युद्ध में अपना कम से कम नुक्सान करवा कर शत्रु को अत्यधिक एवं मार्मिक चोट देना ही कुशल सिपहसालार कि निशानी है. साथ ही किसी भी प्रकार के हमले में अपने सैनिकों और उनके मॉल असबाब को दुश्मनों के हाथों से बचाए रखना भी एक रणनीति होती है, भारतीय सेना भी अब सीमा पर इसी प्रकार के निर्माण कार्यों को प्रोत्साहित कर रही है. भारतीय सेना ने सीमा पर सुरंगें बनाने का संकल्प लिया है.
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नई दिल्ली: भारत अब अपनी सीमाओं की सुरक्षा को और पुख्ता करने जा रहा है. अब पाकिस्तान और चीन की सीमा पर पहाड़ों के अंदर गोला-बारूद के जखीरे रखने के लिए सुरंगें बनाई जाएंगीं. हर सुरंग में 2 लाख किलो गोला बारूद स्टोर होगा. ये 4 सुरंगें 2 साल में बनकर तैयार होंगीं. इन सुरंगों की सबसे बड़ी खासियत ये होगी कि ये हर हमले से सुरक्षित होंगीं.
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NHPC और Army के बीच इस समझौते पर दस्तखत किए गए. समझौते के मुताबिक 2 साल में 15 करोड़ की लागत से 4 सुरंगे बनाई जाएंगीं. हर सुरंग में 200 मीट्रिक टन यानी 2 लाख किलो गोला बारूद रखा जा सकेगा.
पहले भी ऐसी सुरंगें बनाने की कोशिश हो चुकी है…
3 सुरंगे चीन सीमा और एक पाकिस्तान सीमा पर बनाई जाएंगीं. सेना ने पहले ऐसी सुरंगे बनाने की कोशिश की थी, लेकिन कामयाब नहीं हुई. अब सेना इसके लिए NHPC की महारत का उपयोग करना चाहती है. NHPC ने पहाड़ों में कई पॉवर प्रोजेक्ट बनाने में सुरंगों का इस्तेमाल किया है.
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इसलिए तैयार की जा रही हैं सुरंग
सेना को सबसे ज़्यादा खतरा गोला बारूद के भंडारो पर हमले से होता है. युद्ध के समय ये दुश्मन के सबसे पहले हमलों का निशाना होते हैं. इन सुरंगो में रखा लाखो किलो गोला बारूद न तो ज़मीनी हमले से तबाह किया जा सकेगा और न ही हवाई हमले से. इस पायलट प्रोजेक्ट के बाद इस तरह की और सुरंगें बनाई जाएंगी.