल, ओवैसी ने सवाल उठाया था कि हिंदू व्यक्ति को एक साल की सजा जबकि मुस्लिम व्यक्ति को तीन साल साल की सजा का प्रावधान है. एक देश में दो कानून क्यों हैं? इस पर खान ने ओवैसी को सलाह देते हुए कहा, “अगर वह समानता की बात करते हैं तो वह सरकार से देश के प्रत्येक नागरिक के लिए पारिवारिक कानूनों को लागू करने के लिए क्यों नहीं कहते. वह कॉमन सिविल कोड का समर्थन करें.” 

पूर्व केंद्रीय मत्री ने न्यूज एजेंसी ANI को दिए एक साक्षात्कार में कहा, “पर्सनल लॉ बोर्ड ने सबसे पहले तो तलाक को ‘गुनाह, दमनकारी और अन्यायपूर्ण बताया था.” हालांकि, बाद में उन्होंने अपना रुख बदल दिया.”   
 
खान ने कहा, “हम एक लोकतांत्रिक देश हैं. हर किसी को अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार है. आपके पास संसद में पास कानून की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का अधिकार है लेकिन मुझे समझ में नहीं आ रहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जिसने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र देकर वादा किया था कि वह तीन तलाक के खिलाफ कैंपेन चलाएगा, वह अब कोर्ट कैसे जा सकता है.”  

उन्होंने कहा, “वे अब फिर से सुप्रीम कोर्ट वैधानिकता को चुनौती देने जा रहे हैं तो ऐसे में अपने शपथ पत्र की बातों को कैसे स्वीकार करेंगे. मैं अब देखना चाहूंगा कि वे अब क्या कहते हैं. मैं इसका स्वागत करता हूं. उन्हें कोर्ट जाना चाहिए.”  

खान राजीव गांधी सरकार में मंत्री थे लेकिन 1986 में मुस्लिम पर्सनल लॉ बिल और तीन तलाक को लेकर कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था. खान ने कहा कि डिवोर्स एक सिविल मामला है जबकि तीन तलाक ‘आपराधिक कृत्य’ है.  

बिल के सूचीबद्ध होने से पहले सांसदों को सूचित किया जाएगा

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, ‘मैं इसे व्यक्तिगत रूप से देखूंगा कि एक विधेयक के सूचीबद्ध होने से पहले सभी सांसदों को एक दिन पहले इसकी सूचना दी जाए’। बिरला का यह आश्वासन तब आया जब विपक्ष ने अन्य दलों से परामर्श किए बिना अंतिम क्षणों में लोकसभा में विधेयकों को आगे बढ़ाने के लिए सरकार की कड़ी आलोचना की. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने हालांकि इस आरोप का खंडन किया.

नई दिल्ली: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने गुरुवार को वादा किया कि वह सुनिश्चित करेंगे कि सदन में पेश किए जाने से एक दिन पहले सभी सदस्यों को विधेयकों के बारे में सूचित किया जाए. बिरला ने कहा, ‘जब से मुझे अध्यक्ष चुना गया है, यह देखना मेरी जिम्मेदारी है कि मैं सभी सांसदों की सहमति से सदन चलाऊं.’ 

उन्होंने कहा, ‘जैसा कि आपने अनुरोध किया है, मैं इसे व्यक्तिगत रूप से देखूंगा कि एक विधेयक के सूचीबद्ध होने से पहले सभी सांसदों को एक दिन पहले इसकी सूचना दी जाए, ताकि वे इसके लिए तैयारी कर सकें. मैं व्यक्तिगत रूप से इस पर गौर करुंगा.’ 

बिरला का यह आश्वासन तब आया जब विपक्ष ने अन्य दलों से परामर्श किए बिना अंतिम क्षणों में लोकसभा में विधेयकों को आगे बढ़ाने के लिए सरकार की कड़ी आलोचना की. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने हालांकि इस आरोप का खंडन किया.

सदन की बैठक के तुरंत बाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, टीएमसी के सौगत रॉय और डीएमके की कनिमोझी ने सरकार पर बिना किसी पूर्व सूचना के विधेयकों को जल्दबाजी में लाने का आरोप लगाया. उन्होंने आरोप लगाया कि बहस की तैयारी के लिए उन्हें समय ही नहीं दिया जा रहा. यह मामला तब उठा जब बुधवार को सूचीबद्ध किया गया बांध सुरक्षा विधेयक गुरुवार की सूची में नहीं मिला. 

