स्वयं परमाणु हथियारों कि दौड़ में अग्रणी रहने वाला और अपने क्षेत्रफल के अनुरूप परमाणु बमों के जखीरे पर बैठे पाकिस्तान को डर लग रहा है. भारत की बढती सामरिक शक्ति और उसकी वैश्विक स्वीकार्यता पाकिस्तान और उसके मित्र देश चीन को हज़म नहीं हो रही. तभी तो कल चीन के पश्चात् भयभीत पाकिस्तान ने न केवल भारत को नसीहत दी अपितु संयुक्त राष्ट्र का नाम न लेते हुए उन्हें भी अंतर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष कानूनों में बदलाव कि मांग कर डाली.
इस्लामाबाद:
भारत द्वारा उपग्रह भेदी मिसाइल ए-सैट के सफल परीक्षण पर पाकिस्तान ने बुधवार को कहा कि अंतरिक्ष के सैन्यीकरण से बचा जाना चाहिए था. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने मीडिया से कहा, “पाकिस्तान बाह्य अंतरिक्ष में हथियारों की दौड़ रोकने का एक मजबूत समर्थक रहा है.” फैसल ने कहा, “अंतरिक्ष मानव की सामूहिक विरासत है और प्रत्येक राष्ट्र की जिम्मेदारी है कि इस क्षेत्र का सैन्यीकरण करने वाली गतिविधियों से बचा जाए. ” उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष कानूनों में कमियों को दूर करने की जरूरत है, ताकि कोई भी देश सामाजिक आर्थिक विकास की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोगों और शांतिपूर्ण गतिविधियों के समक्ष खतरा पैदा न कर सके.
भारत के ए-सैट के सफलतापूर्वक पृथ्वी की निचली कक्षा में एक जिंदा उपग्रह को निशाना बनाए जाने के बाद उन्होंने कहा, “हमे आशा है कि जिन देशों ने अतीत में अन्य देशों द्वारा प्रदर्शित की गई इसी तरह की क्षमता की निंदा की थी, वे बाह्य अंतरिक्ष से संबंधित सैन्य खतरों को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय तंत्र विकसित करने की दिशा में काम करेंगे.”