पंचकुला के आसपास मोरनी के इलाके में इंसान पहाड़ों को ही लील जाने में लगा हुआ है।
मेन पॉल, पंचकुला 6/6/2019
बढ़ती जनसंख्या, बढ़ती आवासीय समस्या और भोजन समस्याएँ हमारे सर पर मंडराती जा रहीं हैं। इन समस्याओं से निबटने के लिए हम अपने पर्यावरण को क्षति पहुंचाने से भी नहीं चूकते। जंगलों को साफ कर खेत बनाए जाते हैं, फिर उनही खेतों में हाउसिंग सोसाइटी बना दी जाती है ओर फिर उस आवासीय व्यवस्था ओ मूर्त रूप देने के लिए एफ़आर से प्रकृति से छेड़ छाड़ की जाती है। सबसे बड़ी प्रकृतिक लूट का डेरा है हरियाणा का मोरनी इलाका। यहाँ अवैध खनन द्वारा पहाड़ों के पहाड़ ही लील लिए गए हैं और प्रकृति का शोषण अभी भी जारी है। ताज़ा तरीन मामला गाँव खोल अलबेला का है।
खोल अलबेला में अवैध माइनिंग का कारोबार जोरों शोरों पर चल रहा है ना ही कोई प्रशासनिक अधिकारी इनको रोकने की कोशिश करता है और ना ही लोकल प्रशासन पंजाब एंड हरियाणा विलेज कोमल लैंड एक्ट 1961 के अनुसार पंचायत की जमीन माइनिंग को नहीं दे सकते और ना ही माइनिंग इसकी परमिशन दे सकता है और जो गांव ग्रीनलैंड जॉन और पैरा 5 एक्ट के अंदर आते हैं उनमें उन गांव में माइनिंग की परमिशन बिल्कुल भी नहीं हो सकती क्योंकि यह ग्रीन जोन है लेकिन ग्रीन जोन होने के बावजूद भी खेड़ा बसोला गांव जो कि वार्ड नंबर 4 के अंतर्गत पड़ता है नगर निगम के अंदर भी जोरों शोरों पर चल रही है अवैध माइनिंग
पोकलेन जेसीबी मशीनें गांव रामनगर खोली में बिना परमिशन के चल रही है अवैध माइनिंग बड़े जोरों शोरों पर चल रही है प्रशासन को गुहार लगाने के बावजूद भी अवैध माइनिंग बंद नहीं हो रही आखिर कौन करवा रहा है??? अवैध माइनिंग सरकार के आदेशों की अवहेलना हो रही है.