50 से अधिक विधायक भाजपा में शामिल होना चाहते हैं: महाजन

इसके साथ ही महाजन ने कहा है कि बीजेपी हर किसी को पार्टी में शामिल नहीं करेगी. उन्हीं विधायकों को शामिल करेगी जिनके रिकॉर्ड सही हैं. वहीं लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र से सिर्फ एक सीट जीतने वाली कांग्रेस पार्टी की स्थिति भी खराब है. पार्टी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए उत्सुक उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलाया था, लेकिन कोई भी विधायक इस प्रक्रिया में शामिल नहीं हुए.

मुम्बई : महाराष्ट्र के मंत्री गिरीश महाजन का दावा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में विपक्षी पार्टियों के 40 विधायक भी चुनकर नहीं आएंगे. महाजन ने कहा है कि विपक्षी पार्टियों की हालत काफी गंभीर है. महाजन ने दावा किया है कि विपक्षी पार्टीयों के लगभग 50 विधायक भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल होना चाहते हैं.

इसके साथ ही महाजन ने कहा है कि बीजेपी हर किसी को पार्टी में शामिल नहीं करेगी. उन्हीं विधायकों को शामिल करेगी जिनके रिकॉर्ड सही हैं.

ज्ञात हो कि महाराष्ट्र में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. इससे ठीक पहले शरद पवार की पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में बड़े स्तर पर भगदड़ मची है. खबर है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के कई विधायकों ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया है. सूत्रों का कहना है कि ये सभी विधायक बीजेपी में शामिल होंगे.

वहीं, लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र से सिर्फ एक सीट जीतने वाली कांग्रेस पार्टी की स्थिति भी खराब है. पार्टी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए उत्सुक उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलाया था, लेकिन कोई भी विधायक इस प्रक्रिया में शामिल नहीं हुए.

बागी विधायक स्पीकर के आदेशों को निरस्त करवाने पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर द्वारा अयोग्य करार दिए गए कांग्रेस – जेडीएस के अन्य 9 बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. आपकों बता दें कि 25 जुलाई को तीन जबकि 28 जुलाई 14 बाग़ी विधायकों को स्पीकर ने अयोग्य करार दिया था

ब्यूरो:

कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर द्वारा अयोग्य करार दिए गए कांग्रेस-जेडीएस के अन्य 9 बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. याचिका में स्पीकर के फैसले को चुनौती दी गई है. इससे पहले कांग्रेस के दो बागी विधायक रमेश जरकिहोली, महेश कुमाथल्ली और निर्दलीय विधायक आर शंकर ने मौजूदा विधानसभा के पूरे कार्यकाल के लिए अयोग्य ठहराने के फैसले को चुनौती दी थी. दरअसल,स्पीकर केआर रमेश कुमार ने कांग्रेस-जेडीएस के 14 बागी विधायकों को मौजूदा विधानसभा के पूरे कार्यकाल 2023 तक के लिए अयोग्य करार दिया था.

इससे पहले भी स्पीकर तीन बागी विधायकों को अयोग्य ठहरा चुके हैं. बीएस येदियुरप्पा ने दो दिन पहले ही मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है कुल 17 विधायकों (कांग्रेस के 13 और जदएस के तीन) को अयोग्य करार दिए जाने के बाद सदन का नया समीकरण बदल गया है. 224 सदस्यीय विधानसभा में स्पीकर को छोड़कर सदस्यों की प्रभावी संख्या 207 हो गई है. ऐसे में बहुमत का आंक़़डा 104 पर आ गया है. भाजपा के खुद 105 विधायक हैं तथा उसे एक निर्दलीय का भी समर्थन है.

25 और 28 जुलाई को अयोग्‍य घोषित हुए थे विधायक  

आपकों बता दें कि 25 जुलाई को तीन जबकि 28 जुलाई 14 बाग़ी विधायकों को स्पीकर ने अयोग्य करार दिया था. जिनमें रमेश जारकिहोली (कांग्रेस), महेश कुमतल्‍ली (कांग्रेस), आर शंकर (निर्दलीय). कांग्रेस विधायक प्रताप गौड़ा पाटिल, शिवराम हेब्‍बर, बीसी पाटिल, बयराती बासवराज, एसटी सोमशेखर, के सुधाकर, एमटीबी नागराज, श्रीमंत पाटिल, रोशन बेग, आनंद सिंह और मुनिरत्‍ना और जेडीएस विधायक ए एच विश्‍वनाथ, नारायण गौड़ा, के गोपालैया शामिल हैं.


