“कुल 26 किसानों ने आज़म खान और उनके सहयोगी आले हसन के खिलाफ़ मुकदमा दर्ज कराया है. उन पर आरोप हैं कि मौलाना जौहर अली यूनिवर्सिटी के लिए दबाव डालकर उन्होंने ज़मीनों का अधिग्रहण किया था. दोनों आरोपियों का नाम भू-माफिया के तौर पर लिखा गया है.” उन्होंने कहा कि जिन जमीनों की रजिस्ट्री 12-14 साल पहले हो चुकी है और पेमेंट भी कर दिया गया है, उस जमीन के लिए झगड़ा खड़ा किया जा रहा है.
:उत्तर प्रदेश के रामपुर से सांसद और समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. गुरुवार को उन्हें भू-माफिया लिस्ट में शामिल कर दिया है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा उनके खिलाफ दर्ज की गई 23 एफआईआर फर्जी है और ये बदले की भावना से किया जा रहा है. जिसे सारा देश रहा है.
जो हो रहा है देश देख रहा है
रामपुर सांसद ने कहा कि आज मेरे साथ जो हो रहा है, उसे पूरा देश देख रहा है. कुछ लोग मेरे लिए दुआ कर रहे हैं. मेरी जेड सिक्योरिटी को भी खत्म कर दिया गया है. उन्होंने अपनी जान का खतरा बताते हुए कहा कहीं ये नफरत मेरी जान न ले ले.
लेकिन जौहर यूनिवर्सिटी की बात पर वापिस आते हैं. लोगों ने दो महीनों पहले आज़म खान पर आरोप लगाए कि उन्होंने दबाव डालकर और औने-पौने दाम पर अपनी जौहर यूनिवर्सिटी के ज़मीन खरीद ली. लोगों ने कहा कि तहसीलदार और लेखपाल को बुलाकर गांव में बिठा दिया गया और ज़मीन की रजिस्ट्री करा ली गयी. डरा-धमकाकर.
“कुल 26 किसानों ने आज़म खान और उनके सहयोगी आले हसन के खिलाफ़ मुकदमा दर्ज कराया है. उन पर आरोप हैं कि मौलाना जौहर अली यूनिवर्सिटी के लिए दबाव डालकर उन्होंने ज़मीनों का अधिग्रहण किया था. दोनों आरोपियों का नाम भू-माफिया के तौर पर लिखा गया है.”
मामला धीरे-धीरे बढ़ता गया. और आज़म खान के खिलाफ मुक़दमे दर्ज हुए और अब आधिकारिक रूप से आज़म खान भू-माफिया घोषित हो गए हैं. भू-माफिया मतलब वो व्यक्ति जो ज़मीन से जुड़े घपले करता है. इन मामलों में आज़म खान और उनके सहयोगी और पूर्व कप्ताल आले हसन के खिलाफ 15 मुक़दमे दर्ज किए गए हैं. और ये सारे मुकदमे इस एक महीने के भीतर.
12-14 पहले हो चुकी है रजिस्ट्री
इस मामले पर उन्होंने कहा कि जिन जमीनों की रजिस्ट्री 12-14 साल पहले हो चुकी है और पेमेंट भी कर दिया गया है, उस जमीन के लिए झगड़ा खड़ा किया जा रहा है. बीजेपी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि लोग शिक्षा के लिए जमीन देते हैं, लेकिन बीजेपी इसे जमीन छीनने के लिए काम कर रही है.
मौलाना जौहर अली यूनिवर्सिटी. शुरुआत तब हुई जब प्रदेश में सपा की सरकार थी. चूंकि रामपुर आज़म खान का गढ़ है तो आज़म खान ने जिम्मा उठाया. साल 2006 में यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई. और 350 एकड़ की ज़मीन पर फैला हुआ. जहां 24 विषयों की पढ़ाई करवाई जा सकती है.
जब से विश्वविद्यालय प्रकाश में आया, तब से ही ये बात होने लगी कि इसके निर्माण में कई सारे नियमों की अनदेखी हुई है. किसानों की ज़मीनें छीनी गयी हैं ताकि आज़म खान पैसा कमा सकें, ऐसे आरोप लगते हैं. अब आज़म खान का नाम यूपी सरकार के एंटी भू माफिया पोर्टल पर बाकायदे दर्ज है.
लेकिन आज़म खान अपने बचाव में कोई कसर नहीं छोड़ना चाह रहे हैं. जब इस मामले की सुगबुगाहट शुरू हुई थी, तभी आज़म खान ने लोकसभा की लगभग हर बहस में जौहर यूनिवर्सिटी का नाम लेना शुरू कर दिया था. हर दूसरी बात में वे जौहर यूनिवर्सिटी का ज़िक्र लेकर चले आते थे, बिल-बजट-क़ानून की बहस में भी.
अब आज़म खान घेरे गए हैं
रामपुर के एसपी अजय पाल शर्मा ने मीडिया से बातचीत में जानकारी दी है कि इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यों की एक एसआईटी यानी स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम का गठन किया गया है, जो आज़म खान के खिलाफ आरोपों की जांच करेगा.
मामले की जांच के लिए टीम गठित
रामपुर के एसपी अजय पाल शर्मा ने बताया कि अब तक एसपी सांसद आजम खान के खिलाफ 23 एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं. आजम खान का कनेक्शन भूमि अतिक्रमण से है. किसानों द्वारा दर्ज एफआईआर के मुताबिक, पुलिस अधिकारी उन्हें देकर अवैध रूप से जमीन हड़पते थे. मामले की जांच के लिए टीम गठित की गई है.