कर्नाटका विवाद: स्पीकर ने 3 विधायकों की अयोग्य घोषित किया

कर्नाटक का सियासी तूफान अभी थमा नहीं है। कॉंग्रेस पार्टी और उसके शुभचिंतक अभी भी कॉंग्रेस को इस संकट से उबारने में लगे हूए हैं। अभी हालिया घटनाक्रम में स्पीकर द्वारा 3 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया गया है। स्पीकर का मानना है की तीनों दल बदल की श्रेणि में आते हैं। अत: उन्हे अयोग्य घोषित किया जाता है। सिद्धरमाइया ने पहले ही विधायकों के राजनैतिक जीवन की समाप्ती की धमकी दे दी थी। वही सच साबित हुई। विडम्बना यह है कि मद्यप्रदेश में भाजपा विधायकों का कॉंग्रेस में शामिल होना घर वापिसी है अत: उन पर कोई कार्यवाई नहीं कि जा सकती है। दोनों स्पीकरों ने अपनी ताकत दिखा दी है।

बेंगलुरु: कर्नाटक विधानसभा के स्‍पीकर केआर रमेश ने तीन विधायकों को अयोग्‍य करार दिया है. इनमें दो विधायक कांग्रेस के और एक विधायक निर्दलीय है. स्‍पीकर का कहना है कि वह निर्दलीय विधायक ने खुद को कांग्रेस में विलय कर लिया था, इसलिए वह भी कांग्रेस का ही हिस्‍सा थे. इस लिए पार्टी विरोधी गतिविधि के कारण स्‍पीकर ने उन्‍हें भी अयोग्‍य करार दिया है.

जिन तीन विधायकों को स्‍पीकर केआर रमेश ने अयोग्‍य करार दिया है, उनमें कांग्रेस के बागी विधायक रमेश जारकीहोली और महेश कुमाथल्‍ली शामिल हैं. निर्दलीय विधायक आर शंकर को भी स्‍पीकर ने अयोग्‍य घोषित करार दिया है. इन विधायको के खिलाफ स्‍पीकर ने एंटी डिफेक्‍शन लॉ के तहत कार्रवाई की है. अगर स्‍पीकर का यही फैसला लागू रहा तो ये विधायक इस विधानसभा के समाप्‍त होने तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे.

के आर रमेश कुमार ने बताया कि निर्दलीय विधायक आर शंकर, कांग्रेस के विधायकों रमेश जारकिहोली और महेश कुमातल्ली की सदस्यता समाप्त कर दी गई है. इस प्रकार अब तक कुल तीन विधायकों की सदस्यता समाप्त कर दी गई है. स्‍पीकर के अनुसार, अभी तक सिर्फ 3 विधायकों के बारे में फैसला लिया गया है. बाकी के विधायकों के बारे में जल्‍द ही फैसला ले लिया जाएगा.

केआर रमेश के अनुसार, ये केस कॉम्‍प्‍लीकेटड है. इसलिए मैं इसमें जल्‍दबाजी नहीं करना चाहता था. इस मामले में मेरे सामने 17 याचिकाएं आईं. इसमें 2 अयोग्‍यता संबंधी और अन्‍य इस्‍तीफे के बारे में थीं. स्‍पीकर ने बताया, जिन तीन विधायकों की सदस्‍यता गई है उनमें एक विधायक शंकर हैं. उन्‍होंने विधानसभा चुनाव निर्दलीय के तौर पर लिया था. 25 जून को उन्‍होंने कांग्रेस में विलय कर लिया. इस बारे में सिद्धरमैया ने अपील की थी. इसलिए उन्‍हें कांग्रेस की सीट दी गई. 8 जुलाई को शंकर नागेश ने मंत्रीपद से इस्‍तीफा दिया. इसके बाद उन्‍होंने बीजेपी को समर्थन देने का दावा किया. सिद्धरमैया ने इस बारे में स्‍पीकर यानी मेरे सामने शिकायत दर्ज कराई.

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