चौधरी ने कहा, ‘विपक्ष अपनी जिम्मेदारी से नहीं भाग रहा है. लेकिन जिस तरह से सरकार द्वारा विधेयकों को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है, वह सही नहीं है. सभी मामले कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) में तय किए जाते हैं.’ 

टीएमसी के रॉय ने कहा कि बांध सुरक्षा विधेयक को अचानक नए विधेयक से बदल दिया गया, विपक्ष के पास तैयारी के लिए समय ही नहीं था. कनिमोझी ने कहा कि यह सरकार अब रोजाना ही यह काम कर रही है. 

ईडी ने बढ़ाईं आज़म खान की मुश्किलें दर्ज़ किया मनी लॉन्‍ड्र‍िंग का केस

आजम खान पहले से ही जमीन से जुड़े मामलों में घिरे हुए हैं. उनकी यूनिवर्स‍िटी पर छापे पड़ रहे हैं.

ब्यूरो: समाजवादी पार्टी के नेता और रामपुर से सांसद आजम खान की मुसीबतें खत्‍म होने का नाम नहीं ले रही हैं. ईडी ने उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए मनी लॉन्‍ड्र‍िंग का केस दर्ज किया है. आजम खान पहले से ही जमीन से जुड़े मामलों में घिरे हुए हैं. उनकी यूनिवर्स‍िटी पर छापे पड़ रहे हैं. इस मामले में उनके बेटे अब्‍दुल्‍ला को भी हिरासत में लिया गया था. हालांकि खुद आजम खान अपने ऊपर लगे आरोपों को लगातार नकार रहे हैं.

जमीन हड़पने का आरोप
आजम खान जमीन हथियाने के 26 नए मामलों के बाद करोड़ों रुपये के जमीन घोटाले में फंस गए हैं. उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग ने उनको रामपुर में लग्जरी रिसॉर्ट हमसफर के लिए सरकारी जमीन कब्जाने को लेकर नोटिस जारी किया है. जिला प्रशासन ने सरकारी जमीन के एक बड़े टुकड़े को कब्जाने के संबंध में अनियमितताओं का आरोप लगाया है. इस जमीन पर गेस्ट हाउस का निर्माण किया गया है.

त्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान के खिलाफ सरकारी और गरीब किसानों की कृषि योग्य भूमि हथियाने के सिलसिले में लगातार मामले दर्ज किए जाने के बाद उनको भूमाफिया घोषित किया गया है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी)भी खान के निजी विश्वविद्यालय के खाते में विदेशों से दान मिलने से संबंधित कथित धनशोधन के आरोपों की जांच कर रहा है.

उत्तराखंड में निकाय चुनाव जल्द

उत्तराखंड में 7797 ग्राम पंचायत 95 क्षेत्र पंचायत और तेरह जिला पंचायत है इन पंचायतों का कार्यकाल पिछले महीने खत्म हो चुका है. उत्तराखंड में अब एक बार फिर चुनावी घमासान शुरू होगा. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर सरकार समय पर क्यों चुनाव नहीं करवा पाई. और क्यों नैनीताल हाईकोर्ट को बीच में आदेश जारी करना पड़ा. shayad शायद भाजपा जो पूर्वोत्तर राज्यों में निकाय चुनाव जीतती जा रही है वह उत्तराखंड में कहीं हार न जाये?

उत्तराखंड: उत्तराखंड में पंचायत चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई हैं. नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार जागी है. कोर्ट ने राज्य सरकार को 4 महीने के भीतर पंचायत चुनाव करने के निर्देश दिए हैं. इस बीच सरकार की तरफ से आरक्षण की प्रक्रिया को लेकर बैठकों का दौर शुरू हो चुका है. राज्य निर्वाचन आयोग भी अपनी तैयारियों में जुट गया है . इस बार की खास बात यह है कि जिनके दो बच्चों से ज्यादा हैं वह पंचायत चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. इसके लिए सरकार की तरफ से विधानसभा से एक्ट पास करवाया जा चुका है. उत्तराखंड में 7797 ग्राम पंचायत 95 क्षेत्र पंचायत और तेरा जिला पंचायत है इन पंचायतों का कार्यकाल पिछले महीने खत्म हो चुका है.

