अभिभावक और समाज उड़ा रहा कानून की धाज्जियाँ
खबर, फोटो और वीडियो: अशोक वर्मा
सख्त से सख्त कानून की भी सरेआम धज्जियाँ उड़ाना जानते हैं लोग या ये कहें कि सरकारी नीतियों और सुविधाओं को समझना आसान लगने लगा है सबको खास कर उन लोगों को जो कि सभ्य लोगों की श्रेणी में गिने जाते हैं। ऐसा ही हो रहा है बाल श्रम विरोधी कानून के साथ जिसके तहत चौदह वर्ष की आयु से कम बच्चे से श्रम करवाना वर्जित है। अपने आसपास के घरों दुकानों में आपको कई बाल मजदूर दिखाई देते जाते हैं। इस सबके लिए अभिभावकों के साथ साथ समाज भी ज़िम्मेदार है जो कि स्वार्थ वश कम पैसे देकर छोटे बच्चों को दुकानों और घरों में नौकरी पर रख लेते हैं। बच्चों के लिए भारतीय संविधान में बच्चों के शिक्षा के अधिकार के तहत चौदह वर्ष तक अनिवार्य शिक्षा एक मौलिक अधिकार है जिससे इन बच्चों को वंचित रखा जा रहा है और सर्ब शिक्षा अभियान को जान बूझ कर असफल बनाया जा रहा है।
ऐसा ही एक मामला इस संवाददाता की नज़र में आया जहां मात्र बारह वर्ष की आयु की बच्ची केवल दो सौ रुपये में घर की साफ सफाई करती है। ढकोली के गुरु नानक एन्क्लेव गेट नम्बर 1 फ्लैट नम्बर 41 ए और 42 ए में पूजा नामक बच्ची काम करती है। इस बाबत जब ढकोली थाना प्रभारी एसएचओ संदीप कौर से फोन नम्बर 9115516057 पर बात की गई तो उन्होंने ने कहा कि इस पर बाल सुरक्षा अधिकारी ही कार्यवाही करेंगे। उनके नम्बर 9914400406 पर www.demokraticfront.com के संवाददाता ने बात की ओर सम्बन्धित विडियो और फ़ोटो भी भेजीं । सुखवीर सिंह ने आश्वासन दिया कि इस पर जांच कर के कार्यवाई जल्दी ही की जाएगी ।