कांग्रेस -जेडीएस की चिंता उनका घटता जनादेश नहीं आपितु जनादेश के खिलाफ जा कर हासिल की हुई सत्ता को बचाने की है
कर्णाटक में कांग्रेस जेडी-एस गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। ताज़ा मिली करारी हार के बाद भी उन्हे समझ नहीं आ रहा की प्रदेश में कौन सी बयार बह रही है। विधान सभा चुनावों में भी भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरी थी। तब एक दूसरे के विरुद्ध लड़े कांग्रेस जेडी-एस ने सत्ता के लालच में चुनाव पर्यंत गठबंधन कर कर्णाटक की जनता द्वारा दिये जनादेश को धता बता दी थी। आज भी लोकसभा चुनावों जब में जनादेश उनके बिलकुल विपरीत है, जनता ने कांग्रेस – जेडीएस को एक बार फिर नाकार दिया है कर्णाटक की 28 सांसदीय क्षेत्रों में से 18.4% वोटों की बढ़ोतरी के साथ 26 सीटें भाजपा की झोली में डाल दीं कांग्रेस-जेडीएस को मात्र 2 सीटें ही मिलीं हैं।
अभी भी कांग्रेस -जेडीएस की चिंता उनका घाटता जनादेश नहीं आपितु जनादेश के खिलाफ जा कर हासिल की हुई सत्ता है। दोनों दल बस उसी सत्ता को बचाने की कवायद में हैं।
बेंगलुरु: कर्नाटक के सत्तारूढ़ गठबंधन में बढ़ती चिंता के बीच उसके घटक कांग्रेस ने राज्य की वर्तमान राजनीतिक घटनाक्रम पर चर्चा करने के लिए बुधवार को पार्टी विधायक दल की बैठक बुलाई है. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की करारी हार और कांग्रेस में बढ़ते असंतोष के बीच यह बैठक होने जा रही है.
कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धरमैया ने विधानपरिषद, लोकसभा और राज्य सभा के सदस्यों और पार्टी विधायकों को लिखे पत्र में कहा कि वर्तमान राजनीतिक घटनाक्रम पर चर्चा करने के लिए यहां 29 मई को शाम छह बजे एक होटल में बैठक होगी.
पत्र में कहा गया है,‘सभी विधायकों को बैठक में जरूर उपस्थित रहना चाहिए और बहुमूल्य सुझाव देना चाहिए.’ उसमें कहा गया है कि बैठक में उपमुख्यमंत्री जी परमेशवर और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव भी मौजूद रहेंगे.
लोकसभा में कांग्रेस का खराब प्रदर्शन
कर्नाटक में पार्टी के अब तक सबसे खराब प्रदर्शन के तहत कांग्रेस ने एक ही लोकसभा सीट मिली. वह 21 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ी थी. जेडीएस को भी एक ही सीट मिली, वह सात सीटों पर उतरी थी. पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, वीरप्पा मोइली और के एच मुनियप्पा समेत गठबंधन के कई बड़े नेता हार गये.
कांग्रेस से यह आवाज उठने लगी कि इस खराब प्रदर्शन के लिए जेडीएस के साथ साझेदारी जिम्मेदारी है, इसलिए इस गठबंधन को खत्म किया, इस पर कुमारस्वामी ने इस्तीफे की पेशकश कर डाली. हालांकि शुक्रवार को मंत्रिमंडल की बैठक हुई और उनके नेतृत्व पर विश्वास व्यक्त किया गया और कहा गया कि गठबंधन जारी रहेगा.
कांग्रेस विधायक दल की बैठक ऐसे समय में हो रही है जब पार्टी के अंदर असंतोष गहरा रहा है. पार्टी विधायक रमेश जारकिहोली कुछ समय से भाजपा के साथ जाने की बात कह रहे हैं रहे हैं और उन्होंने लोकसभा चुनाव के बाद कुछ विधायकों के साथ इस्तीफा भी देने की धमकी दी है.
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