आसिया अंद्राबी ने भारत में तबाही मचाने के लिए पाकिस्तान की मदद कबूली

कश्मीर यूनिवर्सिटी से विज्ञान में स्नातक अंद्राबी चार साल पहले पाकिस्तानी झंडा फहराने और पाकिस्तानी राष्ट्रगान गाने के कारण सुर्खियों में आई थी.  काश्मीर को सुलगाने में और वहाँ धार्मि सौहार्द बिगाड़ने में जितना हाथ काश्मीर के अलगाव वादी नेताओं का है उतना ही हाथ वहाँ के राजनेताओं और आम जनता का है। घाटी में आए दिन पत्थरबाजी, यवाओं का आतंकी कैंपों में जाना और अभिभावकों/ राजनेताओं का दलील देना कि घाटी में अवसरों कि कमी है, गले नहीं उतरता। 3.5 साल तक महबूबा मुफ़्ती कि सरकार थी उन्होने घाटी में रोजगार ए अवसरों के लिए क्या किया? बच्चों को पढ़ाने के लिए क्या किया? आज जब उनकी सरकार नहीं है तो उन्हे केंद्र सरकार धार्मिक सौहार्द बिगाड़ती नज़र आ रही है। महबूबा ओमर दोनों ही आज छती पीट पीट कर धार्मिक सौहार्द कि बात कर रहे हैं। जबकि उनकी रहनुमाई में आसिया अंद्राबी जैसे लोगों ने घाटी के अमन चैन को लील लिया है।

नई दिल्ली: कश्मीरी अलगाववादी नेता आसिया अंद्राबी ने खुलासा किया है कि वह पाकिस्तानी सेना के एक अधिकारी के जरिये लश्कर-ए-तैयबा के सरगना हाफिज सईद के करीब आई. अधिकारी दुख्तारन-ए-मिल्लत नेता अंद्राबी का रिश्तेदार था. अंद्राबी के साथ ही दो अलगाववादी नेताओं से इन दिनों राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) पूछताछ कर रही है. कश्मीर यूनिवर्सिटी से विज्ञान में स्नातक अंद्राबी चार साल पहले पाकिस्तानी झंडा फहराने और पाकिस्तानी राष्ट्रगान गाने के कारण सुर्खियों में आई थी. अंद्राबी के इस कृत्य के पीछे हाफिज सईद को माना जाता है.

एनआईए सूत्र ने कहा कि अंद्राबी का भतीजा पाकिस्तान सेना में कैप्टन रैंक का अधिकारी है. उसका एक अन्य करीबी रिश्तेदार पाकिस्तान सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई के संपर्क में है. अंद्राबी के रिश्तेदार दुबई और सऊदी अरब में भी हैं जहां से वह फंड प्राप्त करती है और भारत के खिलाफ गतिविधियों में इस्तेमाल करती है.

एनआईए ने अंद्राबी के खिलाफ एक केस दर्ज किया है जिसके तहत जमात-उद-दावा के अमीर और लश्कर के मास्टरमाइंड सईद बड़े पैमाने पर अंद्राबी को फंड मुहैया कराते थे. यह धन पत्थरबाजों और हुर्रियत के समर्थकों में बांटे गए थे जिन्होंने श्रीनगर और घाटी के अन्य हिस्सों में सरकार के खिलाफ व्यापक प्रदर्शन किए. सूत्रों ने कहा कि अंद्राबी के अलावा मसरत आलम और शब्बीर शाह से भी एनआईए ने पूछताछ की.

तीनों अलगाववादी नेता अभी तिहाड़ जेल में बंद हैं. इस केस के निगरानी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल कर रहे हैं जो घाटी में आंतकवादी घटनाओं पर केंद्र की रणनीति अमलीजामा पहना रहे हैं. 

0 replies

Leave a Reply

Want to join the discussion?
Feel free to contribute!

Leave a Reply