आरिफ मोहम्मद की ओवैसी को नसीहत “यदि समानता दरकार है तो ‘समान नागरिक संहिता’ का भी समर्थन करो”

पूर्व केंद्रीय मंत्री आरिफ मोहम्मद खान ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि बोर्ड ने तीन तलाक के मुद्दे पर यू-टर्न ले लिया है. खान ने ओवैसी को सलाह देते हुए कहा, “अगर वह समानता की बात करते हैं तो वह सरकार से देश के प्रत्येक नागरिक के लिए पारिवारिक कानूनों को लागू करने के लिए क्यों नहीं कहते. वह कॉमन सिविल कोड का समर्थन करें.” 

ब्यूरो:

 पूर्व केंद्रीय मंत्री आरिफ मोहम्मद खान ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि बोर्ड ने तीन तलाक के मुद्दे पर यू-टर्न ले लिया है. खान ने यह बयान एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के उस बयान के जवाब में दिया जिसमें उन्होंने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से उन्हें उम्मीद है कि वह तीन तलाक कानून की वैधानिकता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगा. पूर्व केंद्रीय मंत्री खान ने ओवैसी को भी नसीहत दे डाली. 

दरअसल, ओवैसी ने सवाल उठाया था कि हिंदू व्यक्ति को एक साल की सजा जबकि मुस्लिम व्यक्ति को तीन साल साल की सजा का प्रावधान है. एक देश में दो कानून क्यों हैं? इस पर खान ने ओवैसी को सलाह देते हुए कहा, “अगर वह समानता की बात करते हैं तो वह सरकार से देश के प्रत्येक नागरिक के लिए पारिवारिक कानूनों को लागू करने के लिए क्यों नहीं कहते. वह कॉमन सिविल कोड का समर्थन करें.” 

पूर्व केंद्रीय मत्री ने न्यूज एजेंसी ANI को दिए एक साक्षात्कार में कहा, “पर्सनल लॉ बोर्ड ने सबसे पहले तो तलाक को ‘गुनाह, दमनकारी और अन्यायपूर्ण बताया था.” हालांकि, बाद में उन्होंने अपना रुख बदल दिया.”   
 
खान ने कहा, “हम एक लोकतांत्रिक देश हैं. हर किसी को अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार है. आपके पास संसद में पास कानून की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का अधिकार है लेकिन मुझे समझ में नहीं आ रहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जिसने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र देकर वादा किया था कि वह तीन तलाक के खिलाफ कैंपेन चलाएगा, वह अब कोर्ट कैसे जा सकता है.”  

उन्होंने कहा, “वे अब फिर से सुप्रीम कोर्ट वैधानिकता को चुनौती देने जा रहे हैं तो ऐसे में अपने शपथ पत्र की बातों को कैसे स्वीकार करेंगे. मैं अब देखना चाहूंगा कि वे अब क्या कहते हैं. मैं इसका स्वागत करता हूं. उन्हें कोर्ट जाना चाहिए.”  

खान राजीव गांधी सरकार में मंत्री थे लेकिन 1986 में मुस्लिम पर्सनल लॉ बिल और तीन तलाक को लेकर कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था. खान ने कहा कि डिवोर्स एक सिविल मामला है जबकि तीन तलाक ‘आपराधिक कृत्य’ है.  

बिल के सूचीबद्ध होने से पहले सांसदों को सूचित किया जाएगा

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, ‘मैं इसे व्यक्तिगत रूप से देखूंगा कि एक विधेयक के सूचीबद्ध होने से पहले सभी सांसदों को एक दिन पहले इसकी सूचना दी जाए’। बिरला का यह आश्वासन तब आया जब विपक्ष ने अन्य दलों से परामर्श किए बिना अंतिम क्षणों में लोकसभा में विधेयकों को आगे बढ़ाने के लिए सरकार की कड़ी आलोचना की. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने हालांकि इस आरोप का खंडन किया.

नई दिल्ली: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने गुरुवार को वादा किया कि वह सुनिश्चित करेंगे कि सदन में पेश किए जाने से एक दिन पहले सभी सदस्यों को विधेयकों के बारे में सूचित किया जाए. बिरला ने कहा, ‘जब से मुझे अध्यक्ष चुना गया है, यह देखना मेरी जिम्मेदारी है कि मैं सभी सांसदों की सहमति से सदन चलाऊं.’ 

