उत्तर पूर्वी दिल्ली के त्रिकोणिय मुक़ाबले में तीनों की अपनि ड्फ़ली अपना राग
उत्तर पूर्वी दिल्ली में सत्ता हासिल करने के लिए भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मनोज तिवारी, काँग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित, और आम आदमी पार्टी के पूर्व प्रदेश संयोजक दिलीप पांडे के बीच कडा मुकाबला चल रहा है।
इस बात से तो हर कोई वाकिफ है की शीला दीक्षित 3 बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रह चुकी है और शीला से नाखुश हो कर दिल्ली की जनता ने आखिरी चुनाव में शीला को पीठ दिखा केजरीवाल को अपने नए मुख्यमंत्री के रूप में चुना। लगता है की दिल्ली की जनता को खुश करने के लिए व अन्य स्कूख सुविधाएं देने के लिए शीला को 3 बार मुख्यमंत्री बनना यानि की 15 साल तक मिली हुई एक सत्ता की ताकत कम पड़ गयी, नहीं तो जिस मुख्यमंत्री के राज में दिल्ली पिछले 15 साल से रह रही थी उसे बदला क्यों?
जब 201_ के चुनाव दिल्ली की गद्दी शीला से केजरीवाल को मिली तब सबको वाकयी में लग रहा था की अब तो शीला खत्म है और हाँ सत्ता खोने के बाद शीला मीडिया से ज़्यादा बात चीत करती नही दिखाई दीं।
लेकिन काँग्रेस ने वाकई में एक बहत बड़ा चौंका देने वाला फैसला लिया ‘शीला को दिल्ली विधान सभा चुनाव में उतारकर’ शीला ने प्रतिद्वंद्यों को अपनी मोजूदगी का एहसास रोडशो के जरिये कार्वा दिया था। उम्र होने के कारण शीला ज़्यादा चलती तो नही है इसलिए मतों की उम्मीद रखते हुए रोडशो निकालती है, बैठकें व जनसभाओं के जरिये जनता के दिल में अपनी जगह बना रही है। वैसे शीला के जज़्बे की भी दाद देनी पड़ेगी जिसे वह ‘नाचीज़’ कहती थीं [यानि की केजरीवाल] उसी नाचीज़ के हाथों एक बहुत बुरी हार का स्वाद चखने के बावजूद शीला को भरोसा है की मुस्लिम व अनउसूचित जाती के मत दाता जो की आप के पक्ष में हैं वह शीला के खाते में मतदान करेंगे।
लेकिन शीला भूल रही हैं की भले ही पाण्डेय पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं परंतु आम आदमी पार्टी के कारण उनकी पैठ गहरी है।
इन सबमें पिछली बार के विजेता मनोज तिवारी को नज़रअंदाज़ करना गलती होगी। मनोज तिवारी पूर्वाञ्चल बहूल के होने के कारण बहुत लोकप्रिय हैं। वह प्रदेशाध्यक्ष हैं उन्हे सारी दिल्ली में काम करना पड़ता है, उनके प्रचार का जिम्मा सपना चौधरी ने उठा रखा है और वह अपनी ज़िम्मेदारी बाखूबी निभा रही है।
जहां आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस से गठबंधन की बातचीत के दौरान ही अपने प्रत्याशी न सिर्फ सोच लिए थे बल्कि उन्हे प्रचार के लिए चुनावी क्षेत्र में उतार भी दिया था। जनसम्पर्क में आम आदमी पार्टी आगे है। मनोज तिवारी को जहां मोदी के काम और नाम का भरोसा है तो शीला दीक्षित को नामदार होने का।
Leave a Reply
Want to join the discussion?Feel free to contribute!