अब जब प्रत्यार्पण रोकने के सारे हथकंडे विफल हो चुके हैं और माल्या लंदन कोर्ट को हर तरह से समझाने में नाकामयाब रहे हैं तब उन्होने मुंबई उच्च न्यायालय में गुहार लगाई है की वह तो मात्र तंत्र के शिकार हैं। उन्हे तो एक तरह से प्रताड़ित किया जा रहा है। सभी इल्ज़ाम बेबुनियाद हैं। परंतु जब वह लंदन कोर्ट द्वारा भारतीय जेलों की दशा पुछवा रहे थे तब उन्हे इस बात का एहसास नहीं था। तब उन्होने ज़ोर देकर क्यूँ नहीं कहा की वह निर्दोष हैं और भारत में एक सम्मानित व्यापारी की भांति उन्हे सफाई रखने और सभी विसंगतियों को दूर करने का मौका मिले?
मुंबई:
संकट का सामना कर रहे शराब कारोबारी विजय माल्या ने बुधवार को बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि विशेष अदालत द्वारा उसे भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करना और उसकी संपत्ति को कुर्क करने की अनुमति देना आर्थिक रूप से मृत्युदंड देने जैसा है. माल्या ने अपने वकील अमित देसाई के जरिए न्यायमूर्ति रंजीत मोरे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ के समक्ष यह बयान दिया. पिछले साल अगस्त में वजूद में आए भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून के कई प्रावधानों को चुनौती देने वाली माल्या की याचिका के दौरान वकील ने यह दलील दी.
माल्या ने अपने वकील के जरिए कहा, ‘‘ऐसे कर्ज पर मेरा ऋण और ब्याज बढ़ रहा है. मेरे पास इन कर्जों को चुकाने के लिए संपत्ति है लेकिन सरकार ने कर्ज चुकाने के लिए इन संपत्तियों के इस्तेमाल की अनुमति नहीं दी . मेरी संपत्ति पर मेरा नियंत्रण नहीं है.’’ माल्या के वकील ने कहा, ‘‘इस तरह मुझे आर्थिक मृत्युदंड दिया गया है.’’