उन्होंने कहा, ‘जैसा कि आपने अनुरोध किया है, मैं इसे व्यक्तिगत रूप से देखूंगा कि एक विधेयक के सूचीबद्ध होने से पहले सभी सांसदों को एक दिन पहले इसकी सूचना दी जाए, ताकि वे इसके लिए तैयारी कर सकें. मैं व्यक्तिगत रूप से इस पर गौर करुंगा.’ 

बिरला का यह आश्वासन तब आया जब विपक्ष ने अन्य दलों से परामर्श किए बिना अंतिम क्षणों में लोकसभा में विधेयकों को आगे बढ़ाने के लिए सरकार की कड़ी आलोचना की. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने हालांकि इस आरोप का खंडन किया.

सदन की बैठक के तुरंत बाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, टीएमसी के सौगत रॉय और डीएमके की कनिमोझी ने सरकार पर बिना किसी पूर्व सूचना के विधेयकों को जल्दबाजी में लाने का आरोप लगाया. उन्होंने आरोप लगाया कि बहस की तैयारी के लिए उन्हें समय ही नहीं दिया जा रहा. यह मामला तब उठा जब बुधवार को सूचीबद्ध किया गया बांध सुरक्षा विधेयक गुरुवार की सूची में नहीं मिला. 

चौधरी ने कहा, ‘विपक्ष अपनी जिम्मेदारी से नहीं भाग रहा है. लेकिन जिस तरह से सरकार द्वारा विधेयकों को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है, वह सही नहीं है. सभी मामले कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) में तय किए जाते हैं.’ 

टीएमसी के रॉय ने कहा कि बांध सुरक्षा विधेयक को अचानक नए विधेयक से बदल दिया गया, विपक्ष के पास तैयारी के लिए समय ही नहीं था. कनिमोझी ने कहा कि यह सरकार अब रोजाना ही यह काम कर रही है. 

ईडी ने बढ़ाईं आज़म खान की मुश्किलें दर्ज़ किया मनी लॉन्‍ड्र‍िंग का केस

आजम खान पहले से ही जमीन से जुड़े मामलों में घिरे हुए हैं. उनकी यूनिवर्स‍िटी पर छापे पड़ रहे हैं.

ब्यूरो: समाजवादी पार्टी के नेता और रामपुर से सांसद आजम खान की मुसीबतें खत्‍म होने का नाम नहीं ले रही हैं. ईडी ने उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए मनी लॉन्‍ड्र‍िंग का केस दर्ज किया है. आजम खान पहले से ही जमीन से जुड़े मामलों में घिरे हुए हैं. उनकी यूनिवर्स‍िटी पर छापे पड़ रहे हैं. इस मामले में उनके बेटे अब्‍दुल्‍ला को भी हिरासत में लिया गया था. हालांकि खुद आजम खान अपने ऊपर लगे आरोपों को लगातार नकार रहे हैं.

जमीन हड़पने का आरोप
आजम खान जमीन हथियाने के 26 नए मामलों के बाद करोड़ों रुपये के जमीन घोटाले में फंस गए हैं. उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग ने उनको रामपुर में लग्जरी रिसॉर्ट हमसफर के लिए सरकारी जमीन कब्जाने को लेकर नोटिस जारी किया है. जिला प्रशासन ने सरकारी जमीन के एक बड़े टुकड़े को कब्जाने के संबंध में अनियमितताओं का आरोप लगाया है. इस जमीन पर गेस्ट हाउस का निर्माण किया गया है.

त्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान के खिलाफ सरकारी और गरीब किसानों की कृषि योग्य भूमि हथियाने के सिलसिले में लगातार मामले दर्ज किए जाने के बाद उनको भूमाफिया घोषित किया गया है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी)भी खान के निजी विश्वविद्यालय के खाते में विदेशों से दान मिलने से संबंधित कथित धनशोधन के आरोपों की जांच कर रहा है.

उत्तराखंड में निकाय चुनाव जल्द

उत्तराखंड में 7797 ग्राम पंचायत 95 क्षेत्र पंचायत और तेरह जिला पंचायत है इन पंचायतों का कार्यकाल पिछले महीने खत्म हो चुका है. उत्तराखंड में अब एक बार फिर चुनावी घमासान शुरू होगा. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर सरकार समय पर क्यों चुनाव नहीं करवा पाई. और क्यों नैनीताल हाईकोर्ट को बीच में आदेश जारी करना पड़ा. shayad शायद भाजपा जो पूर्वोत्तर राज्यों में निकाय चुनाव जीतती जा रही है वह उत्तराखंड में कहीं हार न जाये?

