हरियाणा की मायावती हैं कुमारी शैलजा : अंबेडकर
दलित सीट पर जीत हासिल करना और दलितों को सामने आकर उनसे बात करना और उनके अधिकारोँ की बात करना दो अलग अलग बातें जान पड़ती है। प्रताप चौधरी, कांग्रेस नेता तरसेम गर्ग हों या भाजपा के नवीन गर्ग सभी ने इस मामले की संजीदगी को ताक पर ही रखा। नेताओं कटारिया, गुप्ता के बयानों की तो छोड़ो वह तो फोन पर भी नहीं आ पाये। इस विषय पर पार्टी अध्यक्ष दीपक शर्मा से भी बात की गई परन्तु उन्होंने कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी। पार्टी सूत्रों के अनुसार रतनलाल कटारिया को पार्टी की ओर से मीडिया से किसी मुद्दे पर बात करने की इजाजत नहीं । अगर मोदी फ़ैक्टर बीच में से हटा दिया जाए तो कटारिया को भीतर घात से कोई नहीं बचा सकता।
अम्बाला लोकसभा सीट भले ही अनुसूचित जाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित है परन्तु यहां सफेद पोश दलित उम्मीदवार चाहे सैलजा हैं या फिर रत्नलाल कटारिया दोनों ही जनता को जनविरोधि लगते हैं।
अपनी ऊँची आवाज़ और बेबाकी के लिए मशहूर सांसद रत्नलाल कटारिया ने क्षेत्र की उन्नति की ओर ध्यान नहीं दिया वहीं लगभग सोलह बरस बाद अम्बाला आने वाली सैलजा अपने चिर परिचित अंदाज़ में अपनी सधी शैली में लगातार कभी कांग्रेस मेनिफेस्टो , कभी कांग्रेस नेताओं की ब्यानबाजी तो कभी दलित समस्याओं पर किए सवालों को लगातार टाल रही हैं।
क्षेत्र का दलित वर्ग खासकर वाल्मिकी समाज सैलजा से बहुत नाराज़ है कारण है सैलजा की भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट से जुड़ाव।समाजसेवी , कांग्रेस से कई वर्षों से जुड़े वाल्मीकि समाज के सक्रिय सदस्य अम्बेडकर ने खुले रुप से सैलजा को दलितविरोधी बताया और कहा कि अपने राजनीतिक फायदों के लिए सैलजा ने 75 हज़ार आरक्षित पदों पर जाटों की भर्तियाँ होने दी और दलित हित में आवाज़ नहीं उठाई।
इस विषय पर www.demokraticfront.com ने पाया कि दोनों प्रमुख पार्टियाँ इस मुद्दे पर गैर संजीदा हैं। दलित सीट पर जीत हासिल करना और दलितों को सामने आकर उनसे बात करना और उनके अधिकारोँ की बात करना दो अलग अलग बातें जान पड़ती है।
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इस विषय पर सैलजा न बात नहीं की और कांग्रेस चुनाव कार्यालय का काम सम्भालने वाले प्रताप चौधरी और सक्रिय कांग्रेस नेता तरसेम गर्ग से भी www.demokraticfront.com के संवाददाता ने बातचीत की परन्तु पार्टी की और से वक्तव्य के रूप में केवल आश्वसन ही मिला। गुटों में बंटी कांग्रेस में इक्का दुक्का कांग्रेसी ही प्रचार में सक्रिय दिख रहे हैं वो भी शायद वही हैं जो आने वाले विधानसभा के लिए टिकटार्थी के रूप में स्थापित करना चाहते हैं। जातिवाद और गुटबाज़ी यहाँ सर्वविदित है इसका प्रत्यक्ष प्रमाण कल सैलजा की चुनाव सभाओ में जगह जगह खाली कुर्सियां और चुनाव सभाओ का रदद् हो जाना है।
यही हाल भाजपा का रहा स्थानीय मीडिया प्रभारी नवीन गर्ग से भी पार्टी की और से अपना पक्ष रखने या किसी प्रवक्ता से ब्यान देने पर लगभग दो दिन तक लगातार सम्पर्क करने के बावजूद कभी विधायक ज्ञान चन्द गुप्ता तो कभी किसी और से बात करने का आश्वासन ही मिला। इस विषय पर पार्टी अध्यक्ष दीपक शर्मा से भी बात की गई परन्तु उन्होंने कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी।
पार्टी सूत्रों के अनुसार रतनलाल कटारिया को पार्टी की ओर से मीडिया से किसी मुद्दे पर बात करने की इजाजत नहीं इसका कारण उनका बेबाक़ी से बात करना है। सूत्रों की मानें तो मौजूदा विधायक ज्ञान चन्द गुप्ता और सांसद रत्नलाल कटारिया के बीच कभी भी समन्वय नहीं रहा। अगर मोदी फ़ैक्टर बीच में से हटा दिया जाए तो कटारिया को भीतर घात से कोई नहीं बचा सकता।
भाजपा के एससी एसटी मण्डल ए अध्यक्ष रामफल ही एक ऐसे इकलौते नेता हैं जो कि इस मामले में अपना कर्तव्य समझ आर वातव्य के लिए आगे आए।
मज़े की बात है दोनों पार्टीयों के चुनाव कार्यालयों में केवल जिला स्तर के पदाधिकारी और शहर के उच्च वर्ग के लोग ही दिखाई दे रहे हैं लेकिन दलित नेता खास तौर पर एस सी एस टी सेल के नेता नहीं दिख रहे। और चुनाव क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।
आज शाम से चुनाव प्रचार बन्द हो जाएगा और मतदाता भी अब तक निर्णय ले चुका है।
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