अब प्रशासक पंचायतों को देख रहे हैं. इस बीच सरकार ने पंचायतों में आरक्षण की प्रक्रिया को भी शुरू कर दिया है. उत्तराखंड में पंचायतों में महिलाओं के लिए 50% पद आरक्षित होते हैं. इसके अलावा जातिवाद आरक्षण के लिए भी शासन ने तैयारियां शुरू कर दी है. अगले हफ्ते तक आरक्षण की प्रारंभिक अधिसूचना जारी हो सकती है.

सरकार को अगले डेढ़ महीने में पंचायतों में आरक्षण की प्रक्रिया को पूरा करना होगा तभी सरकार नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक 4 महीने में चुनाव संपन्न करा पाएगी. इस बार पंचायतों में शैक्षिक योग्यता भी तय हो चुकी है. सामान्य वर्ग के दावेदारों का चुनाव लड़ने के लिए 10वीं पास होना जरूरी होगा. जबकि अनुसूचित जाति जनजाति के दावेदारों का आठवीं पास होना जरूरी है.

अनुसूचित जाति जनजाति की महिला दावेदार के लिए कम से कम पांचवी पास होना जरूरी है. उत्तराखंड बीजेपी के महामंत्री अनिल गोयल का कहना है कि “हमारा इस समय सदस्यता अभियान चल रहा है. इसके साथ-साथ हमारी चुनाव लड़ने के लिए पूरी तैयारी है.

जिस दिन भी सरकार अधिसूचना जारी कर देगा उसी समय हम चुनाव के लिए तैयार हो जाएंगे.” दूसरी तरफ कांग्रेस के नेता और पूर्व विधायक गणेश गोदियाल का कहना है की “प्रदेश अध्यक्ष ने पहले ही जिला कार्यकारिणी यों को चुनाव के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया है. सरकार समय से चुनाव कराने में विफल रही है.

यही वजह है कि नैनीताल हाईकोर्ट को इसमें निर्देश देना पड़ा है “. उत्तराखंड में अब एक बार फिर चुनावी घमासान शुरू होगा. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर सरकार समय पर क्यों चुनाव नहीं करवा पाई. और क्यों नैनीताल हाईकोर्ट को बीच में आदेश जारी करना पड़ा.

Chandigarh State AIDS Control Society creates Awareness of HIV/AIDS at KFC Chandigarh

Chandigarh, 1st August 2019:  Chandigarh State AIDS Control Society organized an awareness programme for Creating Awareness on HIV/AIDS and Drug Addiction for the employees of KFC, Sector – 8, Chandigarh today at the seminar hall of KFC, Chandigarh.

Dr. Vanita Gupta, Project Director, Chandigarh SACS said, “HIV is a disease that does not discriminate. Anyone can contract this disease, which is why it is important for youth to be aware of how to protect themselves and prevent the transmission of HIV.”

Chandigarh SACS has build up a plan to conduct awareness programmes at places where youth works and likes to visit often. Today an awareness programme was conducted where the youth was given basic knowledge on HIV/AIDS. They were made aware of different aspects of the HIV like- how HIV or Human Immunodeficiency Virus weakens the immune system by destroying important cells that fight disease and infection. Over the time, HIV can destroy so many of your T-cells or CD4 cells, a key part of the immune system, that the body can’t fight infections and disease anymore. When this happens, HIV infection can lead to AIDS.

Dr. Jitender Dahiya, AD (SPM), CSACS informed that HIV is found in specific human body fluids. There are very specific ways that HIV can be transmitted through body fluids.

  • During sexual contact. You can contract HIV through anal, oral, or vaginal sex. During sexual contact, you have contact with your partner’s body fluids, which can deliver the virus into your bloodstream through microscopic breaks or rips in the linings of the vagina, vulva, penis, rectum, or mouth.
  • During pregnancy, childbirth, or breastfeeding. Babies can contract HIV through the contact they have with their mother’s body fluids—including amniotic fluids and blood—through pregnancy and childbirth. Infants can also get HIV from drinking infected breast milk.
  • As a result of injection drug use. Needles or drugs that are contaminated with HIV-infected blood can deliver the virus directly into your body.
  • As a result of occupational exposure. Healthcare workers have the greatest risk for this type of HIV transmission because they may come in contact with infected blood or other fluids through needle sticks or cuts.

He also sensitized the youth about the modes of HIV prevention. Condoms and IEC Material was distributed.  An open discussion was held at the end of the programme where participants came up with queries and myths. They were also made aware about a national toll free HIV Helpline number 1097.