उत्तराखंड: उत्तराखंड में पंचायत चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई हैं. नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार जागी है. कोर्ट ने राज्य सरकार को 4 महीने के भीतर पंचायत चुनाव करने के निर्देश दिए हैं. इस बीच सरकार की तरफ से आरक्षण की प्रक्रिया को लेकर बैठकों का दौर शुरू हो चुका है. राज्य निर्वाचन आयोग भी अपनी तैयारियों में जुट गया है . इस बार की खास बात यह है कि जिनके दो बच्चों से ज्यादा हैं वह पंचायत चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. इसके लिए सरकार की तरफ से विधानसभा से एक्ट पास करवाया जा चुका है. उत्तराखंड में 7797 ग्राम पंचायत 95 क्षेत्र पंचायत और तेरा जिला पंचायत है इन पंचायतों का कार्यकाल पिछले महीने खत्म हो चुका है.

अब प्रशासक पंचायतों को देख रहे हैं. इस बीच सरकार ने पंचायतों में आरक्षण की प्रक्रिया को भी शुरू कर दिया है. उत्तराखंड में पंचायतों में महिलाओं के लिए 50% पद आरक्षित होते हैं. इसके अलावा जातिवाद आरक्षण के लिए भी शासन ने तैयारियां शुरू कर दी है. अगले हफ्ते तक आरक्षण की प्रारंभिक अधिसूचना जारी हो सकती है.

सरकार को अगले डेढ़ महीने में पंचायतों में आरक्षण की प्रक्रिया को पूरा करना होगा तभी सरकार नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक 4 महीने में चुनाव संपन्न करा पाएगी. इस बार पंचायतों में शैक्षिक योग्यता भी तय हो चुकी है. सामान्य वर्ग के दावेदारों का चुनाव लड़ने के लिए 10वीं पास होना जरूरी होगा. जबकि अनुसूचित जाति जनजाति के दावेदारों का आठवीं पास होना जरूरी है.

अनुसूचित जाति जनजाति की महिला दावेदार के लिए कम से कम पांचवी पास होना जरूरी है. उत्तराखंड बीजेपी के महामंत्री अनिल गोयल का कहना है कि “हमारा इस समय सदस्यता अभियान चल रहा है. इसके साथ-साथ हमारी चुनाव लड़ने के लिए पूरी तैयारी है.

जिस दिन भी सरकार अधिसूचना जारी कर देगा उसी समय हम चुनाव के लिए तैयार हो जाएंगे.” दूसरी तरफ कांग्रेस के नेता और पूर्व विधायक गणेश गोदियाल का कहना है की “प्रदेश अध्यक्ष ने पहले ही जिला कार्यकारिणी यों को चुनाव के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया है. सरकार समय से चुनाव कराने में विफल रही है.

यही वजह है कि नैनीताल हाईकोर्ट को इसमें निर्देश देना पड़ा है “. उत्तराखंड में अब एक बार फिर चुनावी घमासान शुरू होगा. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर सरकार समय पर क्यों चुनाव नहीं करवा पाई. और क्यों नैनीताल हाईकोर्ट को बीच में आदेश जारी करना पड़ा.

Chandigarh State AIDS Control Society creates Awareness of HIV/AIDS at KFC Chandigarh

Chandigarh, 1st August 2019:  Chandigarh State AIDS Control Society organized an awareness programme for Creating Awareness on HIV/AIDS and Drug Addiction for the employees of KFC, Sector – 8, Chandigarh today at the seminar hall of KFC, Chandigarh.

Dr. Vanita Gupta, Project Director, Chandigarh SACS said, “HIV is a disease that does not discriminate. Anyone can contract this disease, which is why it is important for youth to be aware of how to protect themselves and prevent the transmission of HIV.”

Chandigarh SACS has build up a plan to conduct awareness programmes at places where youth works and likes to visit often. Today an awareness programme was conducted where the youth was given basic knowledge on HIV/AIDS. They were made aware of different aspects of the HIV like- how HIV or Human Immunodeficiency Virus weakens the immune system by destroying important cells that fight disease and infection. Over the time, HIV can destroy so many of your T-cells or CD4 cells, a key part of the immune system, that the body can’t fight infections and disease anymore. When this happens, HIV infection can lead to AIDS.

