Saturday, December 21

12 दिसम्बर 2018 को आए छत्तीसगढ़ विधान सभा चुनावों में कांग्रेस ने 90 सीटों में सबसे ज्यादा 68 सीटों पर जीत दर्ज की। 15 सालों तक सत्ता संभालने वाली भाजपा 15 पर ही सिमट गई लेकिन महज़ 6 महीनों ही में छत्तीसगढ़ के लोगों का कांग्रेस से मोह भंग हो गया लगता है तभी तो लोक सभा चुनावों में 11 में से 9 सीटें भाजपा के खाते में गईं वह भी तब जब प्रदेश में सरकार काँग्रेस की है।

  • कांग्रेस को एक सीट की बढ़त, लेकिन मुख्यमंत्री और गृहमंत्री नहीं बचा सके अपना ‘दुर्ग’
  • भाजपा के सुनील सोनी ने रायपुर और दुर्ग से विजय बघेल ने दर्ज की रिकॉर्ड मतों से जीत 
  • वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में 11 में से कांग्रेस को एक, भाजपा को मिली थीं 10 सीटें

रायपुर: छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण के बाद पहली बार कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट पर जीत हासिल की है. छत्तीसगढ़ में इस लोकसभा चुनाव में 11 सीटों में से भारतीय जनता पार्टी ने नौ सीटों पर तथा कांग्रेस ने दो सीटों पर जीत दर्ज की. राज्य में पहली बार कांग्रेस ने दो सीटें जीती है और सत्ताधारी दल के लिए यह जीत इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि पार्टी ने पहली बार अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट पर विजय प्राप्त की है.

छत्तीसगढ़ के 11 लोकसभा सीटों में सरगुजा, रायगढ़, कांकेर और बस्तर अनुसूचित जनजाति के लिए तथा जांजगीर चांपा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. राज्य के निर्माण के बाद वर्ष 2004, 2009 तथा वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 11 में से एक सीट पर ही जीत दर्ज की थी. पार्टी को 2004 में महासमुंद, 2009 में कोरबा और वर्ष 2014 में दुर्ग सीट पर जीत हासिल हुई थी जबकि भारतीय जनता पार्टी ने अन्य 10 सीटें जीती थी. इस वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को दो सीटों बस्तर और कोरबा से जीत मिली है जिसमें बस्तर सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है.

पिछले वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 15 वर्ष से सत्ता में रहे भारतीय जनता पार्टी को बड़ी शिकस्त दी थी. कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में 68 सीटों पर तथा भाजपा को 15 सीटों पर जीत मिली थी. विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत के बाद कांग्रेस को उम्मीद थी कि लोकसभा चुनाव में भी वह जीत दोहराएगी. कांग्रेस ने अनुसूचित जनजाति सीटों पर जीत हासिल करने के लिए सुरगजा लोकसभा क्षेत्र में प्रेमनगर विधानसभा सीट से विधायक खेलसाय सिंह को, रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र में धर्मजयगढ़ विधानसभा सीट से विधायक लालजीत सिंह राठिया को तथा बस्तर लोकसभा क्षेत्र से चित्रकोट के मौजूदा विधायक दीपक बैज को चुनाव मैदान में उतारा था. 

कांग्रेस ने कांकेर लोकसभा सीट से नए चेहरे बीरेश ठाकुर पर भरोसा जताया था, लेकिन इनमें से केवल बस्तर सीट से दीपक बैज ही चुनाव जीत सके. दीपक बैज ने भाजपा के बैदूराम कश्यप को 38982 मतों से पराजित किया. छत्तीसगढ़ में आदिवासियों की आबादी लगभग 32 फीसदी है और राज्य में सरकार बनाने के लिए किसी भी दल को आदिवासियों का साथ जरूरी होता है. राज्य के आदिवासी विधानसभा चुनाव में जहां कांग्रेस के साथ थे वहीं लोकसभा में वे भाजपा के साथ हो गए.

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक देश के अन्य हिस्सों की तरह यहां भी जाति ने नहीं बल्कि राष्ट्रवाद और मोदी प्रभाव ने काम किया जिसके तहत पांच महीने के अंतराल में ही भाजपा को यहां एक बार फिर जश्न मनाने का मौका मिल गया.