Thursday, December 26

राजविरेन्द्र वसिष्ठ

यकीन मानिए यदि दिल्ली को सम्पूर्ण राज्य का दर्जा मिल जाता है तो दिल्ली का जल बोर्ड बहुत ही तीव्रता से अपने काम करने लगेगा। आज यदि दिल्लीवासियों को पानी ठीक से नहीं मिल रहा है तो इसके पीछे केंद्र की मोदी सरकार है। मोदी सरकार के कारण दिल्ली में सीसीटीवी कैमरा नहीं लगे और इसी कारण जल बोर्ड पर मुख्यमंत्री नज़र नहीं रख पा रहे, जल बोर्ड को सुचारु रूप से काम करवाने के लिए मुख्यमंत्री ने महिलाओं को मेट्रो में मुफ्त यात्रा की सुविधा प्रदान की, छात्रों को 100 प्रतिशत वजीफा और फीस माफी भी की। लेकिन यह जल बोर्ड काम ही नहीं कर रहा। मुख्य मंत्री ने तो पानी भी लगभग मुफ्त कर दिया था, बस यह दिल्ली के नाशुक्रे लोग जो चीज़ मुफ्त कर दी वह और भी ज़्यादा चाहिए। भाई दिल्ली में औरतों के लिए मेट्रो का सफर मुफ्त है, भीषण गर्मी की दोपहर वह मेट्रो में बिताएँ, वातानुकूलित मेट्रो में। बस वह करें जिससे मुख्य मंत्री को न काम करना पड़े न जवाब देने पड़ें।

नई दिल्ली: शहर के निवासियों को चौबीसों घंटे पाइपलाइन के जरिए जलपूर्ति करने का दिल्ली सरकार का सपना अभी दूर की कौड़ी नजर आ रहा है. इस महत्वाकांक्षी परियोजना को लेकर शुरू की गई पायलट परियोजना की स्थिति देखें तो ऐसा लगता है कि दशकों के बाद भी यह सपना कहीं सिर्फ सपना ही ना बना रह जाए.

दिल्ली जल बोर्ड ने 2009 में सभी को चौबीसों घंटे पानी देने का विचार बनाया और जनवरी 2013 में सुएज कंपनी के साथ मिलकर एक पायलट परियोजना शुरू की. इस परियोजना का लक्ष्य दिसंबर 2014 तक मालवीय नगर के 50,000 और वसंत विहार के 8,000 कनेक्शनों को चौबीसों घंटे पानी मुहैया कराना था.

परियोजना के प्रमुख और वरिष्ठ अभियंता वीरेन्द्र कुमार के अनुसार, परियोजना शुरू होने के करीब साढ़े छह साल बाद भी अभी तक मालवीय नगर के नवजीवन विहार और गीतांजली एन्क्लेव में करीब 800 और वसंत विहार के करीब 450 कनेक्शनों को ही चौबीसों घंटे पानी मिल पा रहा है.

कुमार का दावा है कि जमीन के मालिकाना हक वाली तमाम एजेंसियों, नगर निकायों, डीडीए और वन विभाग, से मंजूरी मिलने में देरी भी परियोजना की लेट-लतीफी के लिए जिम्मेदार है.

सिर्फ इतना ही नहीं, यह पायलट परियोजना इसलिए भी पूरी नहीं हो पा रही है क्योंकि जल बोर्ड के पास चौबीसों घंटे जलापूर्ति के लायक पानी नहीं है.

औसतन दिल्ली में प्रत्येक कनेक्शन को दिन में चार घंटे जलापूर्ति होती है. दिल्ली जलबोर्ड एक दिन में 93.5 करोड़ गैलन पानी की आपूर्ति करता है जबकि मांग 114 करोड़ गैलन पानी की है.

अब देखना यह है की अब जल बोर्ड के खिलाफ एलजी के घर जा कर मोदी के खिलाफ धारणा दिया जाएगा। बहुत ज़रूरी है भाई