Dr. Jitender Dahiya, AD (SPM), CSACS informed that HIV is found in specific human body fluids. There are very specific ways that HIV can be transmitted through body fluids.

  • During sexual contact. You can contract HIV through anal, oral, or vaginal sex. During sexual contact, you have contact with your partner’s body fluids, which can deliver the virus into your bloodstream through microscopic breaks or rips in the linings of the vagina, vulva, penis, rectum, or mouth.
  • During pregnancy, childbirth, or breastfeeding. Babies can contract HIV through the contact they have with their mother’s body fluids—including amniotic fluids and blood—through pregnancy and childbirth. Infants can also get HIV from drinking infected breast milk.
  • As a result of injection drug use. Needles or drugs that are contaminated with HIV-infected blood can deliver the virus directly into your body.
  • As a result of occupational exposure. Healthcare workers have the greatest risk for this type of HIV transmission because they may come in contact with infected blood or other fluids through needle sticks or cuts.

He also sensitized the youth about the modes of HIV prevention. Condoms and IEC Material was distributed.  An open discussion was held at the end of the programme where participants came up with queries and myths. They were also made aware about a national toll free HIV Helpline number 1097.

Chandigarh Housing Board Introduces Certification about No-Violation in Dwelling Units

Chandigarh, 1st August 2019:

 As per existing instructions, in cases where no misuse/building violations are reported (as per the record), the information furnished by the applicant in the application form of transfer of dwelling units with affidavit of the Transferor and Transferee are being relied upon. In all such cases, fresh inspection reports are not insisted upon and transfer of the dwelling units are allowed based on such declarations. However the transferee continues to be liable for all the building violations either existing at the time of transfer or made subsequently.

It has been observed that in some cases, transfer of the unit was allowed on the basis of such declarations but subsequently certain misuse/building violations were observed. When actions against such violations were initiated by issuance of Show Cause Notices, the transferees felt cheated by the transferors via submission of wrong declarations/affidavits.  They report that such violations existed at the time of transfer of the dwelling unit. Therefore in such cases, the existing owner/occupant (transferee) is liable to remove the violations failing which he/she will bear the consequences like cancellation of allotment etc.

To overcome such situation and to protect the innocent buyers, the Chandigarh Housing Board has decided to provide an optional mechanism where the Transferor and the Transferee may jointly apply for an inspection by the CHB and obtain a certificate clarifying no violation at that point of time. For this purpose a joint application, with a fee of Rs. 5000/-, may be submitted by the Transferor (existing owner) at CHB. Further, on physical inspection will be conducted and a certificate will be issued by CHB.  However in case of any violations carried out subsequent to the physical inspection, the transferee will continue to be liable for the same. 

Police Files Chandigarh

Korel, CHANDIGARH – 01.08.2019

Two arrested for consuming liquor at public place

One case U/S 68-1(B) Punjab Police Act 2007 & 510 IPC has been registered in PS-39, Chandigarh against two persons who were arrested while consuming liquor at public place on 31.07.2019.

This drive will be continuing in future, the general public is requested for not breaking the law.

One arrested for possessing 72 boxes of illegal liquor

          Chandigarh Police arrested Tulsi R/o # 596, Phase- 9, Indst. Area, Distt.- Mohali, Punjab (age- 42 yrs) while he was illegally possessing 300 boxes of liquor carried in Tata 407 No. CH-01TA-2636 from naka near Bus Stand, Village- Maloya, Chandigarh. A case FIR No. 113, U/S 61-1-14 Excise Act has been registered in PS-Maloya, Chandigarh. Later he was bailed out. Investigation of the case is in progress.

Theft

A lady resident of Sector- 8/A, Chandigarh reported that unknown person stolen away complainant’s bag containing mobile phone and charger from near Anil Chemists, Sector- 22, Chandigarh on 31.07.2019. A case FIR No. 241, U/S 379 IPC has been registered in PS-17, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

Burglary

Dinesh Kumar R/o # 1015/A, Sector- 41/B, Chandigarh reported that unknown person stolen away 01 gold bangle, 01 pair tops, cash Rs. 17,500/- from complainant’s residence after breaking locks on 31.07.2019. A case FIR No. 253, U/S 380, 454 IPC has been registered in PS-39, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

महाराजा भूपेंद्र सिंह के नाम पर स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी के नामकरण का विरोध हुआ

चंडीगढ़, 31 जुलाई, 2019:

पटियाला के पूर्व शासक भूपिंदर सिंह के नाम पर पटियाला में खेल विश्वविद्यालय का नाम रखने के पंजाब कैबिनेट के फैसले का कैप्टन अमरिंदर सिंह के कुछ राजनीतिक विरोधियों द्वारा विरोध किया जा रहा है।

पंजाब विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष बीर देविंदर सिंह ने पंजाब कैबिनेट और पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस कदम का कड़ा विरोध किया है। आज यहां जारी एक लिखित बयान में, बीर दविंदर सिंह ने महाराजा भूपिंदर सिंह की भूमिका और कद पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह एक दमनकारी शासक थे और उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन को दबाने के लिए अंग्रेजों के साथ मिलकर ‘सेवा मंदिर लेहर’ का नेतृत्व किया।

मंगलवार को पंजाब मंत्रिमंडल ने महाराजा भूपिंदर सिंह खेल और विज्ञान विश्वविद्यालय के रूप में विश्वविद्यालय का नाम तय किया, जिसे अमरिंदर सिंह ने मंजूरी दी।

पंजाब मंत्रिमंडल के सदस्यों को चाटुकारिता बुलाते हुए, जो चाटुकारिता की कला में भूपिंदर सिंह के दरबार में मंत्रियों को भी पछाड़ देने के काबिल हैं, बीर देविंदर ने कहा कि इस फैसले को लेने से कैबिनेट ने सेवा सिंह ठीकरीवाला की स्मृति का अपमान किया है, जिन्होंने पंजाब राज्य के शासकों के निरंकुश नियमों के खिलाफ प्रजा मंडल आंदोलन की स्थापना की थी।

कल, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुवाई में पंजाब मंत्रिमंडल ने मानसून सत्र में पंजाब स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी कानून को पेश करने की मंजूरी दी।

महाराजा भूपिंदर सिंह के नाम पर विश्वविद्यालय का नाम रखने का सुझाव राणा गुरमीत सोढ़ी ने किया था। हालांकि मुख्यमंत्री शुरू में इसके पक्ष में नहीं थे, उन्होंने अंततः अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों के दबाव में दिया, और उसी पर एक सर्वसम्मत निर्णय लिया गया।

सनद रहे कि मुख्यमंत्री ने 19 जून, 2017 को अपने भाषण में पंजाब विश्वविद्यालय में इस विश्वविद्यालय की स्थापना के निर्णय की घोषणा की थी।

इसके बाद, ओलंपियन और अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के अध्यक्ष रणधीर सिंह की अध्यक्षता में एक संचालन समिति का गठन किया गया था, ताकि इस अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतिभा के शिक्षण संस्थान की स्थापना के लिए तौर-तरीकों को अंतिम रूप दिया जा सके।

पंजाब मंत्रिमंडल ने 6 जून, 2019 को पंजाब स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी अध्यादेश -2019 को मंजूरी दे दी, जिससे विश्वविद्यालय की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हुआ।

इसके बाद, इस संबंध में एक अधिसूचना भी 22 जुलाई को जारी की गई थी और शैक्षणिक सत्र 1 सितंबर, 2019 से शुरू होगा, जैसा कि स्टीयरिंग कमेटी ने पिछले महीने कैप्टन अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में तय किया था।

विश्वविद्यालय, मुख्यमंत्री की एक प्रमुख परियोजना, खेल विज्ञान, खेल प्रौद्योगिकी, खेल प्रबंधन और खेल कोचिंग के क्षेत्रों में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए स्थापित की जा रही है।

यह शारीरिक शिक्षा और खेल विज्ञान के क्षेत्र में अन्य संस्थानों को पेशेवर और अकादमिक नेतृत्व प्रदान करने के अलावा, उच्च मानक बुनियादी ढांचे के आधार पर खेलों से संबंधित क्षेत्रों में शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करेगा।

विश्वविद्यालय सभी खेल और नवाचारों के कुलीन और अन्य प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के लिए उत्कृष्टता केंद्र के रूप में भी कार्य करेगा, अनुसंधान को अंजाम और प्रचारित करेगा।

यह खेल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विभिन्न स्तरों पर ज्ञान कौशल और दक्षताओं के विकास और सभी खेलों और खेलों के लिए उच्च प्रदर्शन प्रशिक्षण के लिए क्षमताओं को भी पैदा करेगा।